LUCKNOW: KGMU में नर्स के ही ननद को नहीं मिला इलाज, पांचवे दिन तड़प-तड़पकर मौत

इलाज के लिए गिड़गिड़ाती रही तीमारदार, नहीं पसीजा डॉक्टरों का दिल

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लखनऊ
डॉक्टर साहब प्लीज मेरी ननद को बचा लिजिए…यहां इलाज के लिए भटक रही हूं..दर्द से तड़प रही ननद का इलाज तो करिए..। मरीज को भर्ती की बात करने पर यहां की नर्स मैडम और कर्मचारी से लेकर सिक्योरिटी गार्ड तक मेरे साथ बदसलूकी कर रहे हैं। इसके बाद भी डॉक्टरों का दिल नहीं पसीजा। इलाज के अभाव में महिला मरीज की पांच दिन बाद KGMU के ट्रॉमा सेंटर में तड़प-तड़पकर मौत हो गई। रोती गिड़गिड़ाती नर्स ने NGO संचालक के माध्यम से ट्रॉमा सेंटर के एक डॉक्टर से मदद मांगी। तब तक काफी देर हो चुकी थी। भर्ती की लम्बी प्रक्रिया के बीच ही अंजलि के ननद की जान चली गई। डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया।
मामला यूपी की राजधानी लखनऊ के KGMU के ट्रॉमा सेंटर का है। जहां पांच दिन से अपनी कैंसर पीड़ित ननद कृष्णा देवी के इलाज के लिए अंजलि डॉक्टरों से गुहार लगा रही थी। अंजलि हजरतगंज स्थित डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी (सिविल) अस्पताल में संविदा पर तैनात नर्स है। अंजलि के मुताबिक उसकी गोंडा के पयागपुर निवासी 38 वर्षीय ननद कृष्णा देवी को कैंसर था। उसे बहराइच जिला अस्पताल से पांच दिन पहले ट्रॉमा के लिए रेफर किया गया था।
यहां ट्रॉमा के डॉक्टर चार दिनों तक बेड खाली नहीं होने का हवाला देते हुए अंजलि व उसके परिजनों को दौड़ाते रहे। सभी स्ट्रेचर पर कृष्णा को लेकर इधर उधर भटकते रहे। अंजलि के मुताबिक ननद के इलाज के लिए डॉक्टरों के सामने हाथ जोड़ा, गुहार लगाई। इसके बावजूद भी कोई सुनवाई नहीं हुई। और तो और बेवजह दो-चार जांचें भी करवाई गई। कृष्णा के नाम से आयुष्मान कार्ड भी था। ट्रॉमा में ही गुरूवार सुबह एक एनजीओ संचालक से मदद की गुहार लगाई तो उन्होंने एक डॉक्टर से मिलवाया। डॉक्टर के निर्देश पर भर्ती का आश्वासन तो मिला। पर तब तक काफी देर हो चुकी थी। डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया।
इसके बाद परिजनों का रो-रोकर बुरा हाल था। रोते-गिड़गिड़ाते अंजलि समेत परिजन यही कहते रहे कि काश समय से इलाज मिल जाता तो उनके मरीज की जान नहीं जाती। रोने की आवाज से आस-पास काफी भीड़ जुट गई थी। कृष्णा देवी के पति राकेश कुमार दिल्ली में सब्जी का कारोबार करते हैं। पत्नी की मौत की खबर सुनते ही वह बेसुध हो गए थे। परिवार में 12, 8 व 5 साल के तीन मासूम बच्चे हैं।

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