राष्ट्रीय पोषण माह:बोतल से दूध पीने वाले बच्चे हो रहे कुपोषण का शिकार, एनआरसी में अति गंभीर कुपोषित बच्चों का हो रहा प्रभावी उपचार
एनआरसी में इलाज के दौरान बच्चे को एंटीबायोटिक्स के साथ ओआरएस का घोल व सूक्ष्म पोषक तत्व भी दिए गए जाते हैं
लखनऊ,संवाददाता।
केस 1– अलीगंज क्षेत्र निवासी 17 माह का आफान, जिसका वजन मात्र 6.30 किग्रा था।वह डायरिया और डिहाइड्रेशन से पीड़ित होने पर आंगनबाड़ी कार्यकर्ता द्वारा बलरामपुर अस्पताल स्थित पोषण पुर्नवास केंद्र (न्यूट्रीशन रिहेबिलिटेशन सेंटर यानी एनआरसी) में भर्ती कराया गया था। जहाँ वह 16 दिन रहा और इस दौरान उपचार और उचित पोषण दिया गया। जिससे उसका वजन बढ़कर 7.30 किग्रा हो गया। यह केस अति गंभीर कुपोषण का था। जिसमें मुख्य कारण देर से ऊपरी आहार शुरू किया गया था।
केस दो– एक माह का रचित जिसका वजन मात्र 1.7 किग्रा था। जब एनआरसी में भर्ती हुआ तो उसका वजन जन्म के समय 2.5 किग्रा था। महीने भर में इतनी गिरावट की वजह से बच्चे को स्तनपान नहीं कराया गया था। इसकी माँ द्वारा बच्चें को फार्मूला मिल्क दिया जा रहा था। उसमें पानी की मात्रा ज्यादा थी।
बच्चों में कुपोषण का कारण छह माह तक उसको केवल स्तनपान न कराना आदि है
एनआरसी के नोडल अधिकारी और बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. देवेंद्र सिंह बताते हैं कि बच्चों में कुपोषण का कारण छह माह तक उसको केवल स्तनपान न कराना, अनुचित व अत्यधिक मात्रा में पानी मिला दूध, बोतल से दूध पिलाने और समय से ऊपरी आहार न शुरू करना व संक्रमण हैं। उपरोक्त केस में भी यही समस्या रही है। बच्चों में संक्रमण जैसे कि न्यूमोनिया, डायरिया, सेप्टीसीमिया, जन्म के समय कम वजन और समय से पूर्व बच्चे का जन्म आदि शिशु व बाल मृत्यु दर का मुख्य कारण होते हैं। शिशु एवं बाल मृत्यु दर में कमी लाने के उद्देश्य से 28 दिन से पाँच साल तक के उन बच्चों को जो अति गंभीर कुपोषण के साथ डायरिया या निमोनिया जैसी गंभीर बीमारियों से ग्रसित होते हैं उनके इलाज के लिए बलरामपुर जिला अस्पताल में 10 बेड का एनआरसी स्थापित है।
एनआरसी में बच्चे को एंटीबायोटिक्स के साथ ओआरएस व सूक्ष्म पोषक तत्व भी दिए जाते हैं
एनआरसी में इलाज के दौरान बच्चे को एंटीबायोटिक्स के साथ ओआरएस का घोल व सूक्ष्म पोषक तत्व भी दिए जाते हैं जिसके कारण बच्चे के वजन में 14 दिनों के भीतर अपेक्षित बढ़ोत्तरी होती है। एनआरसी में न केवल अति गंभीर कुपोषित बच्चों के स्वास्थ्य एवं पोषण की स्थिति में सुधार किया जाता है बल्कि माताओं को जन्म के तुरंत बाद स्तनपान कराने, छह माह तक केवल स्तनपान कराने और छह माह बाद स्तनपान के साथ पूरक आहार शुरू करने के बारे में भी जागरूक किया जाता है। इसके साथ ही उन्हें बताया जाता है कि खाना बनाते व खाना खिलाते समय सफाई का पूरा ध्यान रखें। इसके साथ ही दो साल तक स्तनपान जरूर कराएं। इस बात का विशेष ध्यान रखें कि पहले खाना खिलाएं और बाद में स्तनपान कराएं। यहाँ से डिस्चार्ज करने के बाद भी 15-15 दिनों पर लगातार दो माह तक बच्चे का फॉलोअप किया गया।
अति गंभीर कुपोषित बच्चों की स्क्रीनिंग समुदाय में आशा, आंगनबाड़ी कार्यकर्ता और राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम की टीम के द्वारा की जाती है।
भर्ती बच्चे के परिजन को मिलते हैं 50 रुपये रोजाना
Related Posts