नई दिल्ली
लोकसभा चुनाव के दौरान मतदान के दौरान 100% VVPAT का मिलान नहीं होगा। सुप्रीम कोर्ट ने इस मांग को खारिज कर दिया था।
दरअसल 100% VVPAT की मिलान की मांग को लेकर एक याचिका दायर की गई थी। इसपर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने 100% वीवीपीएटी की गणना की मांग कोर्ट ने खारिज की। दो जजों ने दो फैसला लिखा है। दोनों में सहमति है। अदालत ने कहा कि वह मतदान मशीनों के फायदों पर संदेह करने वालों और मतपत्रों पर वापस जाने की वकालत करने वालों की विचार प्रक्रिया को नहीं बदल सकती। इसके अलावा बुधवार को फैसला सुरक्षित रखते हुए पीठ ने उप चुनाव आयुक्त नितेश व्यास को कोर्ट में बुलाकर पांच मुद्दों पर स्पष्टीकरण मांगा था। कोर्ट ने कहा, हमने ईवीएम के बारे में अक्सर पूछे जाने वाले सवाल (एफएक्यू) देखे हैं। हम तीन-चार चीजों पर स्पष्टीकरण चाहते हैं। हम तथ्यात्मक रूप से गलत नहीं होना चाहते बल्कि अपने निर्णय में दोहरा सुनिश्चित होना चाहते हैं और इसलिए यह स्पष्टीकरण मांग रहे हैं। पीठ ने जिन पांच सवालों के जवाब मांगे थे उनमें यह भी शामिल था कि क्या ईवीएम में लगे माइक्रोकंट्रोलर रिप्रोग्रामेबल हैं।
इस पर व्यास ने कोर्ट को बताया था कि ईवीएम की तीनों यूनिट, मतदान, कंट्रोल व वीवीपीएटी में माइक्रोकंट्रोलर लगे हैं। फिजिकली उन तक नहीं पहुंचा जा सकता। इन्हें एक बार ही प्रोग्राम किया जा सकता है। उन्होंने कहा, ईवीएम मशीनों को आमतौर पर 45 दिनों के लिए सुरक्षित रखा जाता है। चुनाव याचिका दायर करने की स्थिति में समयसीमा बढ़ा दी जाती है। व्यास ने पहले भी कोर्ट को ईवीएम की कार्यप्रणाली की जानकारी दी थी।