RTE एडमिशन प्रक्रिया उड़ा रही है गरीब और जरूरतमंद अभिभावकों का मजाक : संयुक्त अभिभावक संघ

RTE धोखा है, अच्छा होगा सरकार इस योजना को बंद करने पर विचार करे, गरीब और जरूरतमंद अभिभावक जिल्लत से तो बचेंगे : अभिषेक जैन बिट्टू

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जयपुर

राइट टू एजुकेशन (आरटीई) जब कानून बनाया गया था तब यह कल्पना की गई थी की इस योजना से गरीब और जरूरतमंद बच्चों को अच्छे स्कूलों में दाखिला दिलवाकर उनका भविष्य संवारने का काम करेगी किंतु विगत कुछ वर्षों से यह योजना केवल मजाक बनकर रह गई है इस योजना की एडमिशन प्रक्रिया हर साल इतनी जटिल कर दी जाती है की 90 फीसदी से अधिक बच्चों को एडमिशन ही नही मिलता, किंतु इस योजना के नाम पर अभिभावकों को ईमित्रों पर खड़ा कर प्रत्येक अभिभावकों को कम से कम एक हजार रु की चोट अवश्य पहुंचाई जा रही है। इस विषय पर संयुक्त अभिभावक संघ ने कहा की ” आरटीई प्रक्रिया गरीब और जरूरतमंद अभिभावकों के लिए भद्दा मजाक है, यह योजना हर साल लाखों अभिभावकों का मजाक तो उड़ती है किंतु उनके बच्चों को अच्छी शिक्षा नही दिलवा पा रही है। ”

संघ प्रदेश प्रवक्ता अभिषेक जैन बिट्टू ने कहा की आरटीई प्रक्रिया अभिभावकों के साथ पूरी तरह से धोखा है, अच्छा होगा सरकार इस योजना को बंद करने का विचार करे तो अभिभावकों को ज्यादा राहत मिलेगी और कुछ नही तो आरटीई प्रक्रिया के तहत जो अभिभावकों को जिल्लत दी जा रही है उस जिल्लत से तो अभिभावक बच जायेंगे।

जैन ने कहा की ” वर्तमान में आरटीई की एडमिशन प्रक्रिया इतनी जटिल है की अभिभावकों से पैन कार्ड, आधार कार्ड में वार्ड नंबर, जाति प्रमाण पत्र, आय प्रमाण पत्र जैसे कागज मांगे जा रहे है, जिसको तैयार करवाने में अभिभावक ना केवल चक्कर काट रहे है बल्कि इन कागजों की आड़ में हजारों रु पहले खर्च करने पड़ रहे, इन सबको तैयार करवाते है तब तक प्रक्रिया की आखिरी डेट भी खत्म हो जाती है, जो अभिभावक समय पर कागजी कार्यवाही पूरी कर एडमिशन प्रक्रिया में शामिल हो जाते है तो कोई ना कोई प्रश्नचिन्ह लगाकर ना केवल सरकारी दफ्तरों के चक्कर कटवाए जाते है बल्कि स्कूलों के चक्कर भी लगवाए जाते है, गरीब और जरूरतमंद अभिभावक अपने बच्चों की शिक्षा के लिए अपना काम धंधा छोड़कर चक्कर काटते फिरते है उसके बावजूद भी उनके बच्चों को एडमिशन नहीं मिलता।इस प्रक्रिया से अभिभावक दोहरी मार झेलने को मजबूर हो रहे है। ना केवल काम धंधा छोड़ रहे है बल्कि कागजों पर पैसा भी खर्च कर रहे है उसके बावजूद भी उन्हें एडमिशन ना देकर जिल्लत किया जा रहा है। विगत एक माह में हजारों अभिभावकों की शिकायत संयुक्त अभिभावक संघ को प्राप्त हुई है, जिसके आधार पर हम इस प्रक्रिया को लेकर कोर्ट जाने की योजना बना रहे है, जिसमें एडमिशन प्रक्रिया को सरल बनाने, सुधार करने की मांग रखेंगे और अगर यह नही हो सकता है तो इस योजना को बंद करने की भी मांग रखेंगे। क्योंकि इस योजना से दुकानदारों का तो भला हो रहा है किंतु उन अभिभावकों को बिलकुल भी लाभ नहीं मिल रहा है जिनके लिए यह योजना लाई गई थी, अब यह योजना केवल जनता को गुमराह करने, ठगने और निजी स्कूलों को संरक्षण देने मात्र तक बनकर रह गई है।

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