नई दिल्ली,
अपनी मांगों को लेकर लंबे समय से विरोध प्रदर्शन कर रहे आशा वर्कर्स के समर्थन में बुधवार को आशा कार्यकर्ता यूनियन हरियाणा संबंधित एआईयूटीयूसी का एक शिष्टमंडल निदेशक एनएचएम से उनके कार्यालय में मिला। यहां आशा कर्मियों की मांगों को लेकर एक ज्ञापन सौंपा गया। साथ ही आशा वर्कर्स की मांग पर विस्तार से चर्चा हुई।
प्रतिनिधिमंडल में आशा कार्यकर्ता यूनियन हरियाणा की सचिव संतोष देवी, पूनम यादव, एआईयूटीयूसी की ऑल इंडिया वर्किंग कमेटी के सदस्य व हरियाणा राज्य प्रधान कॉमरेड राजेंद्र सिंह एडवोकेट सहित अन्य शामिल थे।
मुलाकात के दौरान आशा शिष्टमण्डल ने अधिकारियों को बताया कि वर्ष 2018 से आशा कर्मियों के मानदेय में कोई बढ़ोतरी नहीं की गई है। इसे बढ़ाया जाना चाहिए। देश में कुल एएनएम में से 25 प्रतिशत भर्ती आशा कार्यकर्ताओं को पदोन्नति करके की जाए। इसके लिए स्वास्थ्य मंत्रालय नियम बनाए। आशा की रिटायरमेंट की आयु 65 साल की जाए। आशा कार्यकर्ताओं का इंसेंटिव बढ़ाया जाए। आशा कार्यकर्ताओं को रिटायरमेंट के समय एक मुश्त राशि दी जाए। आशा को एक दिन की साप्ताहिक छुट्टी दी जाए और आशा कर्मियों को भी मानदेय के साथ मैटरनिटी लाभ दिया जाए। किसी भी आशा कर्मी की मृत्यु पर परिवारजनों को सरकारी कर्मचारी की तरह आर्थिक सहायता देने का प्रावधान किया जाए।
चर्चा के बाद अधिकारी ने आश्वासन दिया कि इस दिशा में इस दिशा में ठोस काम किया जाएगा। जल्द ही उच्च स्तर पर चर्चा करके आशा कार्यकर्ता यूनियन को फिर से बुलाया जाएगा।
कॉमरेड राजेंद्र सिंह एडवोकेट ने बताया कि आशा स्कीम राज्य व केंद्र की दोनों सरकारों के अंतर्गत आती है। आज जिन मुद्दों को लेकर वार्ता की गई है, वे मुख्य तौर पर केंद्र सरकार के अंतर्गत भी आते हैं। आशा कार्यकर्ता यूनियन अपनी जायज मांगों को लेकर अपना आंदोलन जारी रखेगी। आशा कार्यकर्ता यूनियन निदेशक पंचकूला से भी बातचीत कर चुकी है और अब केंद्र सरकार के निदेशक से वार्ता करके समाधान के नए आयाम खोलने के लिए संघर्ष कर रहा है।