लखनऊ के बलरामपुर अस्पताल का बड़ा कारनामा,क्लीन चिट देने वाली कमेटी को सौंपी उसी डॉक्टर के जांच की जिम्मेदारी

पीड़ित मरीज बोला-निष्पक्ष जांच के लिए अस्पताल से बाहर की बने जांच कमेटी

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लखनऊ। उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ के बलरामपुर अस्पताल का बड़ा कारनामा उजागर हुआ है। यहां इम्प्लांट के नाम पर 55 हजार रुपये लेने के मामले की तीन बार जांच के बाद भी कमेटी ने आरोपी डॉक्टर को क्लीन चिट दे दी थी। अब नए सिरे से फिर उसी कमेटी के माध्यम से ही जांच कराने के निर्देश के बाद पीड़ित मरीज ने आपत्ति दर्ज कराई है। पीड़ित ने निष्पक्ष जांच लिए अस्पताल से बाहर की जांच कमेटी गठित किए जाने की मांग की है।
डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक समेत बलरामपुर अस्पताल व उच्च अधिकारियों से शिकायत के बावजूद कोई सुनवाई न होने से पीड़ित मरीज दिव्यांग पत्नी संग रविवार को हजरतगंज स्थित गांधी प्रतिमा पर पहुंचकर धरना दिया। जिसके बाद हरकत में आए अफसरों ने आनन फानन में जांच कमेटी गठित कर दी।
देवरिया निवासी ओमप्रकाश यादव (45) का पैर का ऑपरेशन हुआ था। दिव्यांग पत्नी विद्यावती ने बताया कि दिसंबर 2022 में उसने बलरामपुर अस्पताल के हड्डी रोग विभाग में दिखाया था। जहां डॉक्टर एपी सिंह ने पैर में इम्प्लांट डालने की बात कही। जिसमें खर्चा 55 हजार रुपये के करीब बताया। दंपति ने जमीन बेचकर कर रुपए के इंतजाम किया। दंपति के मुताबिक मई माह में डॉक्टर को 55 हजार रुपये इम्प्लांट के नाम पर दिए। बाद में पता चला कि जो इम्प्लांट पैर में लगाया गया है उसकी बाजार में कीमत 10 से 12 हजार तक है। जिसके बाद दंपति ने इम्प्लांट की रसीद मांगी। जिसे देने में डॉक्टर आनाकानी करने लगे। इसके बाद पीडि़त दंपति अपनी रकम वापसी के लिए आईजीआरएस पोर्टल व अस्पताल निदेशक से दर्ज कराई थी।
तीन बार मामले की शिकायत बाद न्याय न मिलने पर मरीज दिव्यांग पत्नी समेत रविवार को गांधी प्रतिमा पर पहुंचकर धरना दिया। जिसके बाद अस्पताल जरिए डॉक्टर को नोटिस जारी करने संग जांच कमेटी बनाई। मरीज का कहना है अस्पताल में बनी जांच कमेटी की बजाए बाहर की जांच कमेटी गठित की जाए ताकि निष्पक्ष जांच हो सके। अस्पताल निदेशक डॉ. एके सिंह ने बताया कि मामले की निष्पक्ष जांच होगी। इसमें कतई कोताही नहीं होगी।

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