30 नवंबर को रामलीला मैदान में आयोजित होने जा रहा प्रकृति संवाद, 50 हजार प्रकृति प्रेमी करेंगे संवाद

-केएन गोविंदाचार्य ने कहा, दिल्ली में जरूरत अब ऑक्सीजन सिलेंडर की, लेकिन बड़ा सवाल कि पहले रिफिल किसका, अपना, मां-बाप का या पति/पत्नी बच्चे का?

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नई दिल्ली
हम दिल्ली के लोग इस वक्त बेहाल है। हवाएं इस तरह खराब हैं कि सांस लेना मुश्किल है। बात दिल्ली को कुछ समय के लिए छोड़ देने की चल पड़ी है। स्थिति न सुधरी तो आगे ऑक्सीजन सिलेंडर की जरूरत होगी। और अगर सब ऑक्सीजन सिलेंडर से चलने लगे तो किसका रिफिल पहले होगा, अपना, मां-बाप का या पति/पत्नी, बच्चे का? सवाल यही सबसे बड़ा होगा।

राष्ट्रवादी चिंतक व प्रकृति संवाद के संयोजक केएन गोविंदाचार्य ने मंगलवार बीपी हाउस में मीडिया से बात करते हुए यह बातें कहीं। गोविंदाचार्य के मुताबिक, दिल्ली ही क्यों, प्रकृति हर तरफ दबाव में है। उत्तराखंड व हिमाचल प्रदेश में पहाड़ धंस रहे हैं। मैदानी क्षेत्रों की नदियां दूषित हैं, सूख रही हैं। अविरलता व निर्मलता शायद ही किसी नदी में शेष हो‌। हर जगह जैव संपदा पर संकट है। आजादी के बाद से करीब 50 फीसदी बायोडायवर्सिटी खत्म हो गई है। संकट जन व जीव संपदा पर भी है।

गोविंदाचार्य का मानना है कि समस्याएं हर तरफ और सब पर हैं। समाधान किसी को नहीं मिल रहा है। सब अपनी-अपनी समस्या में अकेले रो रहे हैं। इन स्थितियों में हम जिस राह पर चलते आ रहे हैं, अगर जीवित रहना है तो उसे ठीक करना पड़ेगा। अभी तक हम सबने प्रकृति की कीमत पर इंसान का ध्यान रखा है। अब इसे बदलने की जरूरत है। हमें प्रकृति का ध्यान पड़ेगा। मनुष्य की कीमत पर तो नहीं, इसके साथ–साथ। इसमें प्राथमिकता में प्रकृति हो। यही आज की जरूरत है। प्रकृति संवाद में बात भी इसी पर होगी। रामलीला मैदान में, 30 नवंबर, बृहस्पतिवार को। इसमें बड़ी संख्या में पूरा दिल्ली-एनसीआर शामिल हो रहा है। बातचीत विकास के मौजूदा मॉडल, उससे पैदा हुए खतरे और इसके संभावित विकल्पों पर होगी।

लोक संसद के संयोजक रविशंकर तिवारी और नदी संवाद के संयोजक जी कांत झा ने बताया कि प्रकृति संवाद में करीब 50 हजार लोग शिरकत करने जा रहे हैं। रामलीला मैदान में यह अपनी तरह का पहला आयोजन है, जिसमें सिर्फ प्रकृति को और इसके बहाने पूरी मानवता को बचाने की बात होगी। इसमें बड़ी संख्या में दिल्ली-एनसीआर के प्रकृति प्रेमी आम लोग तो शामिल ही हो रहे हैं। संस्था के तौर पर निरंकारी, नामधारी, प्रजापिता ब्रह्माकुमारी, गायत्री परिवार, सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी, जमीयत उलेमा-ए-हिंद समेत दिल्ली-एनसीआर के दूसरे कई धार्मिक-सामाजिक संगठनों की भागीदारी रहेगी। बड़ी संख्या में स्कूल व कॉलेज के छात्र भी हिस्सा लेंगे। कार्यक्रम की शुरुआत कथावाचक अजय भाई जी की सांस्कृतिक प्रस्तुति से होगी। पहला एक घंटे में सांस्कृतिक प्रस्तुतियों से प्रकृति, उसके शोषण व संरक्षण का अवलोकन किया जाएगा। इसके बाद के तीन घंटे में विशेषज्ञ भविष्य के भारत के लिए प्रकृति केंद्रित विकास के वैकल्पिक मॉडल पर चर्चा करेंगे।

दूसरी तरफ राष्ट्र जागरण मंच की संयोजक सुबुही खान और कौटिल्य शोध संस्थान के संयोजक अजित तिवारी ने बताया कि प्रकृति संवाद माननीय केएन गोविंदाचार्य की अगुवाई में हो रहा है। आईआईटी, दिल्ली के वायुमंडलीय विज्ञान केंद्र के प्रोफेसर विमलेश पंत, डीयू की लक्ष्मी बाई कॉलेज के प्राचार्य प्रत्यूष वत्सला, डीयू के भूविज्ञान विभाग के प्रोफेसर शशांक सिंह, दिल्ली के बायोडायवर्सिटी पार्क के इंचार्ज डॉ. फैयाज खुदसर, बुंदेलखंड में चार नदियों को पुनर्जीवित करने वाले परमार्थ संस्था के संस्थापक डॉ. संजय सिंह, युवा हल्ला बोल के संस्थापक अनुपम, पर्यावरणविद हेमंत ध्यानी समेत दूसरे विशेषज्ञ बेहतर भविष्य की राह दिखाएंगे।

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