वर्षों से सीवर जाम की समस्या से जूझ रहा 1400 साल पुराना पालम गांव

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नई दिल्ली
1400 साल पुराने पालम गांव का हाल बेहाल है। यह गांव वर्षों से सीवर जाम की समस्या से जूझ रहा है। सीवर जाम होने से इसका पानी सड़कों पर हमेशा बहता रहता है। इस कारण से सड़के और नालियां भी जर्जर हो चुकी है।
स्थानीय लोगों का कहना है कि हर बार चुनाव के समय वोट के लिए जनप्रतिनिधि आते हैं और वादा करके चले जाते हैं। अपना काम निकालने के बाद जनप्रतिनिधि यहां झांकने तक नहीं आते हैं। विभाग के अधिकारी भी इसमें लापरवाही बरत रहे हैं।
फेडरेशन ऑफ साउथ एंड वेस्ट डिस्ट्रिक्ट वेलफेयर फोरम के चेयरमैन रणबीर सोलंकी ने बताया इस समस्या का मुख्य कारण पालम एक्सटेंशन जी 23 से लेकर सत्यनारायण मंदिर तक लगभग 200 मीटर तक की सीवर लाइन डालनी है जिससे इस समस्या का स्थाई समाधान होगा।
इस कार्य का निविदा 2022- 23 में जारी होने की पश्चात भी अभी तक यह कार्य शुरू नही हुआ है इसलिए हम मुख्य अभियंता व सीईओ से मांग करते है कि पालम की जनता को समयबद्ध तरीके से स्थाई समाधान प्रदान किया जाए और अगर विभाग की लापरवाही से कोई अप्रिय घटना होती है जैसे महामारी फैलना और उससे जानमाल की हानि होना तो उसके लिए दिल्ली जल बोर्ड के समस्त संबधित अधिकारी तथा कर्मचारी इसके जिम्मेदार होंगे।
बता दें कि यह वही पालम गांव है जिसने दिल्ली को सुंदर महानगर बनाने के लिए अपने गांव की जमीन पर उपनगर द्वारका बसाने के लिए सरकार को अपनी जमीन स्थानांतरित कर दिया है। लेकिन चंद स्वार्थी भ्रष्ट अधिकारियों की लापरवाही से पालम गांव आज रहने लायक नहीं रह गया है। खासकर दिल्ली जल बोर्ड की लापरवाही व अव्यवस्थित सीवर लाइनों से सड़कों एवम गलियों की स्थिति नारकीय हो गई है।
पालम गांव के बडियाल स्थित शिव मंदिर के पीछे सीवर के जाम व ओवर फ्लो से गलियों/सड़कों पर सीवर का पानी फैल गया है और लोगो के घरों में गंदा पानी बैक मार रहा जिससे लोगों का आना जाना एवम जीना दुभर हो गया है।
यहां के स्थानीय निवासी ओम बीर सोलंकी, मकान न डबल्यू जेड 1150 ने बताया कि वह दिल्ली जल बोर्ड की हेल्पलाइन 1916 पर कई बार शिकायत दर्ज करा चुके है जिससे अभी तक कोई स्थाई समाधान नहीं मिला है और अभी डीजेबी का शिकायत न 1662895 है जिसपर कोई करवाई नही हुई है। अब तो बदबू से लोग नाक बंद कर चलने को मजबूर हैं और डेंगू, मलेरिया, चिकनगुनिया जैसी महामारी के फैलने का खतरा और बढ़ गया है।
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