किसान-मज़दूर महापंचायत में केवाईएस ने निभाई हिस्सेदारी!
किसान आंदोलन के क्रूर दमन की कड़ी भर्त्सना की!
नई दिल्ली
क्रांतिकारी युवा संगठन (केवाईएस) ने वर्कर्स यूनिटी सेंटर, इंडिया (मजदूर एकता केंद्र – एमईके) के कार्यकर्ताओं के साथ मिलकर आज किसान संगठनों और मज़दूर यूनियनों द्वारा दिल्ली के रामलीला मैदान पर आयोजित किसान-मज़दूर महापंचायत में अपनी हिस्सेदारी निभाई। गौरतलब है कि इस समय किसान अपनी कई लंबे समय से की जा रही मांगों को लेकर पंजाब-हरियाणा सीमा पर डेरा डाले बैठे हैं। इन मांगों में मजदूरों और आम मेहनतकश जनता की मांगें भी शामिल हैं। उनकी मांगें मानने की जगह सरकार ने उल्टे उनके आन्दोलन व दिल्ली चलो मार्च का दमन करके अपना किसान-मज़दूर विरोधी चरित्र उजागर किया है। सरकार ने न सिर्फ किसानों पर बर्बरतापूर्वक हमला करवाया है, बल्कि उन पर लाठीचार्ज, रबर की गोलियों, आंसू गैस के गोले छोड़े गए और बड़े पैमाने पर उन्हें गिरफ्तार करने की कवायद की है। लेकिन, किसानों के दबाव के कारण सरकार को झुकना पड़ा और दिल्ली में किसान-मजदूर महापंचायत की इजाजत देनी पड़ी।
सरकार की उदासीनता और दमन के बावजूद किसान लंबे संघर्ष के लिए तैयार हैं। केंद्र सरकार सक्रिय रूप से आंदोलन को नकारात्मक रूप में चित्रित करने की कोशिश कर रही है जो कि उसके कॉरपोरेट-परस्त चरित्र को साफ दिखाता है। ज्ञात हो कि मौजूदा आंदोलन इतना बड़ा रूप लेने में इसलिए कामयाब हुआ है क्योंकि पूरे देश में किसानों की बहुसंख्यक आबादी की स्थिति बेहद खराब है। लेकिन, सरकार की कॉर्पोरेट-परस्त नीतियों ने उनकी पीड़ा को समाप्त करने के बजाय उनकी खराब हालत को बद-से-बदतर किया है।
इसी प्रकार शहरी मेहनतकश गरीबों की स्थिति भी बेहद खराब है। 4 मजदूर-विरोधी श्रम संहिताओं द्वारा सरकार उनके शोषण को और तेज करने की पुरजोर कोशिश कर रही है। देश में आज मजदूरों का बहुसंख्यक हिस्सा अनौपचारिक क्षेत्र में कार्यरत है, जहां न्यूनतम मजदूरी, ईएसआई, ईपीएफ और बोनस आदि से संबंधित कोई भी श्रम कानून लागू नहीं होता है। अनौपचारिक क्षेत्र में मज़दूरों का सबसे अधिक शोषण होता है। लेकिन, सरकारों के कॉर्पोरेट-परस्त चरित्र ने यह सुनिश्चित किया है कि उनकी स्थिति दयनीय बनी रहे। किसान-मज़दूर महापंचायत को मज़दूरों ने भी सक्रिय रूप से समर्थन दिया, और मांग की कि 4 श्रम संहिताओं को तुरंत रद्द किया जाए व सभी मज़दूरों को श्रम कानूनों के दायरे में लाया जाए।
केवाईएस और मज़दूर एकता केंद्र किसान आंदोलन के दमन की कड़े-से-कड़े शब्दों में निंदा करते है और मांग करते हैं कि किसानों के खिलाफ हिंसा तुरंत बंद की जाए। केंद्र सरकार को किसानों द्वारा लंबे समय से की जा रही सभी वास्तविक मांगों को पूरा किया जाए। संगठनों ने किसान संगठनों से अपील की है कि वे सरकार द्वारा उनकी फसलों की अनिवार्य खरीद के लिए दबाव डालें, जिससे न केवल किसानों, बल्कि शहरी मेहनतकश आबादी को फायदा होगा।