लखनऊ PGI के रेजिडेंट डॉक्टर भूख हड़ताल पर बैठे, कोलकाता में महिला डॉक्टर के हत्यारों पर कार्रवाई की मांग

बिना इलाज लौटे 300 मरीज, कई मरीजों के ऑपरेशन टले तो कई की नहीं हो सकी जांच

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लखनऊ, संवाददाता।

कोलकाता में महिला रेजिडेंट डॉक्टर के साथ हुई दरिंदगी के खिलाफ SGPGI के रेजिडेंट डॉक्टरों ने बुधवार को भी कार्य बहिष्कार किया। रेजिडेंट डॉक्टरों ने भूख हड़ताल की। कई सीनियर डॉक्टर OPD में सुबह 11 बजे के बाद पहुंचे तो पुराने मरीजों को इलाज मिलना शुरू हो सका। इन रेजिडेंटों के विरोध के चलते दूसरे दिन भी PGI की OPD में इलाज के लिए पहुंचे करीब 300 मरीजों को बिना इलाज के लौटना पड़ा। कई मरीजों के ऑपरेशन टले तो कई की जांच नहीं हो सकी।

उत्तर प्रदेश के अलावा बिहार, नेपाल, झारखंड, छत्तीसगढ़ समेत दूसरे राज्यों से रोजाना सैकड़ों आते हैं यहां मरीज

लखनऊ के SGPGI में उत्तर प्रदेश के अलावा बिहार, नेपाल, झारखंड, छत्तीसगढ़ समेत दूसरे राज्यों से रोजाना सैकड़ों मरीज आते हैं। इनमें से रोजाना अलग-अलग OPD में सात सौ से अधिक नए मरीज इलाज कराने पहुंचते हैं। मंगलवार को शुरू हुई रेजिडेंट डॉक्टरों की हड़ताल की जानकारी मिलने पर OPD में बुधवार को कम मरीज ही पहुंचे। इनमें से करीब 300 नए व पुराने मरीजों को बिना इलाज के ही लौटना पड़ा, जबकि पुरानी तारीख पर आए मरीजों को देरी से इलाज मिला। कई मरीजों के ऑपरेशन टाल दिए गए। इसके अलावा अल्ट्रासाउंड, MRI की नई तारीखें देकर लौटा दिया गया। मंगलवार को भी एक हजार मरीजों को बिना इलाज लौटना पड़ा था।

रेजिडेंट संस्थान के पीएमएसएसवाई ब्लॉक के मुख्य गेट पर ही बैठकर भूख हड़ताल करते रहे रेजिडेंट

PGI रेजिडेंट एसोसिएशन के अध्यक्ष डॉ. अंशुमान और महासचिव डॉ. संजय की अगुवाई में अधिक संख्या में रेजिडेंट संस्थान के पीएमएसएसवाई ब्लॉक के मुख्य गेट पर ही बैठकर भूख हड़ताल करते रहे।

डॉ. संजय का कहना है कि कई रेजिडेंट ने भी मरीजों को इलाज दिया है। भूख हड़ताल पर बैठे रेजिडेंट डॉक्टर में डॉ. अजीत झा, डॉ. प्रिशा, डॉ. सुमित जैन, डॉ. उज्ज्वला के मुताबिक कोलकाता में महिला डॉक्टर के साथ हुई हैवानियत की घटना बहुत ही निंदनीय है। इस घटना ने अस्पतालों के डॉक्टरों की सुरक्षा पर भी सवाल खड़े किए हैं।

इससे पहले भी 11 दिन तक चला था हड़ताल

इससे पहले भी रेजिडेंट 13 से 24 अगस्त तक 11 दिन तक हड़ताल कर चुके हैं। सुप्रीम कोर्ट और सरकार के आश्वासन पर डॉक्टरों ने कामकाज शुरू कर दिया था। मांग है कि डॉक्टरों के मामलों को स्पेशल केस की तरह देखा जाए। अभी तक उचित कार्रवाई न होने से ही दोबारा आंदोलन शुरू किया गया है।

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