LUCKNOW: दो साल से मरीज़ के इलाज पर नहीं हुआ फैसला, बलरामपुर अस्पताल में भर्ती है ओम प्रकाश

मरीज का पैर न कटे, इसलिए डॉक्टर लगातार कर रहे इलाज

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लखनऊ
करीब दो साल पहले एक हादसे में घायल हुए मरीज ओमप्रकाश यादव का इलाज आज भी बलरामपुर अस्पताल में जारी है। उसके पैर कटने तक की नौबत आ चुकी है, हालांकि डॉक्टर अजय यादव की कोशिश है कि दवाओं के जरिए उसका पैर ठीक कर दिया जाए। कब तक ठीक होगा, इसलिए पता किसी को नहीं है। हालांकि, ओमप्रकाश यादव के इलाज की कहानी बेहद संघर्ष से भरी है।
आरोप था कि बलरामपुर अस्पताल में इप्लांट के नाम पर उससे 55 हजार रूपए की वसूली हुई थी। यहां तक कि डॉ. एपी सिंह की ओर से इंप्लांट का कोई भी बिल नहीं दिया गया। ऑपरेशन में भी कोताही हुई। इससे वह दिव्यांग हो गया। अस्पताल प्रशासन ने तीन बार जांच कमेटी बनाकर डॉ. एपी सिंह को क्लीन चिट दे दिया था। इससे नाराज पीड़ित ने दिव्यांग पत्नी संग हजरतगंज स्थित गांधी प्रतिमा के सामने धरना दिया। आनन-फानन में बलरामपुर अस्पताल प्रशासन ने तीसरी बार जांच कमेटी गठित की। तीसरी बार जांच कराने के लिए पीड़ित ओम प्रकाश ने अस्पताल से बाहर के लोगों से जांच कराने की मांग की थी। इसके बावजूद अस्पताल के डॉक्टरों से जांच कराई गई। जो डॉ. एपी सिंह के करीबी निकले।
मामला उच्च अधिकारियों तक न पहुंचे इसके लिए अस्पताल के डॉक्टरों ने उसे रूपए देकर सितम्बर माह में देवरिया भेज दिया। बीच में उसका इलाज भी बंद कर दिया गया। पैर में काफी दिक्कतें होने लगी। ओम प्रकाश दोबारा बीते साल 25 दिसम्बर को बलरामपुर अस्पताल आया तो यहां उसके प्रभावित पैर को काटने की बात कही गई। इससे परेशान ओम प्रकाश अस्पताल प्रशासन और आरोपी डॉक्टर एपी सिंह पर दिव्यांग बनाने का आरोप लगाकर हंगामा करने लगा तो बात बड़े अफसरों तक पहुंच गई। अफसरों ने संज्ञान लिया तो पीडि़त का दोबारा इलाज शुरू किया गया। हालांकि उसके पैर पूरी तरह से क्षतिग्रस्त हो चुके हैं। बताया जा रहा है कि आरोपी डॉक्टर व कुछ अफसरों को बचाने के लिए इलाज शुरू किया गया है ताकि पीड़ित को शांत किया जा सके।
वहीं बलरामपुर अस्पताल के निदेशक डॉ. एके सिंह का कहना है कि मरीज का बेहतर से बेहतर इलाज किया जा रहा है। मैंने जब इस अस्पताल की जिम्मेदारी संभाली तो मामले की जानकारी हुई। हर संभव कोशिश की जाएगी।

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