CAA पर मोदी सरकार का वादा पूरा,दिल्ली को बड़ी क़ीमत चुकानी पड़ी थी-कपिल मिश्रा

कपिल मिश्रा ने अपने 'X' पर CAA का स्वागत करते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह को अभिनन्दन और आभार जताया

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नई दिल्ली
लोकसभा चुनाव से पहले केन्द्र की मोदी सरकार के नागरिकता संशोधन कानून का नोटिफिकेशन जारी हो गया है। जिसका भाजपा के फायरब्रांड नेता कपिल मिश्रा ने स्वागत किया है।
कपिल मिश्रा ने अपने ‘X’ पर CAA का स्वागत करते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह को अभिनन्दन और आभार जताया है। कपिल मिश्रा ने लिखा है कि CAA विरोधी हिंसा में पूरा देश और ख़ास तौर पर दिल्ली को बड़ी क़ीमत चुकानी पड़ी थी।
‘स्वाधीनता और विभाजन के बाद जो वादा अविभाजित भारत के हिंदुओं, सिख, जैन, बौद्ध और पारसी नागरिकों के साथ किया गया था, उसे आख़िर मोदी सरकार ने पूरा किया।
अभिनंदन और आभार @narendramodi जी व @AmitShah जी 🙏’
दरअसल, केंद्र की मोदी सरकार ने नागरिकता संशोधन कानून का नोटिफिकेशन जारी कर दिया है। लोकसभा चुनाव से पहले केंद्र सरकार का यह बड़ा कदम है। इसके तहत अब तीन पड़ोसी देशों के अल्पसंख्यकों को भारत की नागरिकता मिल सकेगी। इसके लिए उन्हें केंद्र सरकार द्वारा तैयार किए गए ऑनलाइन पोर्टल पर आवेदन करना होगा।
केंद्र द्वारा अधिसूचना जारी किए जाने के बाद दिल्ली, उत्तर समेत कई राज्यों में सुरक्षा बढ़ा दी गई है। 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले भाजपा ने CAA को अपने घोषणा पत्र में शामिल किया था। इसे पार्टी ने बड़ा मुद्दा बनाया था। गृह मंत्री अमित शाह हाल ही के अपने चुनावी भाषणों में कई बार नागरिकता संशोधन कानून या CAA को लागू करने की बात कर चुके थे। उन्होंने ऐलान किया था कि लोकसभा चुनाव से पहले इसे लागू कर दिया जाएगा। अब केंद्र सरकार ने इसके लिए नोटिफिकेशन जारी करते हुए इसे लागू कर दिया है।
CAA के तहत मुस्लिम समुदाय को छोड़कर तीन मुस्लिम बहुल पड़ोसी मुल्कों से आने वाले बाकी धर्मों के लोगों को नागरिकता देने का प्रावधान है। केंद्र सरकार ने सीएए से संबंधित एक वेब पोर्टल भी तैयार कर लिया है, जिसे नोटिफिकेशन के बाद लॉन्च किया जाएगा। तीन मुस्लिम बहुल पड़ोसी मुल्कों से आने वाले वहां के अल्पसंख्यकों को इस पोर्टल पर अपना रजिस्ट्रेशन कराना होगा और सरकारी जांच पड़ताल के बाद उन्हें कानून के तहत नागरिकता दी जाएगी। इसके लिए बांग्लादेश, पाकिस्तान और अफगानिस्तान से आए विस्थापित अल्पसंख्यकों को कोई दस्तावेज देने की जरूरत नहीं होगी।

 

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