निकाय कर्मचारी महासंघ ने फिर से दी आन्दोलन की चेतावनी, 2017 से नहीं सुन रही सरकार

15 जुलाई से 15 अगस्त तक प्रदेश की सभी ईकाइयों में जनजागरण चलेगा व होंगी बैठकें

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लखनऊ, संवाददाता।
लम्बित मामलों पर निर्णय नहीं लिए जाने से नाराज उ.प्र. स्थानीय निकाय कर्मचारी महासंघ ने फिर से आन्दोलन शुरू करने की चेतावनी दी है। वर्ष 2017 से ज्यादातर लम्बित मामलों के निर्णायक निर्णय लेने के लिए 15 जुलाई से 15 अगस्त तक प्रदेश की सभी ईकाइयों में जनजागरण चलेगा व बैठकें होंगी। यह निर्णय सोमवार को हुई बैठक में लिया गया है। महासंघ ने लोकसभा चुनाव के पहले अपने आन्दोलन को स्थगित कर दिया था।
महासंघ के प्रदेश अध्यक्ष शशि कुमार मिश्र ने बताया कि समस्याओं के समाधान से सम्बधित आदेश नहीं जारी किए गए तो प्रदेश की नगर निकायों में अनिश्चित कालीन कार्यबन्दी के अतिरिक्त कोई अन्य विकल्प शेष नहीं है। क्योंकि पिछले सात वर्षों से महासंघ लगातार आन्दोलन रत रहते हुए बहुत ही विनम्र निवेदन भी कर चुका है।
अध्यक्ष शशि कुमार मिश्र ने बताया कि वर्ष 2017 से ज्यादातर लम्बित मामलों के निर्णायक निर्णय कराने के लिए प्रधानमंत्री, रक्षामंत्री, प्रदेश के मुख्यमंत्री, दोनों डिप्टी सीएम व नगर विकास मंत्री के साथ साथ नवनियुक्त मुख्य सचिव का ध्यानाकर्षण कराया गया था। इसके साथ ही सभी अपर मुख्य सचिव व प्रमुख सचिव नगर विकास, स्थानीय निकाय निदेशक को आन्दोलन की नोटिस भेज कर समय रहते वार्ता कर पूर्व में हुई बैठकों में लिए गए निर्णयानुसार पर सम्बंधित आदेश जारी करने का अनुरोध किया गया था।
उन्होंने बताया कि मौजूदा वर्तमान सरकार से वर्ष 2017 से इन्हीं सब मांगों की पूर्ति न किए जाने के विरोध स्वरूप लगातार आन्दोलन, धरना प्रदर्शन, ज्ञापन, बैठक आदि के माध्यम से सैकडों बार ध्यानाकर्षण किए गए, लेकिन खेद है कि प्रदेश सरकार व शासन, नगर विकास मंत्री व प्रमुख सचिव द्वारा निकाय कर्मचारियों की सेवा सम्बधी वेतन विसंगति, अकेन्द्रियत सेवा नियमावली, 2001 तक के दैनिक वेतन, संविदा कर्मियों का विनियमितीकरण, रिक्त पदों पर स्थाई नियुक्ति, पदोन्नति, सफाई कर्मचारियों सहित, लिपिक, चालक आदि किसी भी कैडर का पुनर्गठन ही नहीं किया गया।
अध्यक्ष शशि कुमार मिश्र ने बताया कि पुरानी पेंशन बहाली, बढीं हुई आबादी के अनुरूप पदों का सृजन सहित आऊटसोर्सिंग कर्मचारियों की सेवा सुरक्षा, स्थाईकरण की नीति, इन श्रमिकों को कार्य के अनुरूप वेतन, भत्ता ही दिया जा रहा, पूर्व से महासंघ के 13 सूत्रीय मांग पत्र पर अभी तक कोई निर्णय नहीं लिया जा सका।

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