आजमगढ़: गुप्त नवरात्र 2024 आषाढ़ मास शुक्ल कब से शुरू हो रहा है, आईए जाने?

इन दिनों में जो भी साधक माता की साधना करता है, उन्हें बड़ी दुर्लभ सिद्धियां प्राप्त होती हैं

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आजमगढ़, उपेन्द्र कुमार पांडेय।
भारतीय सनातन धर्म में वैदिक पंचांग के अनुसार, कुछ चार नवरात्र लगता है। इसमें दो गुप्त और दो सार्वजनिक नवरात्रि होती है। इस दौरान मां दुर्गा की गुप्त साधना की जाती है।
नारायण ज्योतिष परामर्श एवं अनुसंधान केंद्र फूलपुर प्रयागराज के ज्योतिषाचार्य पं. ऋषिकेश शुक्ल ने बताया कि सनातन धर्म में नवरात्रि का बड़ा ही खास महत्व माना जाता है। यह नवरात्रि वर्ष में चार बार आती है। जिसमें दो गुप्त नवरात्रि होती है। उन्होंने बताया कि माना जाता है कि इन दिनों में जो भी साधक माता की साधना करता है, उन्हें बड़ी दुर्लभ सिद्धियां प्राप्त होती हैं।
कब से शुरू होगी नवरात्रि?
वैदिक पंचांग के अनुसार, आषाढ़ माह शुक्ल पक्ष के प्रतिपदा तिथि की शुरुआत 6 जुलाई को शुबह 4.32 मिनट से शुरू होगी और इसका समापन अगले दिन यानी 7 जुलाई को 4.28 मिनट पर होगी। उदया तिथि के अनुसार गुप्त नवरात्रि 6 जुलाई 2024 दिन शनिवार को पुनर्वसु नक्षत्र मनाई जायेगी।
घट स्थापना का शुभ मुहूर्त
06 जुलाई 2027 को घट स्थापना का शुभ मुहूर्त सुबह 5.18 मिनट से शुरू होगा, जो 7. 24 मिनट तक रहेगा। अभिजीत मुहूर्त पर भी घटस्थापना कर सकते हैं, जो सुबह 11. 05 बजे से लेकर 12.02 तक रहेगा। अभिजीत मुहूर्त में कलश स्थापना करना बहुत ही शुभकारी माना जाता है। इसलिए घट स्थापना अभिजीत मुहूर्त में कर सकते हैं।
आषाढ़ माह की गुप्त नवरात्रि का महत्व
धार्मिक मान्यता के अनुसार, गुप्त नवरात्रि में मां दुर्गा की साधना करने से व्यक्ति को उनका आशीर्वाद प्राप्त होता है। साथ ही उसके जीवन में सुख समृद्धि का वास रहता है। सभी प्रकार के दुख व संकट दूर होते हैं। इन दिनों में माता की गुप्त साधना की जाती है। नव दिन का व्रत रख कर उपासना किया जाता है। गुप्त नवरात्रि में माता की गुप्त तरीके से साधना की जाती है।
गुप्त नवरात्रि की तिथियां
06 जुलाई 2024 को प्रतिपदा तिथि नवरात्र प्रारंभ
15 जुलाई 2024 दिन रविवार अष्टमी तिथि अष्टमी व्रत
16 जुलाई 2024 दिन सोमवार को नवमी तिथि हवन तथा सुबह 11.00 बजे के बाद पारण किया जाएगा
गुप्त नवरात्र में मां दुर्गा की विधि पूर्वक पूजा पाठ एवं व्रत करने से घर में सुख समय समृद्धि तथा रुके हुए कार्य पूर्ण होते हैं
ज्योतिषाचार्य
पंडित ऋषिकेश शुक्ल

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