पद्मश्री भीकू रामजी इदाते (दादा) के 75वें जन्मदिवस पर “समरसता के वारकरी” पुस्तक का विमोचन

विमुक्त जनजातियों के विकास और उनके अधिकारों के प्रति जागरूकता बढ़ाने के लिए किया जाए विचार-विमर्श- राज्यपाल

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नई दिल्ली, संवाददाता।

बिहार के राज्यपाल राजेंद्र आर्लेकर ने पद्मश्री भीकू रामजी इदाते (दादा) जी के 75वें जन्मदिवस के अवसर पर “समरसता के वारकरी” पुस्तक का विमोचन किया। पुस्तक विमोचन में राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग के अध्यक्ष हंसराज अहिर, अनुसूचित जाति आयोग के अध्यक्ष किशोर मकवाना, भाजपा के वरिष्ठ नेता सुनील देवधर समेत अन्य भी शामिल रहे।

डॉक्टर आदित्य पतकराव के नेतृत्व में पद्मश्री कर्मवीर दादा इदाते जी को “जीवन गौरव” पुरस्कार से सम्मानित किया गया

विमुक्त जनजातियों के विकास हेतु राष्ट्रीय विमुक्त दिवस का आयोजन किया गया। महाराष्ट्र सदन में आयोजित कार्यक्रम में विमुक्त घुमंतू जनजाति विकास परिषद द्वारा राष्ट्रीय विमुक्त दिवस और पद्मश्री भीकू रामजी इदाते (दादा) जी के 75वें जन्मदिवस के अवसर पर “समरसता के वारकरी” पुस्तक का विमोचन हुआ।

समारोह में डॉक्टर आदित्य पतकराव के नेतृत्व में यूथ फाउंडेशन और मानव परिवर्तन एवं विकास बहुउद्देशीय सेवाभावी संस्था ने पद्मश्री कर्मवीर दादा इदाते जी को “जीवन गौरव” पुरस्कार से सम्मानित किया।

यह पुरस्कार डॉक्टर आदित्य पतकराव और आनंद अखाड़ा के स्वामी शिव ज्ञानन्द महाराज के हाथों से प्रदान किया गया। कार्यक्रम का संचालन अनिल फड ने किया।

विमुक्त जनजातियों के विकास के लिए किया जाए विचार-विमर्श- राजेंद्र आर्लेकर

इस अवसर पर बिहार के राज्यपाल राजेंद्र आर्लेकर ने कहा कि विमुक्त जनजातियों के विकास और उनके अधिकारों के प्रति जागरूकता बढ़ाने के लिए विचार-विमर्श किया जाए। ताकि इससे इन समुदायों के कल्याण की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाए जा सकें।

घुमंतू समाज के योगदान बिना आन्दोलन अधूरे हैं

कार्यक्रम में पद्मश्री भीकू रामजी इदाते (दादा) ने कहा कि देश के सच्चे स्वतंत्रता सैनानी घुमंतू समाज के लोग हैं। चाहे छत्रपति शिवाजी और चाहे सुभाष चंद्र बोस के स्वतंत्रता आंदोलन बिना घुमंतू समाज के लोगों के योगदान के बिना अधूरे हैं। उन्होंने इस समाज के लोगों के लिए कार्य करने और युवाओं को आगे आकर इस पर अध्ययन करने का आग्रह किया।

घुमंतू समाज के लोगों से डरते थे अंग्रेज- सुनील देवधर

इस अवसर पर भाजपा के पूर्व राष्ट्रीय सचिव सुनील देवधर ने कहा कि गांव-गांव में खेल और करतब दिखाने वाले लोगों को हम घूमंतू कहते हैंं असल में यह लोग वह हैं जिन्होंने अंग्रेजों से लड़ने के लिए यह करतब दिखाने का कौशल लिया था। इसलिए अंग्रेज इन घुमंतू समाज के लोगों से डरते थे।

फिल्मी कलाकारों से ज्यादा अहिल्याबाई होलकर की जीवनी को पढ़ने की जरूरत

श्री देवधर ने आग्रह किया कि आज की युवतियों को फिल्मी कलाकारों से ज्यादा अहिल्याबाई होलकर की जीवनी को पढ़ना चाहिए जिससे उन्हें मजबूत नारी होने की प्रेरणा मिले।

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