LUCKNOW: जिम से लौटे PAC के जवान की हार्टअटैक से मौत, मात्र 23 साल में गई जान

ब्रश करते बिगड़ी थी तबियत, बेसुध होकर जमीन पर गिरा

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लखनऊ
चौक घंटाघर पार्क में बुधवार को पीएसी के जवान प्रभात कुमार सिंह (23 वर्ष) की हार्टअटैक से मौत हो गई। वह सुबह जिम करके कैम्प में वापस लौटा था। ब्रश करते वक्त प्रभात की तबीयत बिगड़ गई। वह बेसुध होकर गिर पड़ा। साथी उसे केजीएमयू के ट्रामा सेंटर ले गए थे, जहां डॉक्टरों ने हार्टअटैक से मौत की पुष्टि की। वहीं एकलौते बेटे की मौत से परिवार में कोहराम मच गया।
सीतापुर सिधौली निवासी अर्जुन सिंह का बेटा प्रभात वर्ष 2021 में पीएसी में भर्ती हुआ था। बाराबंकी 10वीं बटालियन में उसकी तैनाती थी। मौजूदा वक्त में लखनऊ के चौक घंटाघर पार्क में पीएसी का कैम्प लगा हुआ था, जहां वह तैनात था।
बुधवार सुबह सिपाही जिम करने के लिए गया था। वर्कआउट कर कैम्प वापस लौटने के बाद प्रभात ब्रश करने लगा। अचानक से वह गिर पड़ा। सिपाही को बेसुध देख साथी सिपाहियों ने उच्च अधिकारियों को सूचना दी। प्रभात को इलाज के लिए केजीएमयू ट्रामा सेंटर ले जाने पर डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया। शुरुआती जांच के बाद डॉक्टरों ने हार्ट अटैक पडऩे की बात कही है। वहीं, सिपाही के शव को पोस्टमार्टम के लिए भेजा गया है।
एकलौते बेटे की मौत होने का पता चलने पर अर्जुन सिंह बदहवास हो गए। परिवार में प्रभात की मां कमलेश के अलावा छोटी बहनें प्रज्ञा और प्रगति हैं। पोस्टमार्टम हाउस पहुंचे अर्जुन के मुताबिक 2021 में पुलिस फोर्स ज्वाइन करने के बाद प्रभात ने नौकरी छुड़वा दी थी। उसने कहा था कि पापा अब मैं नौकरी करने लगा हूं। आप घर पर रह कर आराम करो। यह बात कहते हुए अर्जुन का गला रुंध गया।
हार्टअटैक से पहले भी कई युवाओं की जाने जा चुकी हैं। अलीगंज में सीएमएस कक्षा नौ के छात्र व कैंट में कार चलाते हुए हार्टअटैक पडऩे से राजेश की मौत हो गई थी। वहीं विकासनगर जिम में वर्कआउट करते हुए डॉ. संजीव पाल की जान चली गई। त्रिवेणीनगर के कृष्णकांत सिंह व मलिहाबाद में वरमाला डालते वक्त दुल्हन की हार्टअटैक पडऩे से मौत हो गई थी।
बच्चों से लेकर बुजुर्गों तक में हार्ट की समस्याओं के केस सामने आ रहे हैं। डॉक्टरों का कहना है कि कोविड-19 महामारी ने लोगों की जीवनशैली को बुरी तरह प्रभावित किया है। लोगों के बीच फिजिकल एक्टिविटी की कमी, तनाव और अवसाद में बढ़ोत्तरी और खराब खानपान की आदतें भी बढ़ी हैं। साल 2023 के आंकड़ों पर नजर डालें तो पता चलता है कि भारत ही नहीं दुनिया के कई देशों में पिछले कुछ वर्षों में विशेषतौर पर कोरोना महामारी के बाद हार्ट अटैक के मामले अधिक दर्ज किए गए हैं।
पिछले एक साल में हृदय रोग और हार्ट अटैक के मामलों से लोगों में खौफ है। भारत में 12 साल के बच्चों से लेकर 45 साल तक की उम्र के लोगों ने हार्ट अटैक से अपनी जान गंवाई। भारत ही नहीं कोरोना के बाद एकाएक बढ़ी दिल की बीमारियों ने पूरी दुनिया को चिंताओं से भर दिया। हार्ट डिसीस वैश्विक स्तर पर गंभीर स्वास्थ्य समस्या बनकर उभरी है। जबकि कुछ दशकों पहले तक हार्ट की बीमारियों को उम्रदराज लोगों की बीमारी के तौर पर जाना जाता था लेकिन हालिया मामलों ने हर किसी को हैरान कर दिया। कम आयु के लोग भी इसका अधिक शिकार बन रहे हैं।

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