Mayor Shelly Oberoi के निगम बोध घाट प्रबंधन पर लगाये गये आरोप पूरी तरह से राजनैतिक

विश्व हिन्दू परिषद दिल्ली प्रांत एवं दिल्ली धार्मिक महासंघ

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नई दिल्ली 

विश्व हिन्दू परिषद दिल्ली प्रांत एवं दिल्ली धार्मिक महासंघ ने आज एक सयुक्त बयान जारी कर कहा कि कल दिल्ली की महापौर शैली ओबराय द्वारा निगम बोध घाट के संचालन को लेकर लगाये गये आरोप पूरी तरह से राजनीति से प्रेरित हैं।यह खेदपूर्ण है की भ्रष्टाचार के आरोपों से घिरी आम आदमी पार्टी अपने भ्रष्टाचार से लोगों ध्यान भटकाने के लियें बड़ी वैश्य पंचायत के सेवा कामों को बदनाम करना चाह रही है।

दोनां संस्थाओं ने कहा कि हमारी जानकारी के अनुसार आम आदमी पार्टी के साँसद डॉ. सुशील कुमार गुप्ता, दिल्ली विद्यानसभा अध्यक्ष रामनिवास गोयल और दिल्ली नगर निगम सदन के नेता मुकेश गोयल समेत अनेकों धार्मिक एवं सामाजिक संस्थाओं ने निगम बोध घाट का संचालन कर रही संस्था बड़ी पंचायत वैश्य बीसे अग्रवाल (पं) के कार्यों की समय-समय पर प्रशंसा की है।दिल्ली नगर निगम द्वारा ईधन लकड़ी की दरें, सी.एन.जी. द्वारा दाह संस्कार की जो दरें सुनिश्चित की हैं, उसी के अनुसार संचालन समिति शुल्क लेकर रसीद जारी करती है।

दिल्ली का निगम बोध घाट देश का एकमात्र शमशानघाट है जिसमें अति गरीब एवं लावारिस शव का दाह संस्कार किया जाता है जिन पर वर्ष 2017 से 2022 तक कुल 20,53,300 रूपये (बीस लाख त्रहपन हजार तीन सौ रूपये) खर्च हुए] जिसका एक रूपया भी दिल्ली नगर निगम द्वारा नहीं दिया गया अपितु सारा खर्च उन दानियों द्वारा किया गया है जिनपर महापौर द्वारा आरोप लगाया जा रहा है कि उनके नाम के शिलापट लगये गये हैं जो कि दुर्भाग्यपूर्ण हैं।विश्व हिन्दू परिषद दिल्ली प्रांत एवं दिल्ली धार्मिक महासंघ ने सयुक्त रूप से कहा कि हमारी जानकारी के अनुसार वर्तमान निगम बोध घाट का संचालन करने वाली संस्था बड़ी पंचायत वैश्य बीसे अग्रवाल द्वारा लकड़ी काटने के लिये लगाई गई आरा मशीन का इस्तेमाल तब से हो रहा है कि जब निगम बोध घाट का प्रबंध पूरी तरह से दिल्ली नगर निगम के अधीन था।

दिल्ली धार्मिक महासंघ ने अभी कुछ दिन पूर्व ही दिल्ली के चुनिंदा शमशान घाटों के प्रबंधकों के साथ बैठक बुलाकर शमशान घाटों के आचार्यों की वर्दी, आचार्यों द्वारा क्रियाकर्म के लिये ली जाने वाली राशि, उनका परिचय पत्र और उनकी योग्यता (मंत्र उच्चारण हेतू) सुनिश्चित करने के लिये कहा था।हम महापौर से मांग करते हैं कि आचार्यों के लिये दिशा-निर्देश तय करें।

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