गठबंधन की राजनीति के प्रबल पक्षधर रहे महासचिव कामरेड सीताराम येचुरी के निधन से सीपीएम को बहुत बड़ा झटका लगा है। साथ ही वामपंथी, धर्मनिरपेक्ष व लोकतांत्रिक ताकतों के लिए भी यह बहुत बड़ी क्षति है। 72 वर्षीय सीताराम येचुरी का लंबी बीमारी के बाद 12 सितम्बर को निधन हो गया। 19 अगस्त से नई दिल्ली के अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में फेफड़ों में संक्रमण का इलाज चल रहा था। उन्हें पहले आपातकालीन वार्ड में भर्ती कराया गया और बाद में गहन चिकित्सा इकाई (आईसीयू) में ले जाया गया। उनकी इच्छा के अनुरूप उनके पार्थिव शरीर को एम्स को दान कर दिया गया।
स्व० येचुरी सीपीआई (एम) के सर्वाेच्च नेता, वामपंथी आंदोलन के एक असाधारण नेता, जाने-माने मार्क्सवादी सिद्वांतकार, लेखक, पत्रकार, संपादक और उच्च कोटि के वक्ता थे। हाल के दिनो में कामरेड येचुरी की धर्मनिर्पेक्ष पार्टियों की एक व्यापक एकता के निर्माण में जिसने, इंडिया ब्लाक का रूप लिया, महत्वपूर्ण भूमिका थी।
गठबंधन की राजनीति के प्रबल पक्षधर थे स्व० येचुरी
इससे पूर्व संयुक्त मोर्चा सरकार के दौर में और आगे चलकर यूपीए सरकार के दौर में भी कामरेड सीताराम (सीपीएम इन गठबंधनो को समर्थन दे रही थी) मुख्य वार्ताकार और न्यूनतम साझा कार्यक्रम बनाने वालों में से एक थे। वे गठबंधन की राजनीति के प्रबल पक्षधर थे। वे अक्सर trotsky को कोट करते हुए कहते थे March seperately but strike together। न्यूनतम साझा कार्यक्रम से ही स्वामीनाथन कृषि आयोग, सूचना का अधिकार कानून, मनरेगा, वनाधिकार और खाद्यान्न सुरक्षा कानून जैसे जनहित के कदम उठाये गये।
माता पिता दोनों ही सरकारी अधिकारी थे
सीताराम का जन्म तेलुगू ब्राह्मण परिवार में हुआ था। उनके माता पिता दोनों ही सरकारी अधिकारी थे। वे धर्मनिरपेक्ष मूल्यों के कितने प्रबल समर्थक थे यह उनके राज्य सभा सांसद के रूप में दी गई आखिरी स्पीच से पता लगता है। जब वे कहते हैं कि उनका जन्म तेलुगू ब्राह्मण परिवार में हुआ था, विवाह सूफी परंपरा को मानने वाले मुस्लिम परिवार में हुआ तो उनका बेटा क्या कहलायेगा। निश्चित रूप से भारतीय कहलायेगा।
प्रथम श्रेणी में पास की थी हर परीक्षा
कामरेड सीताराम एक प्रतिभाशाली छात्र थे। उन्होने हर परीक्षा प्रथम श्रेणी में पास की थी। सीबीएससी में देश में टॉपर थे। वह 19़74 में जेएनयू के छात्र आंदोलन में शामिल हुये और तीन बार वहां छात्र संघ के अध्यक्ष चुने गये। वह 1984-86 तक एसएफआई के राष्ट्रीय अध्यक्ष रहे और इस संगठन को देश में बडी तादाद में छात्रों को जोडने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा की।
इमरजेंसी के दौरान जेल भी गए
कामरेड येचुरी 1975 में सीपीएम में शामिल हो गये थे। उन्हें इमरजेंसी के दौरान जेल भी काटनी पड़ी। इमरजेंसी के बाद 1977 की वह ऐतिहासिक तस्वीर आज बहुत वायरल हो रही है जब वे छात्रों की भीड़ के साथ तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को एक पत्र पढ़कर सुना रहे हैं जिसमें वे जेएनयू के छात्रों की ओर से उनसे जवाहरलाल नेहरु युनिवर्सिटी के कुलपति पद से इस्तीफा मांग रहे हैं। एक 23-24 साल के लड़के का साहस उनकी राजनैतिक निडरता को दिखाता है।
1992 में पार्टी की सर्वोच्च कमेटी पोलित ब्यूरो के सदस्य चुने गए
कामरेड सीताराम येचुरी सीपीएम की केंद्रीय कमेटी में 1985 में और फिर 1992 में पार्टी की सर्वोच्च कमेटी पोलित ब्यूरो के सदस्य चुने गए। 2015 में हुई 21वीं पार्टी कांग्रेस में वे सीपीएम के महासचिव चुने गये जिस पद पर वे अंतिम समय तक थे। वे 2005 से 2017 तक राज्य सभा के सदस्य रहे। वह एक प्रभावशाली वक्ता और सांसद थे। उनके विरोधी भी उनके भाषणों को बहुत ध्यान से सुनते थे। 2017 में उन्हें बेहतरीन सांसद का पुरस्कार भी मिला।
20 वर्षों से ज्यादा पीपुल्स डेमोक्रेसी के रहे संपादक
कामरेड येचुरी ने मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के अंतरराष्ट्रीय विभाग के प्रमुख के रूप में दुनिया की कम्युनिस्ट तथा प्रगतिशील ताकतों के साथ विभिन्न अंतरराष्ट्रीय मंचों में हिस्सा लिया और समाजवादी देशों के साथ साम्राज्यवाद विरोधी आंदोलन की एकजुटता को मज़बूत किया था। कामरेड येचुरी 20 वर्षों से ज्यादा अंग्रेजी के अखबार पीपुल्स डेमोक्रेसी के संपादक रहे। मार्क्सिस्ट पत्रिका के संपादक रहे। वे बेहद अध्ययन शील थे। एक विरले दर्जे के विद्वान जिन्हें हर क्षेत्र की जानकारी थी। वे बहुआयामी व्यक्तित्व के मालिक थे।
अंग्रेजी, हिंदी, तेलुगू के अलावा भी कई भाषाओं पर उनकी अच्छी पकड़ थी। उन्होंने विभिन्न विषयों पर किताबें लिखीं जिनमें “हिंदू राष्ट्र क्या है?” Communalism and secularism काफी चर्चित है।
धैर्यवान और ठोस परिस्थितियों में फैसले लेने के माहिर कामरेड येचुरी
कामरेड येचुरी धैर्यवान और ठोस परिस्थितियों के आधार पर आकलन कर फैसले लेने में माहिर थे। विश्वस्तर पर समाजवाद को लगे धक्के और देश में वामपंथी आंदोलन को संसदीय नुकसान के संबंध में गहराई से समीक्षा कर पार्टी के राजनैतिक रुख़ को सूत्रबद्ध करने में प्रमुख भूमिका अदा की थी। अपने मिलनसार स्वभाव और अपनी ईमानदार प्रतिबद्धता के कारण उनका राजनैतिक और सामाजिक दायरा बहुत व्यापक था।