69 हजार शिक्षक भर्ती मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार को तीन महीने के अंदर अभ्यर्थियों की नई सूची जारी करने का आदेश दिया है।
वहीं, लखनऊ उत्तरी से भाजपा विधायक डॉ. नीरज बोरा ने बताया कि इस फैसले से कुछ युवाओं में चिंता देखी गई है। उत्तर प्रदेश के आदरणीय योगी जी की सरकार इस मुद्दे पर पूरी तरीके से सजग और गंभीर है।
युवाओं के हितों का ध्यान रखा जाएगा- विधायक
विधायक ने कहा कि हमारी सरकार आश्वस्त करती है कि किसी भी युवा के साथ कोई अन्याय नहीं होगा। सरकार ने यह भी स्पष्ट किया है। युवाओं के हितों का ध्यान रखा जाएगा और किसी भी तरीके का कोई भी समस्या नहीं होने दी जाएगी।
उन्होंने कहा कि सरकार का उद्देश्य युवाओं को प्रोत्साहित करें युवाओं को सशक्त करें। इस दिशा में जो भी आवश्यक कदम होंगे उन्हें सरकार उठा रही है। सरकार के इस रुख से युवाओं को राहत मिलनी चाहिए। इस उद्देश्य के साथ सरकार ने आश्वस्त भी किया है कि युवाओं के भविष्य को लेकर चिंतित हैं और उनके साथ है।
69 हजार शिक्षक भर्ती में यह फंसा था मामला?
पांच दिसंबर 2018 को परिषदीय स्कूलों में 69 हजार शिक्षकों के लिए विज्ञापन जारी हुआ। पांच जनवरी 2019 को लिखित परीक्षा हुई और एक जून 2020 को सहायक अध्यापक लिखित परीक्षा का परिणाम घोषित किया गया। परिणा में 67.11 अंक अनारक्षित श्रेणी की और 66.73 अंक ओबीसी की कटआफ गई। अभ्यर्थियों ने आरोप लगाया कि ओबीसी व एससी श्रेणी के अभ्यर्थियों को आरक्षण का पूरा लाभ नहीं दिया गया।
अभ्यर्थी राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग गए और 29 अप्रैल 2021 को आयोग माना कि भर्ती में आरक्षण की गड़बड़ी हुई है। अभ्यर्थी 19 हजार पदों पर आरक्षण की गड़बड़ी बता रहे थे और सरकार ने 6,800 की संशोधित सूची जारी की। 13 मार्च 2023 को कोर्ट ने इस सूची को रद कर दिया। 17 अप्रैल वर्ष 2023 को सिंगल बेंच के फैसले के खिलाफ सरकार डबल बेंच में चली गई। 19 मार्च 2024 को हाईकोर्ट की डबल बेंच ने इस पर फैसला सुरक्षित कर लिया था और अब यह निर्णय सुनाया गया कि नए सिरे से मेरिट लिस्ट बने।