दिल्ली में शराब के कुछ ब्रांड को दिया गया बढ़ावा: CAG report

दिल्ली विधानसभा में पेश की गई कैग रिपोर्ट

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नई दिल्ली

नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) की एक रिपोर्ट के अनुसार, 2021-22 की दिल्ली आबकारी नीति ने कुछ थोक विक्रेताओं और निर्माताओं के बीच विशेष व्यवस्था के माध्यम से एकाधिकार और ब्रांड को बढ़ावा देने का जोखिम पैदा किया, जिससे वितरकों को शराब की आपूर्ति श्रृंखला में प्रभुत्व रखने की अनुमति मिली। इनमें से केवल तीन वितरक दिल्ली में कुल शराब आपूर्ति श्रृंखला के 71 प्रतिशत से अधिक हिस्से को नियंत्रित कर रहे थे।  मंगलवार को दिल्ली विधानसभा में पेश की गई रिपोर्ट में बताया गया है कि 367 पंजीकृत आईएमएफएल ब्रांड में से 25 ब्रांडों की दिल्ली में कुल शराब की बिक्री में लगभग 70 प्रतिशत हिस्सेदारी थी।

रिपोर्ट के मुताबिक नीति में निर्माता और थोक विक्रेताओं के बीच एक विशेष व्यवस्था अनिवार्य कर दी गई, जिसके कारण किसी विशेष निर्माता के सभी ब्रांडों की पूरी आपूर्ति केवल एक थोक विक्रेता द्वारा नियंत्रित की जा रही थी। रिपोर्ट में कहा गया है, यह इस तथ्य को देखते हुए विशेष रूप से प्रासंगिक हो जाता है कि दिल्ली में 367 आईएमएफएल ब्रांड पंजीकृत थे, लेकिन बहुत कम लोकप्रिय ब्रांड बिक्री की बड़ी मात्रा से जुड़े थे।  पिछली आम आदमी पार्टी सरकार के प्रदर्शन पर मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता के नेतृत्व वाली नई सरकार द्वारा पेश की जाने वाली 14 में से एक सीएजी रिपोर्ट में कहा गया है कि शराब के शीर्ष 10 ब्रांड की दिल्ली में बिकी शराब में 46.46 प्रतिशत हिस्सेदारी थी, जबकि शीर्ष 25 ब्रांडों की हिस्सेदारी 69.50 प्रतिशत थी।

इसमें कहा गया, इन 25 सबसे अधिक बिकने वाले ब्रांड में से, ब्रिंडको और महादेव लिकर ने विशेष रूप से सात-सात ब्रांड की आपूर्ति की, इसके बाद इंडोस्पिरिट ने विशेष रूप से छह ब्रांड की आपूर्ति की।  रिपोर्ट के अनुसार इसके अलावा, 13 थोक लाइसेंसधारियों द्वारा आपूर्ति वाले आईएमएफएल के 367 ब्रांड में से, सबसे अधिक ब्रांड की विशेष रूप से इंडोस्पिरिट (76 ब्रांड) द्वारा आपूर्ति की गई, उसके बाद महादेव लिकर (71 ब्रांड) और ब्रिंडको (45 ब्रांड) का स्थान रहा। दिल्ली में शराब की बिक्री में इन तीन थोक विक्रेताओं की हिस्सेदारी 71.70 प्रतिशत रही। कथित शराब घोटाले पर रिपोर्ट में संकेत दिया गया कि 2021-22 की नीति में अंतर्निहित डिजाइन के मुद्दे थे, जिसमें निर्माताओं और थोक विक्रेताओं के बीच थोपी गई विशिष्टता व्यवस्था और प्रत्एक क्षेत्र में न्यूनतम 27 वार्डों के साथ खुदरा क्षेत्रों का गठन शामिल था।  इन मुद्दों के परिणामस्वरूप कुल लाइसेंसधारियों की संख्या सीमित हो गई और एकाधिकार और कार्टेल गठन का जोखिम बढ़ गया। यह देखा गया कि आईएमएफएल और एफएल की आपूर्ति के लिए थोक लाइसेंस 14 व्यावसायिक इकाइयों को दिए गए थे, जबकि पुरानी नीति (2020-21) में आईएमएफएल के 77 निर्माताओं और एफएल के 24 आपूर्तिकर्ताओं को दिए गए थे।

रिपोर्ट में कहा गया, इसी तरह, खुदरा दुकानों के उद्देश्य से, दिल्ली को 32 क्षेत्रों (जिसमें 849 दुकानें हैं) में विभाजित किया गया था, जिनके लाइसेंस 22 संस्थाओं को निविदा के माध्यम से दिए गए थे, जबकि 377 खुदरा दुकानें चार सरकारी निगमों द्वारा संचालित की जा रही थीं और 262 खुदरा दुकानें पहले निजी व्यक्तियों को आवंटित की गई थीं। कैग की रिपोर्ट के अनुसार, तत्कालीन उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया की अध्यक्षता वाले मंत्रियों के समूह ने अपनी रिपोर्ट में उल्लेख किया था कि पूरे शराब खुदरा बाजार को स्पष्ट रूप से एक धोखाधड़ी वाले प्रॉक्सी (छद्म) मॉडल के माध्यम से बहुत कम लोगों द्वारा नियंत्रित किया जा रहा था।

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