यूपी के 47 जिलों की 15.56 करोड़ जनसंख्या में खोजे जाएंगे कुष्ठ मरीज, लखनऊ में MLC ने किया शुभारम्भ, 14 दिनों तक चलेगा अभियान

केंद्र सरकार ने साल 2027 तक रखा है कुष्ठ उन्मूलन का लक्ष्य

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Indinewsline, Lucknow:
लखनऊ समेत उत्तर प्रदेश के 47 जनपदों में कुष्ठ रोगी खोजी अभियान की शुरूआत हुई। लखनऊ के नवल किशोर रोड स्थित CHC से MLC मुकेश शर्मा ने शनिवार को अभियान का शुभारम्भ किया। राष्ट्रीय कुष्ठ उन्मूलन कार्यक्रम के तहत एक को शुरू हुआ 14 दिवसीय अभियान 12 मार्च तथा 17 और 18 मार्च को चलेगा। यह अभियान उन जनपदों में चलाया जा रहा है जहां या तो कुष्ठ के मरीजों की संख्या ज्यादा है या मानव संसाधन के अभाव में उनकी पहचान नहीं हो पा रही है।

हर कुष्ठ रोगी तक पहुंचकर त्वरित जांच और इलाज देकर उन्हें ग्रेड-2 की श्रेणी में जाने से रोकने का प्रयास
राज्य कुष्ठ अधिकारी डॉ. जया देहलवी ने बताया कि केंद्र सरकार ने साल 2027 तक कुष्ठ उन्मूलन का लक्ष्य रखा है। राज्य सरकार की प्राथमिकता है कि हर कुष्ठ रोगी तक पहुंचा जाए और त्वरित जांच और इलाज देकर उन्हें ग्रेड-2 की श्रेणी में जाने से रोका जा सके।

कार्यकर्ता घर-घर जाकर कुष्ठ रोगियों की लक्षण के आधार पर करेंगे जांच


अभियान के तहत स्वास्थ्य कार्यकर्ता घर-घर जाकर कुष्ठ रोगियों की लक्षण के आधार पर जांच करेंगे। इस अभियान में ट्रेस, टेस्टिंग और ट्रीटमेंट की प्रक्रिया अपनाते हुए रोगी की शीघ्र पहचान, जांच और इलाज किया जाता है।

47 जनपदों की 15.56 करोड़ की जनसंख्या को आच्छादित किये जाने का लक्ष्य
अभियान में 47 जनपदों की 15.56 करोड़ की जनसंख्या को आच्छादित किये जाने का लक्ष्य है। यह अभियान सभी शहरी एवं ग्रामीण क्षेत्रों में चलेगा। इस अभियान को सुचारू रूप से चलाने के लिए 1,55, 575 टीम बनाई गयी है। एक टीम में दो लोग हैं।

कुष्ठ रोगियों का सभी स्वास्थ्य इकाइयों पर एमडीटी के माध्यम से मिलता है नि:शुल्क इलाज
राज्य कुष्ठ अधिकारी ने बताया कि कुष्ठ रोगियों का सभी स्वास्थ्य इकाइयों पर मल्टी ड्रग ट्रीटमेंट (एमडीटी) के माध्यम से नि:शुल्क इलाज किया जाता है। एमडीटी के उपचार के बाद इस रोग की पुनरावृत्ति दुर्लभ होती है। इस रोग से पीड़ित व्यक्ति की करेक्टिव सर्जरी नि:शुल्क की जाती है और मरीज को श्रम ह्रास के बदले में 12 हजार रुपए दिए जाते हैं। कुष्ठ रोग के लक्षण नजर आने पर अपने क्षेत्र की आशा या एएनएम से संपर्क करें या निकटतम स्वास्थ्य केंद्र पर जाकर परामर्श लें।

कुष्ठ रोगी की पहचान होते ही आस- पास के 10 घरों में सभी को खिलाई जाती है बचाव की एक खुराक


जिस घर में कुष्ठ रोगी की पहचान होती है, उस घर के आस- पास के 10 घरों में कुष्ठ रोग से बचाव की एक खुराक सभी को खिलाई जाती है। इसलिए जब भी स्वास्थ्य कार्यकर्ता यह दवा खिलाने आयें तो बगैर संकोच के इसका सेवन करें क्योंकि कुष्ठ से बचाव की दवा का सेवन करने से कुष्ठ होने की सम्भावना 60 फीसद कम हो जाती है।

2022 से अब तक मिले इतने कुष्ठ मरीज
प्रदेश में साल 2024-25 में 10, 316 वर्ष 2023-24 में 13,475, 2022-23 में 12,801 और 2021-22 में 9946 कुष्ठ रोगी मिले। इसके साथ ही कुष्ठ से दिव्यांग हुए लोगों की संख्या साल 2023-24 में 103, 2022-23 में 106 और 2021-22 में 110 है।

कुष्ठ ‘माइकोबैक्टीरियम लेप्रे’ जीवाणु से होने वाला संक्रामक रोग
कुष्ठ ‘माइकोबैक्टीरियम लेप्रे’ नामक जीवाणु के कारण होने वाला संक्रामक रोग है। यह त्वचा के अल्सर, तंत्रिका क्षति और मांसपेशियों को कमजोर करता है। कुष्ठ रोग में त्वचा पर ताम्बई रंग के धब्बे दिखाई देते हैं जो कि सुन्न होते हैं। रोग की शुरुआत बहुत धीमी गति व शांति से होती है। यह तंत्रिकाओं, त्वचा और आंखों को प्रभावित करता है।

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