बच्चों की रामलीला ऐसी की इनके आगे बड़े- बड़े कलाकर फेल

रामलीला में स्कूली छात्र निभा रहे किरदार, छह माह पहले से ही हो जाती है तैयारियां

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राम नरेश

नई दिल्ली
राजधानी में अलग-अलग जगहों पर प्रसिद्ध से लेकर मोहल्लों व इलाकों में रामलीला का मंचन हर्षोल्लास के साथ किया जा रहा है। जहां प्रसिद्ध लीलाओं में मंचन करने के लिए मुंबई-मथुरा से कलाकार आए हैं, तो वहीं गली-मोहल्लों में कई गुमनाम कलाकार अपनी भाव-भंगिमाओं और संवाद से लोगों को आश्चर्यचकित कर रहे हैं। इन्हीं में से एक है पूर्वी दिल्ली के प्रीत विहार इलाके के निजी स्कूल में मंचित की जा रही लीला। यहां स्कूल में पढ़ने वाले छात्र रामायण के किरदार की भूमिका निभा रहे हैं। ऐसे में इनके संवाद को सुनने और मंचन को देखने के लिए दूर-दूर से श्रद्धालु पहुंच रहे हैं।

शीशे के सामने करती हैं अभ्यास

रामलीला में माता सीता का रोल कर रही छठी कक्षा में पढ़ने वाली छात्रा काश्विक ने बताया कि रिहर्सल के दौरान जब उनसे मां सीता का संवाद बोलने के लिए कहा तो बगैर कहीं रुके और अटके पूरे भाव के साथ माता सीता और श्री राम का संवाद पूरा किया। उन्होंने बताया कि वह इसके लिए काफी मेहनत करती है। शीशे के सामने खड़े होकर अभ्यास करती है। इसके लिए उनकी क्लास टीचर मार्गदर्शन करती है। लीला में मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम का किरदार निभा रहे सातवीं कक्षा में पढ़ने वाले आर्यन ने बताया कि उन्हें कभी-कभी माता-पिता की याद आती है, लेकिन शाम के समय जब दोनों मुझे मंच पर देखते हैं तो अच्छा लगता है। वह कहते हैं राम लला के गुण अपने अंदर ला रहे है। उन्होंने बताया कि इस रोल को निभाते हुए उन्हें बहुत कुछ सीखने को मिल रहा है।

बच्चे जी रहे हैं पात्रों का जीवन

जहां मौजूदा दौर में बच्चे हॉलीवुड के सुपरहीरोज को अपना प्रेरणास्त्रोत मानते है। वहीं, दूसरी तरफ यह बच्चे रामलीला के पात्रों को असल जिंदगी में जी रहे है। यह नन्हें कलाकारों की रामलीला बहुत मन मोहने वाली है। यह बच्चे रामलीला के दौरान स्कूल में ही रहते हैं। यहां तक की शाकाहारी भोजन का सेवन करते हैं। खास बात यह है कि इनकी दिनचर्या अल सुबह से ही शुरू हो जाती है। वहीं, यह बच्चे मंचन के दौरान मोबाइल फोन से दूरी बनाकर रखते हैं। इन कलाकारों को प्रशिक्षण देने वाली कलाकार गीता ने बताया कि बच्चे हैं तो थोड़ी मनमानी करते हैं, लेकिन समझाने के बाद यह अपने किरदार में खो जाते हैं।

350 बच्चे कर रहे हैं मंचन

यहां एक दो बच्चे नहीं, बल्कि 350 बच्चे रामलीला में भाग ले रहे हैं। खास बात यह है कि ये नन्हें कलाकार कुछ समय के लिए अपने रोल में इस तरह से डूब जाते हैं कि सब देखते रह जाते हैं। इनकी संवाद करने की अदा पर शानदार पकड़ है। दर्शकों को लगता ही नहीं कि ये कलाकार हैं।

अभिनेता बनना है सपना

रावण का किरदार निभा रहे 11वीं कक्षा के रोहित सहगल ने बताया कि उन्होंने पिछले साल भी यही रोल किया था। बुलंद आवाज में रावण के संवाद का एक दृश्य करके दिखाया। वह कहते हैं कि उन्हें अभिनेता के तौर पर ही अपना भविष्य आगे बढ़ाना है। वहीं, नौंवी कक्षा के आर्यन गुप्ता इस वर्ष श्री राम के पिता दशरथ का किरदार निभा रहे हैं। उनके भाव में 60 वर्ष के बुजुर्ग व्यक्ति की छवि दिखी। सातवीं कक्षा के पवित्र लक्ष्मण का रोल कर रहे हैं। वहीं, आठवीं क्लास के शिवाश मारीच का रोल कर रहे है।

इस रामलीला मंचन के दौरान जो भी दृश्य दिखाए जाते है,उसके बाद पहली और दूसरी क्लास में पढ़ने वाले बच्चे संदेश देते हैं। उदाहरण के तौर पर यदि मंच पर भगवान राम सबरी के झूठे बेर खाते हैं तो बच्चा बताता है कि भगवान राम छुआछूत, जात-पात को नहीं मानते थे। इसलिए उन्होंने सबरी के झूठे बेर खाए। हम सबको भी अपने जीवन में इसे अपनाना चाहिए। उन्होंने बताया कि इस बार पर्यावरण के संरक्षण से संबंधित संदेश तैयार किए गए हैं। —-योगेश कुमार, रामलीला के संयोजक

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