liquor case में ईडी के पेश बयानों की विश्वसनीयता पर उठ रहे सवाल
ईडी ने प्रमुख सरकारी गवाह से पूछताछ और उससे अन्य आरोपियों का सामना कराने का वीडियो फुटेज बिना ऑडियो के दिखाया
नई दिल्ली
दिल्ली के राउज एवेन्यू कोर्ट में 3 फरवरी को तथाकथित दिल्ली आबकारी मामले की सुनवाई हुई। इस दौरान एक चौंकाने वाला घटनाक्रम सामने आया। कोर्ट ने प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के व्यवहार पर गंभीर चिंता जताई है। क्योकि ईडी पर अधूरा सबूत पेश करने का आरोप है। एक मुख्य ‘सरकारी गवाह’ से पूछताछ के वीडियो फुटेज को बिना आडियो के दिखाया गया और उन्हीं से जुड़े लोगों से उनका सामना करवाया गया। इस खुलासे के बाद मामले की सुनवाई कर रहे विशेष न्यायाधीश ने ऑडियो की अनुपस्थिति पर सवाल उठाते हुए ईडी को फटकार लगाई है।
तीन फरवरी को तथाकथित शराब घोटाले की सुनवाई के दौरान ट्रायल कोर्ट ने पाया कि प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने केवल वीडियो फुटेज पेश किया था, जिसमें ‘‘सरकारी गवाह’’ (अभियोजन गवाह) से पूछताछ और संबंधित आरोपी व्यक्तियों के साथ उसका सामना कराने का ऑडियो नहीं था। इस मामले के लिए कोर्ट ने पहले ही ईडी को सरकारी गवाह के सभी बयान कैमरे पर दर्ज करने का निर्देश दिया था। आज, कोर्ट ने सुनवाई के दौरान पाया कि ईडी ने केवल वीडियो रिकॉर्ड किया था, बाद में कोर्ट में पेश की गई क्लिप से ऑडियो हटा दिया।
जज ने एजेंसी को फटकार लगाते हुए वीडियो फीड में ऑडियो न होने पर सवाल उठाया है। ईडी के वकील ने तर्क दिया कि कोर्ट के लिखित आदेश में विशेष रूप से केवल वीडियो पर बयान दर्ज करने का उल्लेख था, लेकिन ऑडियो का कोई उल्लेख नहीं था। इसके जवाब में बचाव पक्ष के वकील ने कोर्ट के आदेश के उस पैराग्राफ की ओर इशारा किया, जिसमें इस बात पर बल देते हुए यह स्पष्ट रूप से कहा गया है कि एजेंसी को ऑडियो के साथ वीडियो बयान भी कैप्चर करना चाहिए। इससे यह साफ लग रहा है कि ईडी सरासर झूठ बोल रही है और कोर्ट को गुमराह कर रही है।सरकारी गवाह का हस्ताक्षरित बयान और सामना कराने दौरान दिए गए उसके वास्तविक बयान से मेल नहीं खाता। गवाह ने अपने वास्तविक बयानों और कोर्ट के समाक्ष पेश ईडी के बयानों में विरोधाभाष होने का दावा किया है।आरोप का संज्ञान लेते हुए विशेष न्यायाधीश ने ईडी को 7 फरवरी तक अपना जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया।उल्लेखनीय है कि तथाकथित शराब घोटाला मामले में अभी तक एक रुपए का भी कोई सबूत नहीं मिला है। यह पूरा मामला पूरी तरह से सरकारी गवाह के बयानों पर आधारित है।