लखनऊ के KGMU में 225 देहदानियों के परिजन सम्मानित,देहदान का भी ऐलान

देहदानियों का KGMU सदैव ऋणी रहेगा-कुलपति

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लखनऊ। KGMU के एनॉटामिकल सोसायटी की ओर से मंगलवार को 225 देहदानियों के घरवालों को सम्मानित किया गया। कन्वेंशन सेंटर में आयोजित सम्मान समारोह में देहदानियों के घर वालों को प्रशस्ति पत्र दिया गया। वहीं अपनों के देहदान पर सम्मान पाने वाले परिवार के सदस्यों ने गौरवान्वित महसूस किया। इनमें से कई परिवारों ने खुद भी देहदान का ऐलान किया। साथ ही इन्होंने दूसरे लोगों को देहदान के लिए जागरूक करने का संकल्प भी लिया।
KGMU के कुलपति डॉ. बिपिन पुरी ने कहा कि देहदानियों का चिकित्सा विश्वविद्यालय सदैव ऋणी रहेगा। KGMU को चिकित्सा के क्षेत्र में मिलने वाली उपलब्धियों में देहदानियों का अहम योगदान है। डॉक्टर और पढ़ाई करने वाले विद्यार्थियों को प्रशिक्षण के लिए देहदान की बड़ी उपयोगिता है। देहदान करने वाले व्यक्तियों के जीवनसाथी को केजीएमयू में निःशुल्क उपचार और जांच की सुविधा मिलेगी।
KGMU कुलपति डॉ. विपिन पुरी ने बताया कि बहराइच के समाजसेवी स्व. तुलसी सिंह कुशवाहा अंगदान करने वाले जिले के पहले व्यक्ति थे।
एनॉटमी विभाग के पूर्व विभागाध्यक्ष डॉ. एके श्रीवास्तव ने कहा कि देहदानियों का यह यह बलिदान सराहनीय है। समाज के लिए प्रेरणादायक है। समारोह में प्रशस्ति पत्र उनकी बेटी मंजू मैत्री व बेटे सिद्धार्थ सिंह शाक्य को दिया गया।


एनॉटामी विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. पुनीता माणिक ने कहा कि KGMU में देहदान के लिए लगातार जागरूकता अभियान चलाया जा रहा है। इस मौके पर प्रति कुलपति डॉ. विनीत शर्मा, सीएमएस डॉ. एसएन शंखवार, दंत संकाय के डीन डॉ. रंजीत पाटिल समेत डॉक्टर और विद्यार्थी शामिल हुए।


इंजीनियर शैलेंद्र सिंह ने पिता भूप नारायण सिंह और मां सरोज सिंह का देहदान किया था। सम्मान मिलने के बाद स्वयं पति-पत्नी और बुआ समेत पूरे परिवार ने भी देहदान के लिए संकल्प लिया। उन्होंने बताया कि वह अपने बच्चों को भी इसके लिए प्रोत्साहित कर रहे हैं।
कृष्णा गुप्ता ने बताया कि 2016 में पति कैलाशनाथ गुप्ता की मृत्यु के बाद देहदान के लिए केजीएमयू के एनाटमी विभाग गई थी। प्रशस्ति पत्र मिलने के बाद उन्होंने बताया कि जीते जी हम समाज के काम आए बेशक न आएं लेकिन मृत्यु के बाद तो काम आ ही सकते हैं। खुद भी देहदान का फार्म भरा।
लखनऊ यूनिवर्सिटी के केमिस्ट्री विभाग के प्रो. रहे पुष्टि प्रकाश रस्तोगी की 2018 में मृत्यु हो गई थी। मंगलवार को प्रशस्ति पत्र के बाद छोटे भाई प्रेम प्रकाश रस्तोगी देहदान का संकल्प लिया। उन्होंने बताया कि बड़े भाई ने देहदान के लिए प्रेरित करते थे।

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