लखनऊ, संवाददाता।
नगर आयुक्त द्वारा नगर निगम के जोन आठ के सभी कर्मियों के वेतन को अग्रिम आदेशों तक रोके जाने को लेकर कर्मचारी संगठनों में आक्रोश है। नगर निगम एवं जल कल कर्मचारी संघ लखनऊ के अध्यक्ष शशि कुमार मिश्र ने इसे तुगलकी फरमान बताते हुए तत्काल वापस लेने की मांग की है। आडिट आपत्तियों को लेकर आम कर्मचारियों से कोई लेना देना नहीं
अध्यक्ष शशि कुमार मिश्र ने बताया कि आडिट आपत्तियों को लेकर आम कर्मचारियों से कोई लेना देना नहीं है। उन्होंने लेखा विभाग सहित अन्य कर्मचारियों के वेतन रोके जाने की घोर निन्दा की है। उन्होंने सवाल उठाया कि यह स्थिति कैसे उत्पन्न हुई? उन अधिकारियों के खिलाफ इसकी जिम्मेदारी पर क्यों नहीं हुई जिनपर पूर्व में कार्यवाही की गयी? उन्होने कहा कि नगर निगम प्रशासन को सबसे सस्ता आम कर्मचारी ही मिलता है। इस तरह की कार्यवाही को तत्काल रोकने का अनुरोध
श्री मिश्र ने अनुरोध किया है कि इस तरह की कार्यवाही को तत्काल रोका जाये। इसके पूर्व भी अनावश्यक रूप से एकतरफा निर्णय लेकर जोन सात के सम्पत्ति, स्वास्थ्य आदि विभागों के कर्मचारियों का निलंबन हुआ था। वहीं गत वर्ष ज़ोन आठ के चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों का अनावश्यक रूप से पार्किंग के मामले में निलम्बन हुआ। आज वर्षों बीत जानेे के बाद भी बहाली हुई। रोके गए वेतन आदि की बहाली आदि बहुत से मामलों पर प्रशासन एकतरफा निर्णय लेकर कर्मचारी समाज की समस्याओं का समाधान नहीं कर रहा है। जो एक बड़े आन्दोलन की ओर संगठनों को प्रेरित कर रहा है। तुगलकी फरमान से कर्मचारी समाज परेशान
संगठन का बहुत ही विनम्र अनुरोध है कि तत्काल इस प्रकार की तुगलकी फरमान से कर्मचारी समाज परेशान हो रहा है। न्यायोचित एवं कर्मचारी हित में उनकी समस्याओं का समय रहते निस्तारण कराने का कष्ट करें। संगठन द्वारा बराबर पत्र लिखने के बाद भी संज्ञान नहीं लिया जा रहा है। इस पर भी तत्काल संगठन के पत्रों पर संज्ञान लिया जाये। यह है मामला
दरअसल, नगर आयुक्त इन्द्रजीत सिंह ने नगर निगम के जोन आठ के सभी कर्मचारियों का वेतन अग्रिम आदेशों तक रोक दिया है। ऑडिट आपत्तियों का निस्तारण न कराने की वजह से नगर आयुक्त ने पूरे जोन के कर्मचारियों का वेतन रोका है।
नगर आयुक्त ने कहा कि ऑडिट आपत्तिर्यो का निस्तारण कराते ही सभी का वेतन जारी कर दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि कई बार निर्देश के बावजूद कर्मचारी ऑडिट आपत्तियों के निस्तारण में रुचि नहीं ले रहे थे। इसी वजह से सभी का वेतन रोका गया।