मानसिक रोग विशेषज्ञ डॉ. अभय की सलाह- आत्महत्या की प्रवृत्ति वालों की काउंसलिंग करें!

स्कूल में बच्चों के व्यवहार में बदलाव दिखे तो अभिभावकों कराएं अवगत

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लखनऊ, संवाददाता।

जिन लोगों को आत्महत्या करने के विचार आते हैं। इसके लिए जरूरी है कि लक्षणों को पहचाने और काउंसलिंग करें। निराशा और अवसाद की भावना, आत्मसम्मान की कमी, अकेला और सामाजिक अलगाव की भावना, नींद न आना और भूख में कमी, जीवन के प्रति उदासीनता और अर्थहीनता, अत्यधिक शराब या नशीले पदार्थो का सेवन, जीवन के प्रति नकरात्मक दृष्टिकोण, आत्महत्या के बारे में बात करना या संकेत देना। यह सभी आत्महत्या की प्रवृत्ति वाले लोगों के लक्षण हैं।

यह जानकारी मानसिक रोग विशेषज्ञ डॉ. अभय ने दी। वह मंगलवार को बलरामपुर अस्पताल सभागार में राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम के अंतर्गत विश्व आत्महत्या रोकथाम दिवस पर संबोधित कर रहे थे। सीएमओ डॉ. मनोज अग्रवाल के दिशा निर्देशन तथा कार्यक्रम के नोडल अधिकारी डॉ. बी.एन. यादव के मार्गदर्शन में यह जागरूकता कार्यशाला आयोजित हुयी थी।

इस दौरान मनोचिकित्सक व नैदानिक मनोवैज्ञानिक ने आत्महत्या के कारणों एवं उनसे बचाव के उपायों पर चर्चा की। कार्यशाला में जनपद के में विद्यालय के नामित प्रधानाचार्य व शिक्षक भी मौजूद रहें।

विश्व आत्महत्या रोकथाम दिवस मनाने का उद्देश्य मानसिक, उपचार और सुरक्षा प्रदान करना

डॉ. अभय ने आगे बताया कि इस इस दिवस को मनाये जाने का उद्देश्य है कि ऐसे लोगों को मानसिक और उपचार और सुरक्षा प्रदान करना है जिन्हें आत्महत्या के विचार आते हैं।

उन्होने विद्यालय के प्रतिनिधियों से कहा कि बच्चे काफी समय विद्यालय में व्यतीत करते हैं। उनके व्यवहार में यदि बदलाव दिखे तो उससे बात करें और अभिभावकों को भी इससे अवगत कराएं।

उन्होने बताया कि मानसिक स्वास्थ्य हेल्पलाइन टेली मानस 18008914416 या 14416 तथा लखनऊ हेतु मानसिक स्वास्थ्य हेल्पलाइन नंबर 9451122854 पर मनोरोग सम्बन्धी जानकारी के लिए संपर्क किया जा सकता है।

तनाव व चिंता से लोग तंबाकू आदि नशे का उपयोग करने लगते हैं- डॉ. रजनीगंधा

मनोवैज्ञानिक डॉ. रजनीगंधा ने बताया कि तनाव व चिंता एवं अन्य कई कारणों से लोग तंबाकू एवं अन्य किसी प्रकार के नशे का उपयोग करने लगते हैं। जिससे न उन्हें केवल शारीरिक बल्कि आर्थिक और सामाजिक तौर से भी क्षति पहुंचती है।

जिला मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम लखनऊ की टीम ने प्रचार- प्रसार सामग्री वितरित कर जागरूक किया। इस मौके पर राष्ट्रीय मानसिक इकाई की टीम और अस्पताल के अन्य कर्मचारी मौजूद रहें।

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