Ram temple से जल रहे मुस्लिम बाबा बागेश्वर के दरबार से पहले हिंसा पर उतरे, जानें पूरा मामला
भारत सहित पड़ोसी देश में लगा कर्फ्यू
नई दिल्ली
नेपाल के सुनसरी जिले में हिंदु-मुस्लिम हिंसा के बाद सीम से सटे भारतीय इलाकों में अलर्ट है। सुनसरी के रामनगर भुटाहा में एक तक ही हिंसा को देखते हुए प्रशासन द्वारा कर्फ्यू लगाया गया है मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार बागेश्वर धाम के पीठाधीश्वर धीरेन्द्र शास्त्री के कार्यक्रम का प्रचार कर रहे हिंदू संगठन के सदस्यों पर हमले के बाद माहौल बिगड़ा है। इसके बाद जीवन मेहता नाम के एक हिंदू युवक की बुरी तरह पिटाई की गई। स्थानीय लोगों का कहना है कि अयोध्या में राम मंदिर की प्राण-प्रतिष्ठा के बाद से ही कट्टरपंथी भड़के हुए थे। अभी तक इस मामले में मुस्लिम समुदाय के दो लोगों को गिरफ्तार किए जाने की सूचना है।
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक बागेश्वर सरकार का कार्यक्रम 17 अप्रैल को सुनसरी के चतरा में होना है। इस कार्य्रकम का प्रचार कर रहे विश्व हिन्दू परिषद के कार्यकर्ताओं पर हमला किया गया, जिसके बाद हालत तनावपूर्ण हो गए। नेपाली प्रशासन ने पीस कमेटी की मीटिंग बुलाई थी, लेकिन उसमें मुस्लिम समुदाय के जनप्रतिनिधियों ने हिस्सा नहीं लिया। नेपाल में तनाव को देखते भारत की सीमाओं पर चौकसी बढ़ा दी गई है।इस विवाद की शुरुआत 4 अप्रैल 2024 (गुरुवार) को हुई। जीवन मेहता नाम का युवक हरिनगर इलाके के रामनगर के एक स्कूल से अपनी बहन को घर ले जाने के लिए बाइक से गया था। यहाँ पर लगभग 150-200 की तादाद में मुस्लिमों की भीड़ जमा हो गई। इन सभी ने जीवन मेहता को बेरहमी से मारा। जान बचाने के लिए जीवन मेहता स्कूल में घुस गया, लेकिन भीड़ ने वहाँ भी उसे नहीं छोड़ा। हमलावरों में बच्चे, बूढ़े और जवान सभी उम्र के लोग शामिल थे।
घटना के एक चश्मदीद ने ऑपइंडिया को बताया कि भीड़ ने जीवन मेहता को स्कूल से निकाल कर रामनगर भुटहा बाजार में दौड़ा-दौड़ा कर मारा। आरोप है कि इस दौरान पुलिस-प्रशासन सब कुछ देखते हुए भी मूकदर्शक बना रहा। बताया जा रहा है कि भीड़ ने जीवन मेहता को पुलिस से छीनने का भी प्रयास किया। उसे अस्पताल ले जाने के दौरान भी रास्ते में रुकावट डाली गई। जीवन मेहता को सुनसरी जिले के सरकारी अस्पताल के ICU वार्ड में भर्ती करवाया गया। मारने वाली भीड़ का नेतृत्व फय्याज अंसारी कर रहा था।फय्याज अंसारी के अब्बा गफ्फार हरिनगर गाँवपालिका का अध्यक्ष है। हरिनगर गाँवपालिका भारत से सटा हुआ मुस्लिम बाहुल्य इलाका है। इस घटना के विरोध में अगले दिन शुक्रवार (5 अप्रैल 2024) को हिंदुओं ने प्रदर्शन किया। सड़क जाम कर के हमलावरों पर कड़ी कार्रवाई की माँग की। प्रदर्शन कर रहे लोगों पर पर भी मुस्लिम भीड़ ने हमला किया। हमलावरों की तादाद 500 के आसपास थी। हिंसक भीड़ ‘नारा ए तकबीर’ और ‘अल्लाहु अकबर’ के नारे लगा रही थी। दोनों पक्षों की भिड़ंत में दर्जनों लोग घायल हो गए।
हिन्दू सम्राट सेना के अध्यक्ष राजेश यादव ने ऑपइंडिया को बताया कि प्रशासन ने हवाई फायरिंग कर भीड़ को तितर-बितर किया। इस फायरिंग में 2 हिन्दू युवकों को गोली लग गई। दोनों को इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती करवाया गया है। फिलहाल दोनों की हालात खतरे से बाहर बताई जा रही है। हिंसक भीड़ ने ब्रह्मदेव मेहता नाम के एक नेपाली पत्रकार पर भी हमला किया। उन्हें पत्थरों और लाठियों से पीटा गया। ब्रह्मदेव का कैमरा छीन कर मोबाइल को तोड़ दिया गया। पत्रकार पर हमले का मास्टरमाइंड सज्जाद को बताया जा रहा है। सज्जाद अंसारी गाँवपालिका अध्यक्ष गफ्फार का दायाँ हाथ बताया जाता है।इस हिंसा के बाद सुनसरी जिले के हिन्दू समुदाय एकजुट हो गए। उन्होंने प्रदर्शन करते हुए हमलावरों पर कड़ी कार्रवाई की माँग की। पुलिस वीडियो फुटेज के आधार पर हमलावरों को चिन्हित करने का काम कर रही है। हिंसा को काबू करते हुए 17 पुलिसकर्मी भी घायल हुए हैं, जिनका इलाज चल रहा है। एक चश्मदीद ने ऑपइंडिया को बताया कि कुछ स्थानीय मुस्लिम पत्रकार अपने ही समुदाय को प्रताड़ित बताने का प्रोपेगेंडा चला रहे हैं।पीड़ित के तौर पर हिन्दुओं के बजाय मुस्लिमों को बता रहे हैं। इन पत्रकारों में ताबिल अंसारी, नसीम, अजमल नेपाली और मोहसीम अंसारी के नाम प्रमुख बताए गए। इन सभी पर हिन्दुओं के ही खिलाफ भ्रामक खबरें फैलाने का आरोप है।
घटना के एक चश्मदीद ने ऑपइंडिया को बताया कि मामले की शुरुआत अयोध्या में राममंदिर प्राण-प्रतिष्ठा के समय से हुई थी। तब हरिनगर के ही गौतमपुर इलाके में वार्ड नंबर 3 में मुस्लिम समुदाय के कुछ लोगों ने हिन्दू युवकों द्वारा लगाए गए भगवा ध्वज को नोंच कर फेंक दिया था। इस दौरान प्रशासन और ग्रामीणों ने दोनों पक्षों को समझा कर मामले को दबा दिया था। इस घटना के विरोध में जीवन मेहता ने एक वीडियो जारी किया था। वीडियो में जीवन मेहता ने भगवा झंडा के अपमान पर मुस्लिमों की आलोचना की थी। इसके बाद से ही वे मुस्लिमों के निशाने पर थे।