इन्हेलर्स के साथ करें योग, सांस के रोगी रहेंगे हमेशा निरोग: डॉ. सूर्यकान्त

अलर्जी, अस्थमा की राष्ट्रीय कांफ्रेंस में डा. सूर्य कान्त ने दिया विशेष व्याख्यान

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Indinewsline, New Delhi/Lucknow:
सांस की बीमारियों में इन्हेलर्स के साथ-साथ योग, प्राणायाम और ध्यान भी किया जाये तो सांस में पूरी तरह आराम मिलता है। कार्य करने की क्षमता बढ़ती है, सांस का अटैक नहीं आता है, जीवन की गुणवत्ता बढ़ती है। इसके साथ ही इन्हलेर्स की डोज भी कम हो जाती है तथा फेफड़े की कार्य क्षमता में भी सुधार होता है।

डॉ. सूर्यकान्त ने दिल्ली में अस्थमा की 58 वीं राष्ट्रीय कांफ्रेंस को किया संबोधित
यह जानकारी लखनऊ स्थित King George’s Medical University (KGMU) के रेस्पिरेटरी मेडिसिन विभाग के अध्यक्ष डॉ. सूर्य कान्त ने दी। वह दिल्ली में पटेल चेस्ट इंस्टिट्यूट में शुक्रवार से शुरू हुई इंडियन कॉलेज ऑफ़ अलर्जी, अस्थमा की 58 वीं राष्ट्रीय कांफ्रेंस को संबोधित कर रहे थे। कांफ्रेंस 22 दिसम्बर तक चलेगी। डॉ. सूर्य कान्त ने सांस की बीमारियों के प्रबन्धन में योग की भूमिका पर विशेष व्याख्यान दिया।

सांस सम्बन्धी बीमारियों के लिए योग एक सहयोगी चिकित्सा
डॉ. सूर्यकान्त ने बताया कि सांस सम्बन्धी बीमारियों के लिए योग एक सहयोगी चिकित्सा है, लेकिन यह इन्हलेर्स का विकल्प नहीं है औऱ सांस के रोगी अपने चिकित्सक की सलाह पर इन्हेलर्स के साथ योग का अभ्यास कर पूरी तरह स्वस्थ रह सकते हैं और अपने सभी दैनिक काम कर सकते हैं।

अस्थमा में योग और प्राणायाम का प्रभाव पर दुनिया की पहली पीएचडी तथा पोस्ट डाक्टरल फेलोशिप KGMU में हुई
डॉ. सूर्य कान्त ने बताया कि अस्थमा में योग और प्राणायाम का प्रभाव विषय पर दुनिया की पहली पीएचडी तथा पोस्ट डाक्टरल फेलोशिप KGMU के रेस्पिरेटरी मेडिसिन विभाग में उनके मार्गदर्शन में हुई तथा इस विषय पर 25 शोध पत्र प्रकाशित हो चुके हैं। जो कि इस विषय पर एक ही चिकित्सक द्वारा प्रकाशित किए गए शोध का विश्व रिकॉर्ड है।

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