जनजातीय समुदाय हमारे देश का शौर्य है: उपराष्ट्रपति

उपराष्ट्रपति ने जनजातीय संस्कृति के राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सम्मान का आह्वान किया

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नई दिल्ली
भारत के उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने शनिवार को कहा कि जनजातीय समुदाय हमारे देश का शौर्य है। उन्होंने कहा कि जनजातीय संस्कृति और धरोहर को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सम्मान मिलना चाहिए। जनजातीय संस्कृति का राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सम्मान होना चाहिए। मैं जहां भी जाता हूँ, मंत्रमुग्ध हो जाता हूँ जनजाति की शैली, उनकी संस्कृति, उनका म्यूजिक, उनकी जनजातीय विशेषताएं, उनकी प्रतिभा, खेल हो चाहे कुछ भी हो।
वनवासी कल्याण आश्रम विद्यालय प्रांगण, उदयपुर में भगवान बिरसा मुंडा की 150वीं जयंती के अवसर पर मुख्य अतिथि के रूप में सभा को संबोधित करते हुए उपराष्ट्रपति ने सांस्कृतिक अखंडता पर मंडराने वाले खतरों के बारे में चेताया। उन्होंने कहा कि सुनियोजित तरीके से प्रलोभन देकर जनजातियों की आस्था को बदलने की कोशिश हो रही है। मैं इसे एक कुप्रयास मानता हूँ। चिकनी-चुपड़ी बातें करके, हमारा हितैषी बनकर, हमें लालच देकर, हमें लुभाकर, हमारी आस्था को बदलने की कोशिश हो रही है। हमारी सांस्कृतिक धरोहर हमारी नींव है। जब नींव हिल जाएगी तो कोई भी इमारत सुरक्षित नहीं है। सुनियोजित तरीके से, षड्यंत्रकारी तरीके से, प्रलोभन देकर आकर्षण करने की प्रक्रिया जो मैं देख रहा हूँ देश में उस पर अंकुश लगाने की आवश्यकता है। जनजातीय वर्ग हमारे भारत का शौर्य है।

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