Lok Sabha Elections: DTC बसों में भी हो रही चुनावी चर्चा, अपने अपने प्रत्याशियों के जितने का कर रहे दावा

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नई दिल्ली 

राम नरेश

राजधानी दिल्ली में लोकसभा चुनाव का प्रचार-प्रसार जोरों शोरों पर है, लेकिन मतदाताओं में चुनाव का मुद्दा हर जगह चर्चा में है। दिल्ली मेट्रो हो या डीटीसी या फिर अन्य सार्वजनिक परिवहन के साधन। सभी जगहों पर चुनावी मुद्दों के लेकर मतदाता अपने प्रत्याशियों के दावों का आकलन कर रहे हैं। बसें भी चुनावी चर्चा के रंग में रंगी हुई है।

शनिवार की सुबह 9 बजकर 45 मिनट पर इंद्रपुरी से अंबेडकर नगर तक जाने वाली 522 बस चलने को तैयार थी। बस सवारियों से करीब-करीब भरी हुई थी। बस की सीट ठीक नहीं होने पर एक यात्री ने तंज कसते हुए कहा कि नेताओं को बस अपनी सीट से मतलब है। जनता की सीट चाहे फटी क्यों न हो। धीरे-धीरे चर्चा प्रधानमंत्री बनाम विपक्ष पर आ जाती है। दो यात्रियों वाली वरिष्ठ सीट पर बैठे राजवीर यादव कहते हैं कि वर्तमान सरकार ने अच्छे काम किए हैं। आर्थिक असमानता मिटाने के लिए भी कार्य किए है। इसी दौरान उनकी बात बीच में से काटते हुए बगल में बैठे चेतन ने कहा कि अब तक वे भाजपा को वोट देते आए हैं, लेकिन इस बार वह उसी को वोट देंगे, जो इलाके में सुधार करेगा। उत्तर-पूर्वी जिला में कांग्रेस, भाजपा और आम आदमी पार्टी के प्रत्याशियों ने वोट मांगने के लिए काफी वादे किए हैं, लेकिन पिछली सरकारों ने इलाके में उचित विकास कार्य नहीं किए। वह कहते है कि पिछली सरकार के रवैये से वह नाराज भी हैं, इसलिए मतदान के लिए नोटा का भी चयन कर सकते हैं। बस में कई स्टाप पर यात्री बदले। इस दौरान सफर के साथ बस में बैठे लोगों ने बेरोजगारी से लेकर महंगाई की बात हर किसी की जुबान पर दिखी।

चुनाव जनसमस्याओं पर हो

वहीं, सीट के बराबर में खड़े युवा प्रमोद कौशिक ने कहा कि देश में संसदीय प्रणाली में चुनाव मुद्दों और जनसमस्याओं पर होना चाहिए, लेकिन सत्ता पक्ष और विपक्ष दोनों व्यक्ति केंद्रित चुनाव लड़ रहे हैं। आगे वाली सीट पर बैठी सुशीला ने कहा कि महंगाई का जिक्र भी होना चाहिए। मौजूदा समय में घर का खर्चा चलाना आसान नहीं है। सिलेंडर के दाम से लेकर खाने-पीने की चीजों के दाम आसमान छू रहे है। उन्होंने कहा कि वह उस पार्टी को वोट डालेगी, जो महंगाई की बात करेगा। वहीं, आर्मी से सेवानिवृत्त गुरविंदर ने पुरानी पेंशन योजना (ओपीएस) लागू करने की बात कही। उन्होंने कहा कि ओपीएस लागू होनी चाहिए। निजी कंपनियों में काम करने वाले कर्मचारियों का दर्द था कि महंगाई के साथ तनख्वाह नहीं बढ़ती और इसके लिए भी सरकार को कुछ करना चाहिए। बस में बैठी बुजुर्ग महिला वृद्धा पेंशन बढ़ने से खुश थीं।

दिल पर हाथ रखकर कहो, गुंडागर्दी कम हुई कि नहीं

चर्चा में धीरे-धीरे करीब आधी सवारियां शामिल होने लगती हैं। बात कानून-व्यवस्था और महिला सुरक्षा पर आ टिकती है। बुजुर्गवार बालकिशन कहते हैं कि भाई दिल पर हाथ रखकर कहो कि प्रदेश में महिला सुरक्षा पुख्ता है या नहीं। तभी आवाज आई कि ताऊजी यह लोकसभा का चुनाव है, विधानसभा का नहीं। भाई चुनाव कोई सा भी हो। पार्टी तो वही है।

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