झूठे है दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री, जानें LG House ने क्यों किया ऐसा दावा

स्वास्थ्य मंत्री ने पीसी में लगाया झूठा आरोप, खाली पदों को लेकर मुख्यमंत्री जिम्मेदार

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नई दिल्ली
दिल्ली के राजनिवास ने दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री पर झूठ बोलने का आरोप लगाया है। उनका कहना है कि दिल्ली सरकार पिछले 10 सालों से दिल्ली की जनता को गुमराह कर रही है। इस बार न्यायपालिका को भी गुमराह करने का प्रयास किया।
दिल्ली हाई कोर्ट द्वारा, राजधानी में स्वास्थ्य के लचर बुनियादी ढांचे के लिए आम आदमी पार्टी की सरकार और विशेष रूप से सौरभ भारद्वाज को फटकार लगाने के बावजूद, सच्चाई यही है कि सौरभ भारद्वाज और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने डॉक्टरों और अन्य चिकित्सा कर्मचारियों की भर्ती के लिए कभी भी, कोई ठोस प्रयास नहीं किया। इसके बजाय, केजरीवाल और भारद्वाज ने निरर्थक “पत्रों और पत्राचार” के रूप में झूठे बहाने बनाने का काम किया है।
मंत्री सौरभ भारद्वाज ने 02.01.2024 को मुख्यमंत्री केजरीवाल को पत्र लिखकर एक वर्ष की अवधि के लिए अनुबंध के आधार पर डॉक्टरों (विशेषज्ञों और चिकित्सा अधिकारियों) और पैरामेडिक्स को संबंधित रिक्त स्वीकृत पदों पर भर्ती/नियुक्ति या UPSC/DSSSB के माध्यम से नियमित रूप से, इनमें से जो भी पहले हो, करने का प्रस्ताव दिया था। उन्होंने डॉक्टरों और पैरामेडिक्स की नियुक्ति में UPSC और दिल्ली सरकार के सेवा विभाग द्वारा तेजी लाने के लिए, इस मामले को उपराज्यपाल के साथ उठाने का अनुरोध किया था। भारद्वाज ने उपराज्यपाल से अनुबंध के आधार पर डॉक्टरों को नियुक्त करने के लिए स्वास्थ्य विभाग को निर्देश देने की भी मांग की थी।

