UP के फाइलेरिया प्रभावित 27 जिलों में चलेगा अभियान,घर-घर खिलाई जाएगी फाइलेरिया रोधी की दवा
2 वर्ष से कम उम्र के बच्चों, गर्भवती व बीमार को नहीं खानी है दवा
लखनऊ। उत्तर प्रदेश के फाइलेरिया प्रभावित 27 जनपदों में 10 अगस्त से अभियान चलेगा। तीन दवाओं डी.ई.सी. और एल्बेन्डाजोल और आईवरमेक्टिन के साथ मास ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन कार्यक्रम (IDA)शुरू किया जा रहा है। फाइलेरिया उन्मूलन कार्यक्रम के सम्बन्ध में चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग वेक्टर बोर्न डिजीज़ अपर निदेशक डॉ. भानु प्रताप सिंह कल्याणी ने कहा कि संक्रमित मच्छर के काटने से किसी भी आयु वर्ग में होने वाला यह संक्रमण लिम्फैटिक सिस्टम को नुकसान पहुंचाता है और अगर इससे बचाव न किया जाए तो इससे शारीरिक अंगों में असामान्य सूजन होती है। उन्होंने कहा कि फाइलेरिया के कारण चिरकालिक रोग जैसे हाइड्रोसील (अंडकोष की थैली में सूजन), लिम्फेडेमा (अंगों की सूजन) व काइलुरिया (दूधिया सफेद पेशाब) से ग्रसित लोगों को अक्सर सामाजिक बोझ सहना पड़ता है, जिससे उनकी आजीविका व काम करने की क्षमता भी प्रभावित होती है।
उन्होंने बताया कि इस अभियान में सभी वर्गों के लाभार्थियों को फाइलेरिया रोधी दवाईयों की निर्धारित खुराक प्रशिक्षित स्वास्थ्यकर्मियों द्वारा बूथ एवं घर-घर जाकर अपने सामने मुफ्त खिलाई जाएगी। उन्होंने कहा कि किसी भी स्थिति में दवा का वितरण नहीं किया जायेगा। ये दवाएं खाली पेट नहीं खानी हैं।
2 वर्ष से कम उम्र के बच्चों, गर्भवती व बीमार
को नहीं खानी है दवा
फाइलेरिया राज्य कार्यक्रम अधिकारी डॉ. वी.पी.सिंह ने बताया कि इस दौरान 2 वर्ष से कम उम्र के बच्चों, गर्भवती महिलाओं और अति गंभीर रूप से बीमार व्यक्तियों को ये दवाएं नहीं खिलाई जाएगी।
डॉ. सिंह ने बताया कि मोर्बिडिटी मैनेजमेंट एंड डिसेबिलिटी प्रिवेंशन (एम.एम.डी.पी.) यानि रुग्णता प्रबंधन एवं विकलांगता की रोकथाम द्वारा लिम्फेडेमा से संक्रमित व्यक्तियों की देखभाल एवं हाइड्रोसील के मरीजो का समुचित इलाज प्रदान किया जा रहा है।
डॉ. सिंह ने यह भी बताया कि फाइलेरिया रोधी दवाएं पूरी तरह सुरक्षित हैं। रक्तचाप, शुगर, अर्थरायीटिस या अन्य सामान्य रोगों से ग्रसित व्यक्तियों को भी ये दवाएं खानी हैं। सामान्य लोगों को इन दवाओं के खाने से किसी भी प्रकार के दुष्प्रभाव नहीं होते हैं और अगर किसी को दवा खाने के बाद उल्टी, चक्कर, खुजली या जी मिचलाने जैसे लक्षण होते हैं तो यह इस बात का प्रतीक हैं कि उस व्यक्ति के शरीर में फाइलेरिया के परजीवी मौजूद हैं, जोकि दवा खाने के बाद परजीवियों के मरने के कारण उत्पन्न होते हैं।
उन्होंने कहा कि कार्यक्रम के दौरान किसी लाभार्थी को दवा सेवन के पश्चात किसी प्रकार की कोई कठिनाई प्रतीत होती है तो उससे निपटने के लिए हर ब्लॉक में रैपिड रेस्पोंस टीम तैनात रहेगी।
उन्होंने यह भी बताया कि यदि समुदाय के सभी लोग 5 साल तक लगातार साल में केवल 1 बार फाइलेरिया रोधी दवाओ का सेवन करे तो प्रदेश से फाइलेरिया का उन्मूलन संभव है।
ग्लोबल हेल्थ स्ट्रेटजीज के अनुज घोष ने कहा कि मीडिया की भूमिका सरकार द्वारा चलाये जा रहे सभी कार्यक्रम के सफल किर्यान्वयन के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है।
ये हैं यूपी के 27 जिले
राष्ट्रीय फाइलेरिया उन्मूलन कार्यक्रम के अंतर्गत 10 अगस्त से फाइलेरिया प्रभावित 27 जनपदों औरैया, बहराइच, बलरामपुर, बस्ती, देवरिया, इटावा, फर्रुखाबाद, गाजीपुर, गोंडा, गोरखपुर, कन्नौज, कुशीनगर, महाराजगंज, रायबरेली, संतकबीर नगर, श्रावस्ती, सिद्धार्थनगर और सुल्तानपुर में दो दवाओं डी.ई.सी. और एल्बेन्डाजोल के साथ और चंदौली, फतेहपुर, हरदोई, कानपुर देहात, कानपुर नगर, कौशाम्बी, खीरी, मिर्जापुर, सीतापुर, हरदोई में तीन दवाओं डी.ई.सी. और एल्बेन्डाजोल और आईवरमेक्टिन के साथ मास ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन कार्यक्रम (आईडीए) शुरू किया जा रहा है।
इस अवसर पर चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी, विश्व स्वास्थ्य संगठन, पाथ, प्रोजेक्ट कंसर्न इंटरनेशनल, सीफार, ग्लोबल हेल्थ स्ट्रेटजीज के प्रतिनिधि एवं स्थानीय मीडिया सहयोगी भी उपस्थित थे।