प्रिंसिपलों को बना दिया SMC के हाथों की कठपुतली, अब दिखा रखे झूठा सम्मान : BJP
दिल्ली सरकार के स्कूलों मे खाली से आधे से ज्यादा पद, उपराज्यपाल को लेना पड़ा एक्शन, लगाए गए 375 प्रिंसिपल
नई दिल्ली
दिल्ली सरकार के स्कूलों में शिक्षा सुधार की बात करना और उसके लिए प्रिंसिपल को श्रेय देना झूठा दिखावा है। दिल्ली सरकार ने कभी प्रिंसिपलों को उनका सम्मान ही नहीं दिया, बल्कि आम आदमी पार्टी के नेताओं से बने एसएमसी के हाथों की कठपुतली बना कर रखा। यह कहना है दिल्ली प्रदेश भाजपा के प्रवक्ता प्रवीण शंकर कपूर का।
दिल्ली की शिक्षा मंत्री आतिशी को स्कूल के प्राचार्यों के प्रति सम्मान दिखाते और सरकारी स्कूलों के शैक्षिक मानकों में सुधार के लिए उनके सुझाव मांगते देख प्रवीण शंकर कपूर ने आश्चर्यजनक व्यक्त किया है। उनका कहना है कि पिछले 8 वर्षों में केजरीवाल सरकार ने सभी सरकारी स्कूलों में स्कूल प्रबंधन समितियों का गठन करके स्कूल प्रबंधन में स्कूल प्रिंसिपलों की भूमिका को महत्वहीन बना दिया। इन समिति में कहने के लिए प्रधानाध्यापक अध्यक्ष होते हैं, लेकिन उन्हें कोई काम करने नहीं दिया जाता।
इस समिति में उपाध्यक्ष और एक विधायक प्रतिनिधि सहित 9 निर्वाचित सदस्य आम आदमी पार्टी से है।जो शिक्षा में सुधार के लिए काम करने ही नहीं देते।
उनका कहना है कि एसएमसी प्रधानाचार्यों को शैक्षिक सुधार के लिए कोई भी स्वतंत्र निर्णय लेने की अनुमति नहीं देती। बल्कि इन समितियों के गठन के बाद छात्रों या उनके अभिभावकों द्वारा शैक्षणिक स्टाफ के प्रति हिंसक हमलों की घटनाएं बढ़ी हैं।
उपराज्यपाल को करना पड़ा हस्तक्षेप
कुछ समय पहले तक दिल्ली के सरकारी स्कूलों में मुश्किल से 40 फीसदी तक प्रिंसिपल थे। खाली पदों को देखते हुए दिल्ली के उपराज्यपाल वीके सक्सेना को पहल करते हुए इन्हें लगाना पड़ा। उन्होंने करीब 375 स्कूल प्रिंसिपलों की नियुक्ति करवाई।
ऐसे में आतिशी को यह बताना चाहिए कि अगर वह स्कूलों को बेहतर बनाने के लिए स्कूल प्रिंसिपलों को महत्वपूर्ण मानती हैं तो आज भी दिल्ली के 1043 सरकारी स्कूलों में से 22% में प्रिंसिपल क्यों नहीं हैं और स्कूल के हर छोटे फैसले की एस.एम.सी. से मंजूरी क्यों लेनी पड़ती है जिसने प्रधानाध्यापकों को एस.एम.सी. के ‘आप’ सदस्यों के हाथों की कठपुतली बना दिया है।