यूपी में मलेरिया के मरीजों की संख्या में बढ़ोत्तरी,डॉ.विकास सिंघल बोलें-जलवायु परिवर्तन से बढ़े मरीज

साल 2021-22 में मलेरिया के 7039 व 2022-23 में 13603 मरीज सामने आये थे, जबकि इस साल अप्रैल से अब तक 9627 मरीज मिले

0 102
लखनऊ, संवाददाता।
उत्तर प्रदेश के विभिन्न जनपदों से गत वर्षों की तुलना में इस साल मलेरिया के मरीजों की संख्या में बढ़ोत्तरी ने चिंता बढ़ा दी है। साल 2021-22 में मलेरिया के 7039 व 2022-23 में 13603 मरीज सामने आये थे, जबकि इस साल अप्रैल से अब तक 9627 मरीज मिले हैं। इनमें सर्वाधिक संख्या तराई वाले जनपदों की है। जिसमें बदायूं में 2750, बरेली 1347, हरदोई 1333, सीतापुर 850, शाहजहांपुर 623, लखनऊ 543, लखीमपुर 485 व पीलीभीत 362 मलेरिया के मरीज मिले हैं।
इस साल मलेरिया के बढ़ने का प्रमुख कारण जलवायु परिवर्तन है- डॉ. विकास सिंघल
राष्ट्रीय वेक्टर जनित रोग नियंत्रण कार्यक्रम के संयुक्त निदेशक डॉ. विकास सिंघल बताते हैं कि इस साल इस बीमारी के बढ़ने का प्रमुख कारण जलवायु परिवर्तन है। अगर ध्यान दें तो देखेंगे कि पहले बारिश और उसके बाद डेंगू बुखार होता था, जबकि अब पूरे साल इसके मरीज सामने आते हैं।
मलेरिया से निपटने के लिए लगातार कराए जा रहे काम
डॉ. सिंघल बताते हैं कि मलेरिया से निपटने के लिए लगातार विभिन्न गतिविधियां कराई की जा रही हैं। उत्तर प्रदेश के सभी सरकारी, निजी अस्पतालों एवं प्रयोगशालाओं द्वारा चिन्हित मलेरिया रोगियों का विवरण रियल टाइम के आधार पर यूडीएसपी पोर्टल पर अंकित किया जा रहा है।
आरोग्य मंदिरों, सीएचसी एवं जिला अस्पतालों में आरडीटी से की जा रही मलेरिया की जांच
उत्तर प्रदेश के आयुष्मान आरोग्य मंदिरों, सीएचसी एवं जिला अस्पतालों में रैपिड डायग्नोस्टिक टेस्ट किट (आरडीटी) के मध्यम से मलेरिया की जांच की जा रही है। जबकि सीएचसी एवं जिला अस्पतालों में आरडीटी के साथ-साथ माइक्रोस्कोपिक जांच भी की जा रही है। इसके साथ ही एक पहल के अधीन जिन जनपदों के गाँवो में वर्ष 2023 में 1000 की आबादी में एक से ज़्यादा मलेरिया के मरीज मिले हैं वहां सिंथेटिक पाइरोथ्रोइड्स का छिडकाव (इंडोर रेसिडुअल स्प्रे) किया जा रहा है। यह डीडीटी के मुकाबले ज्यादा प्रभावशाली है। इसमें हरदोई, बरेली, बदायूं, सीतापुर, कानपुर देहात, संभल, शाहजहांपुर, पीलीभीत, लखीमपुर और सोनभद्र जनपद शामिल हैं। इसके अलावा सभी चिकित्सा इकाइयों को आकस्मिक स्थिति से निपटने के लिए व्यवस्था सुनिश्चित करने के लिए निर्देशित किया गया है।
मलेरिया मादा एनाफिलिज मच्छर के काटने से होने वाली गम्भीर और संक्रामक बीमारी
मलेरिया मादा एनाफिलिज मच्छर के काटने से होने वाली गम्भीर और संक्रामक बीमारी है। मलेरिया का परजीवी रक्त कोशिकाओं को नुकसान पहुंचाता है। यह बीमारी किसी भी आयु वर्ग में हो सकती है, लेकिन गर्भवती, छोटे बच्चे, एचआइवी ग्रसित या कमजोर प्रतिरोधक क्षमता वाले लोग इस बीमारी की चपेट में आ सकते हैं। सरकार ने मलेरिया उन्मूलन का लक्ष्य साल 2030 तक रखा है।
मलेरिया के लक्षण
इसमें जाड़ा लगकर बुखार आता है। इसके साथ ही मांसपेशियों में दर्द, जोड़ों में दर्द, उल्टी, थकान, जी मिचलाना और दस्त जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ता है। समय पर इलाज न मिलने से स्थित गंभीत हो जाती है। बेहोशी, आँखों का पीलापन या शरीर का पीला होना, रक्तस्राव, गहरे रंग की पेशाब होना या पेशाब में खून आना इसके गंभीर लक्षण हैं। इस बात का ध्यान रखें कि अगर उपरक्त कोई भी लक्षण दिखाई दें या जाड़ा लगकर बुखार आये तो तुरंत पास के स्वास्थ्य केंद्र पर जाकर जांच और इलाज कराएँ जो कि निशुल्क है। कोई भी दवा या इलाज स्वयं न करें। प्रशिक्षित चिकित्सक से ही जाँच और इलाज करायें। मलेरिया का मच्छर रात में काटता है। इसलिए सोते समय मच्छरदानी, मच्छररोधी क्रीम का उपयोग करें। घर में एवं घर के आस पास कहीं भी पानी इकट्ठा न होने दें।
Leave A Reply

Your email address will not be published.