CM रहते हुए मोदी ने गुजरात में अपने मित्र अडानी के साथ किया था समझौता,PM बनते ही कर दी बिजली महंगी-संजय सिंह
मोदी-अडानी के भ्रष्टाचार पर ED, CBI, इनकम टैक्स डिपार्टमेंट एजेंसियां धृतराष्ट्र बन गई-संजय सिंह
नई दिल्ली। Aam Aadmi Party के UP प्रभारी व सांसद संजय सिंह ने कहा है की PM मोदी ने अपने गृह प्रदेश गुजरात को लूटने के लिए अपने दोस्त अडानी को खुली छूट दे दी है।
आप राज्य सभा सांसद संजय सिंह ने कहा की
2007 में जब नरेंद्र मोदी जी गुजरात के मुख्यमंत्री थे, उस वक्त उन्होंने अडानी के साथ एक समझौता किया कि कंपनी 2.25 पैसे प्रति यूनिट के रेट पर 25 साल तक बिजली देगी। लेकिन मोदी के पीएम बनते ही 2018 में कोयला महंगा होने की दलील देकर बिजली महंगी कर दी है, जिस पर गुजरात सरकार ने कुछ शर्तों के साथ मुहर लगा दी।
संजय सिंह ने कहा की कि इस मामले में सरकार को गुमराह किया क्योंकि आर्गस ग्लोबल कंपनी बताती है की अडानी को विदेश से कोयला खरीदने की क्या जरूरत है, जब भारत कोयले के उत्पाद के मामले में एक सरप्लस देश है।
पिछले साल ही 30 प्रतिशत कोयले का उत्पादन भारत में बढ़ा है। भारत अपने यहाँ के कोयले को हर राज्य सरकार को भेजती है।
उन्होंने कहा की गुजरात सरकार ने चिट्ठी की शर्त के मुताबिक 2018 से 2023 तक दुनिया के देशो द्वारा तय दाम पर पेमेंट होती रही। अडानी जो रेट बताता रहा गुजरात सरकार भुगतान करती रही। इसके तहत 13802 करोड रुपए गुजरात के लोगों की जेब से निकालकर अदानी की जेब में भर दिया गया।
संजय सिंह ने आरोप लगाया की गुजरात सरकार आर्गस ग्लोबल कंपनी के रेट को बिना वेरीफाई किए ही अडानी को सारा पेमेंट करती रही।
भला हो हिंडेनबर्ग की रिपोर्ट का जिसके बाद मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा तो गुजरात सरकार घबराई और 15 मई 2023 को एक चिट्ठी लिखी कि आपने कहां से कितने का कोयला खरीदा इसका कोई प्रमाण नहीं दिया। जिस वक्त आपने इंडोनेशिया में कोयला का रेट ज्यादा बताया था, उस वक्त वहां पर कोयले का रेट सस्ता था। भ्रष्टाचार और झूठ बोलकर पेमेंट करवाई गई इसलिए आप 3802 करोड रुपए वापस कीजिए।
AAP ने कहा की गुजरात के उन तमाम अधिकारियों और मंत्रियों के खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए जिन्होंने 2018 से लेकर 2023 तक फर्जी बिलों पर हस्ताक्षर किया और भुगतान किया। आप ने तीन सवाल किए है।
1-जब 2007 में 25 सालों के लिए ₹2.25 पैसे प्रति यूनिट बिजली देने का एग्रीमेंट साइन हुआ था तो 2018 में किसके दबाव में वह एग्रीमेंट परिवर्तित हुआ?
2-जब 5 सालों तक अडानी अपना बिल लगा रहा था, कोयले के बढ़े हुए दाम दिखाता था तो गुजरात सरकार के अधिकारियों ने जांच क्यों नहीं की? अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कोयले का क्या दाम है यह पता क्यों नहीं किया?
3-अबतक सरकार चुप्पी क्यों साधे हुई थी? ईडी, सीबीआई, इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ऐसे मसलों पर आंख पर पट्टी बांधकर धृतराष्ट्र क्यों बनी हुई थी? इसका जवाब सरकार को देना चाहिए।