बिजली दरों में बढ़ोतरी के खिलाफ जंतर मंतर पर किया विरोध प्रदर्शन

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नई दिल्ली 

बिजली दरों में बढ़ोतरी के खिलाफ अखिल भारतीय किसान खेत मजदूर संगठन ने सोमवार को जंतर मंतर पर विरोध प्रदर्शन किया। प्रदर्शन में देश भर के लोग इकट्ठा हुए। इस दौरान अखिल भारतीय किसान खेत मजदूर संगठन के अध्यक्ष सत्यवान ने कहा कि यह बिजली बिल 2023 घोर जन विरोधी, किसान विरोधी है। सभी को संगठित होकर इसका पुरजोर विरोध करना चाहिए यही समय की मांग है। यह आम लोगों के हितों को खतरे में डालते हुए निजी पूंजी को बढ़ावा देने के लिए केंद्र सरकार के प्रत्यक्ष संरक्षण के साथ लागू किया जा रहा है। अन्य वक्ताओं में श्री रमेश शर्मा जी सचिव मंडल सदस्य ऑल इंडिया इलेक्ट्रिसिटी कंज्यूमर्स एसोसिएशन ने सम्बोधित किया, उन्होंने कहा कि आज केंद्र सरकार सभी सार्वजनिक क्षेत्रें का निजीकरण कर रही है। बिजली के निजीकरण का पहला कदम है प्रीपेड स्मार्टमीटर इसके कारण उपभोत्तफ़ाओं को बिजली की ऽपत के लिए अग्रिम धनराशि जमा करनी होगी। धनराशि जमा न करने की स्थिति में उपभोत्तफ़ाओं को बिजली प्राप्त करने की कोई संभावना नहीं रहेगी। भारत में यह पिछले 75 वर्षों से उपभोत्तफ़ाओं को प्राप्त मौजूदा अनुबंध/मौलिक अधिकार का स्पष्ट उल्लंघन है। जो पहले उपभोग उसके बाद भुगतान लेकिन अब पहले भुगतान उसके बाद उपभोग में स्थानांतरित कर दिया जाएगा। प्रीपेड स्मार्टमीटर की स्थापना के बाद, टीओडी (टाइम ऑन डेट) टैरिफ प्रणाली शुरू की जाएगी। टैरिफ का निर्धारण बाजार की मांग के आधार पर (पूर्ण निजीकरण) किया जाएगा। पीक आवर्स (शाम 5 बजे से रात 11 बजे) के दौरान अधिकतम मांग की अवधि के दौरान बिजली की लागत बहुत अधिक होगी। इसका मतलब क्या है? इसका मतलब है कि बिजली के टैरिफ को बाजार की मांग (जैसे आलू, , प्याज आदि) के साथ जोड़ा जाएगा, जिससे इसका चरित्र एक आवश्यक उपयोगिता से सुपर प्रॉफिट कमाने वाली वस्तु में स्थानांतरित हो जाएगा।

हम सभी जानते हैं, कि उत्पादन कंपनियों से बिजली खरीदने के बाद, राज्य के स्वामित्व वाली वितरण कंपनियां (सरकारी उद्यम) सार्वजनिक ख़ज़ाने की कीमत पर अपने स्वयं के नेटवर्क के माध्यम से बिजली वितरित करती हैं। गौरतलब है कि प्रीपेड स्मार्टमीटर लगने के बाद स्मार्ट मीटरिंग कंपनियों द्वारा उपभोत्तफ़ाओं से राजस्व वसूला जाएगा। और सभी भुगतान करने के बाद शेष राशि राज्य के स्वामित्व वाली वितरण कंपनियों को सौंप दी जाएगी। निस्संदेह, इससे राज्य के स्वामित्व वाली वितरण कंपनियां आर्थिक रूप से अक्षम हो जाएंगी, जिसके परिणामस्वरूप सार्वजनिक क्षेत्र का निजीकरण हो जाएगा। देश भर में स्मार्ट मीटरिंग प्रणाली के कार्य को पूरा करने के लिए कुल धन की आवश्यकता है, 300000/- (तीन लाख करोड़ रुपये), जिसमें से 200000/-(दो लाख करोड़ रुपये) का भुगतान राज्यों और उपभोत्तफ़ाओं द्वारा किया जाना है। केंद्र सरकार सिर्फ 100000/- करोड़ रुपये की जिम्मेदारी ही उठाएगी।
प्रीपेड स्मार्टमीटर देश भर में लगभग 2,00000 मीटर रीडरों को रोजगार से बाहर कर देगा। उप-स्टेशनों को मानवशत्तिफ़ के बिना चलाया जाएगा, जो केंद्रीय स्काडा (पर्यवेक्षी नियंत्रण और डेटा अधिग्रहण) नियंत्रण कक्ष से संचालित होंगे। परिणाम स्वरूप बड़ी संख्या में तकनीकी और गैर-तकनीकी कर्मचारियों को अपनी नौकरी से हाथ धोना पड़ेगा।

उपरोत्तफ़ बिन्दुओं से यह स्पष्ट है कि प्रीपेड स्मार्टमीटर व बिजली बिल 2023 जन विरोधी है, किसान विरोधी है और कर्मचारी विरोधी भी है। यह आम लोगों के हितों को खतरे में डालते हुए निजी पूंजी को बढ़ावा देने व पूंजीपतियों को इस क्षेत्र से मुनाफा कमाने व जनता को लूटने के लिए केंद्र सरकार के प्रत्यक्ष संरक्षण के साथ लागू किया जा रहा है। इसलिए प्रीपेड स्मार्टमीटर व बिजली बिल 2023 के खिलाफ उपभोत्तफ़ाओं को संगठित करना होगा ताकि इस घृणित हमले के खिलाफ पूरी एकता व ताकत के साथ आंदोलन किया जाय ताकि भाजपा नीत केंद्र सरकार को मजबूर किया जा सके इसको वापस लेने के लिए। हम केंद्र सरकार से बिजली बिल 2023 को तुरंत रदद् करने व निजीकरण की नीति को वापस लेने की मांग करते हैं। प्रदर्शन को श्री सुरेश तूफान, विजय कुमार,दिनेश आनन्द, आदि वक्ताओं ने भी सम्बोधित किया। प्रदर्शन के माध्यम से माननीय श्री आर के सिंह (केंद्रीय विद्युत और नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्री भारत सरकार) को एक ज्ञापन सौंप गया।

 

 

 

 

 

 

 

 

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