LUCKNOW के बलरामपुर में इलाज,KGMU में पैर काटने की नौबत

करीब डेढ़ साल पहले एक हादसे में मरीज के पैर की टूटी थी हड्डी

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लखनऊ।..मैं समझ चुका हूं कि किसी ताकवर के खिलाफ न्याय पाने का मतलब है कि पत्थर पर सिर पटकना। फिलहाल, KGMU में इलाज करवा रहा हूं, जहां डॉक्टरों ने कह दिया है कि संक्रमण फैलने की वजह से आपका पैर काटा जा सकता है। इसके अलावा हेपेटाइटिस सी का भी इलाज चल रहा है। यह कहना है ओमप्रकाश का….।
दरअसल, बलरामपुर अस्पताल में एक डॉक्टर पर धनउगाही और इलाज पर लापरवाही का आरोप लगाने वाले देवरिया निवासी ओमप्रकाश के पैर कटने की नौबत आ गयी है। वह अपनी दिव्यांग पत्नी के साथ केजीएमयू में इलाज कराने पहुंचा था। इधर, बलरामपुर अस्पताल प्रशासन का कहना है कि मरीज का इलाज अभी यहीं से चल रहा है लेकिन अब दूसरे विशेषज्ञ डॉक्टर को उसके इलाज की जिम्मेदारी सौंपी गयी है।
करीब डेढ़ साल पहले एक हादसे में ओमप्रकाश के पैर की हड्डी टूट गई थी। परिजनों ने उसे बलरामपुर अस्पताल की इमरजेंसी में भर्ती कराया था। करीब एक साल तक मरीज हड्डी रोग विभाग में भर्ती रहा। आरोप था कि डॉक्टर एपी सिंह ने ऑपरेशन से पहले इप्लांट मंगाया था। इसकी एवज में करीब 55 हजार रुपए लिए गए। यहां तक कि इप्लांट का कोई भी बिल नहीं दिया गया। मरीज ने इस मामले को लेकर अस्पताल निदेशक से लेकर मुख्यमंत्री तक शिकायत पूर्व में दर्ज कराई थी।
मरीज का आरोप है जांच कमेटी ने हर बार डॉक्टर को क्लीन चिट दे दी। उसे इंसाफ तक नहीं मिला। सिस्टम से आहत मरीज अपनी दिव्यांग पत्नी के साथ दो बार गांधी प्रतिमा पर पहुंचा। डॉक्टर पर ऑपरेशन नाम पर वसूली का आरोप लगाया था।
चार माह पहले भी धरना दिया तो आनन फानन में बलरामपुर अस्पताल प्रशासन ने जांच कमेटी बना दी। हालांकि, ओमप्रकाश ने इस जांच कमेटी का विरोध किया था। पीड़ित ने अस्पताल से बाहर के अफसरों से जांच कराने की गुहार लगाई। उसका तर्क था कि इसी कमेटी ने तीन बार जांच करके उस आरोपी डॉक्टर को पहले ही क्लीन चिट दे दिया है। चौथी बार भी डॉक्टर को जांच टीम ने क्लीन चिट दे दी।
बलरामपुर अस्पताल के निदेशक डॉ. एके सिंह के मुताबिक मरीज की हालत ठीक है। उसका इलाज करने की जिम्मेदारी अब हड्डी रोग विशेषज्ञ डॉ. अजय यादव को दी गयी है। ओपीडी में वह इलाज कराने आता है।

 

 

 

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