डॉक्टरों की नियुक्ति/भर्ती आदि का यह कार्य एक्सक्लूसिवली राष्ट्रीय राजधानी सिविल सेवा प्राधिकरण (NCCSA) के क्षेत्राधिकार में आता है, जिसके अध्यक्ष मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल स्वयं हैं। उन्हें NCCSA की बैठक बुलाने और ऐसा कोई भी निर्णय लेने का अधिकार कानून देता है। यदि उनकी मंशा डॉक्टरों आदि को अनुबंध के आधार पर नियुक्त करने की होती, तो उन्होंने इसके लिए NCCSA की तुरंत बैठक बुलाई होती और आवश्यक कदम उठाए होते।
हालांकि, केजरीवाल ने मुख्य सचिव, जो NCCSA के सदस्य सचिव हैं, को डॉक्टरों और मेडिकल स्टाफ की भर्ती के मामले को एजेंडे में रखने का निर्देश देने के बजाय, 04.01.2024 को उपराज्यपाल को प्रस्ताव भेजकर इस मामले में उनसे “हस्तक्षेप” की मांग की। यह बताना जरूरी है कि नियुक्तियों, ट्रांसफर/पोस्टिंग और अनुशासनात्मक कार्रवाइ समेत किसी भी सेवा संबंधित मामले का निर्णय मुख्यमंत्री की अध्यक्षता वाली NCCSA द्वारा किया जाता है और उसके पश्चात उपराज्यपाल के समक्ष रखा जाता है।
इसके बावजूद, उपराज्यपाल ने मामले की गंभीरता को देखते हुए इसे मुख्य सचिव को भेज दिया। यह अलग बात है कि जब से NCCSA की व्यवस्था लागू हुई है, मुख्यमंत्री केजरीवाल ने शायद ही कभी इसकी बैठक बुलाई हो। मौजूदा मामले में, वह तब निर्णय ले सकते थे, जब उन्होंने आखिरी बार फरवरी, 2024 में NCCSA की बैठक थी, लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया। यहां तक कि जब मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल अंतरिम जमानत पर बाहर थे, तब भी प्रेस कॉन्फ्रेंस मंत्री ने अपने बॉस से इस मामले में कार्रवाई करने का अनुरोध करना जरूरी नहीं समझा, जबकि सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट रूप से केजरीवाल को ऐसे गंभीर मामले उपराज्यपाल के समक्ष रखने की अनुमति दी थी।
इस बीच, सौरभ भारद्वाज ने एक बार फिर से 19.04.2023 को उपराज्यपाल को नॉन टीचिंग स्पेशलिस्ट के 292 रिक्त पदों और जनरल ड्यूटी मेडिकल ऑफिसर (GDMO) के 234 पदों को भरने के संबंध में लिखा, जिस पर UPSC द्वारा पहले ही प्रक्रिया शुरू कर दी गई थी। हालांकि, 03.05.2023 को उपराज्यपाल के सचिव द्वारा भारद्वाज के पत्र को UPSC को भेजा गया, जिसकी एक प्रति पीसी मंत्री के कार्यालय को उनकी जानकारी के लिए भेजी गई थी। जिसके बाद, UPSC ने 03.06.2023 को उपराज्यपाल सचिवालय को भर्तियों कि स्थिति के संबंध में जानकारी दी।
UPSC द्वारा उपराज्यपाल सचिवालय को सूचित किया कि आयोग को 24.04.2023 को GDMO के 234 पदों को भरने का अनुरोध प्राप्त हुआ था और 13.05.2023 को प्रकाशित रिक्तियों में इसका विज्ञापन दिया गया था और इसके लिए 20.08.2023 को परीक्षा आयोजित की गई।
अपने पत्राचार में UPSC ने आगे कहा कि उन्हें 10.06.2023 को विज्ञापित होम्योपैथी की विभिन्न विशिष्टताओं के शिक्षण संवर्ग (Teaching Cadre) के 68 पदों के लिए 12 प्रार्थनाएं (requisitions) भी प्राप्त हुई थीं। नॉन टीचिंग स्पेशलिस्ट के 279 पदों के लिए UPSC को प्रार्थनाएं (Requisitions) 19.10.2023 को प्रस्तुत की गई थी और विज्ञापन जनवरी, 2024 में जारी किया गया था।
इस बाच पीसी मंत्री ने 06.06.2023 को एक बार फिर से उपराज्यपाल को पत्र लिखा, जिसमें कोई नई बात नहीं कही गई थी। उपराज्यपाल सचिवालय ने 16.06.2023 को पीसी मंत्री के पत्रों के साथ UPSC के पत्र को मुख्य सचिव को जल्द से जल्द उचित कार्रवाई के निर्देश के साथ भेज दिया।
इसके अलावा, उपराज्यपाल की पहल पर, DSSSB ने दिल्ली सरकार के अस्पतालों में डॉक्टरों, पैरा-मेडिकल और नर्सिंग स्टाफ की भर्ती भी शुरू कर दी है। उपराज्यपाल के हस्तक्षेप से UPSC / DSSSB के माध्यम से लगभग 3000 डॉक्टरों और मेडिकल स्टाफ की नियुक्ति/भर्ती प्रक्रिया पहले ही शुरू की जा चुकी है।
इसके अलावा, DSSSB ने वर्ष 2023-24 में दिल्ली सरकार के विभिन्न अस्पतालों में अनुबंध के आधार पर 962 नर्सिंग स्टाफ और 777 पैरामेडिकल स्टाफ की नियुक्ति की है।
इसके अलावा, 01.01.2023 से आज तक 19 नॉन टीचिंग स्पेशलिस्ट ग्रेड III की नियुक्ति की गई है, जिनमें से 4 डॉक्टरों की पोस्टिंग NCCSA की बैठक के अभाव में नहीं की जा सकी है। इसी प्रकार 01.01.2023 से आज तक कुल 41 सहायक प्रोफेसर (आयुर्वेद एवं यूनानी) की नियुक्ति की गई है, जिनमें से 38 ने कार्यभार ग्रहण कर लिया है और शेष को NCCSA की बैठक के अभाव में तैनात नहीं किया जा सका है।

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