रेलवे में दो लाख 74 हज़ार पद खाली,2019 के बाद से नहीं हुई भर्तियां,अनुपम ने रेल मंत्री को बताई सच्चाई

रेल में सुरक्षा श्रेणी के 1.77 लाख पद रिक्त

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नई दिल्ली/लखनऊ। रेलवे में दो लाख 74 हज़ार पद खाली हैं। इस अहम विभाग में इतनी भारी संख्या में पद खाली होने के बावजूद भी मार्च 2019 के बाद से एक भी भर्ती नहीं निकाली गई। ओडिसा के बालासोर में दिल दहला देने वाली दुर्घटना में सैकड़ों जानें चली गयी। रेलवे की सुरक्षा को लेकर गंभीर सवाल उठे। लेकिन इसपर पर्याप्त चर्चा नहीं हुई कि भारतीय रेल में सुरक्षा श्रेणी के 1.77 लाख पद रिक्त हैं।
यह बातें युवा हल्ला बोल के राष्ट्रीय अध्यक्ष अनुपम ने रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव को लिखे पत्र में कहा है। अनुपम संयुक्त युवा मोर्चा के संस्थापक सदस्य भी हैं। उन्होंने रेल मंत्री को टैग करते हुए पत्र को ट्वीट भी किया है। अनुपम ने कहा कि रेलवे में नौकरी की आस लगाए अभ्यर्थी लंबे समय से कहते आए हैं कि मैं आपको पत्र लिखकर उनकी चिंताओं से अवगत कराऊं। यह पत्र आपको इस उम्मीद में लिख रहा हूं कि हमें सकारात्मक जवाब मिलेगा।


आप जानते हैं कि भारतीय रेल सार्वजनिक क्षेत्र की सबसे बड़ी एम्प्लायर है। दशकों से हमारे देश में युवाओं का बड़ा वर्ग रेलवे सेवा के जरिए सुरक्षित भविष्य का सपना देखता रहा है। लेकिन हाल के वर्षों में भारतीय रेल को लेकर केंद्र सरकार की उदासीनता चिंता का विषय बन गयी है।
अनुपम ने पत्र के माध्यम से कहा कि पिछले महीने ही ओडिसा के बालासोर में दिल दहला देने वाली दुर्घटना हुई। जिसमें सैकड़ों जानें चली गयी। रेलवे की सुरक्षा को लेकर गंभीर सवाल उठे और आपने राहत बचाव कार्यों को बखूबी निभाया। लेकिन इसपर पर्याप्त चर्चा नहीं हुई कि भारतीय रेल में सुरक्षा श्रेणी के 1.77 लाख पद रिक्त हैं। जून 2023 में मिली आरटीआई रिपोर्ट के अनुसार तो रेलवे में कुल मिलाकर 2 लाख 74 हज़ार पद खाली हैं।
इतनी भारी संख्या में रेलवे जैसे अहम विभाग में पद खाली होने के बावजूद मार्च 2019 के बाद से सरकार द्वारा एक भी भर्ती नहीं निकालना हमें विचलित करता है। पिछले लोकसभा चुनाव से ठीक पहले आयी एनटीपीसी और ग्रुप-डी की भर्तियों को साढ़े चार साल हो गए। उस वक्त आपकी सरकार ने चुनाव से ठीक पहले यह वादा किया था कि रेलवे के जरिए अगले दो साल में चार लाख नौकरियां दी जाएंगी। लेकिन यह देख कर अत्यंत दुख होता है कि वादे के उलट नयी सरकार में कोई भर्ती ही नहीं निकाली गयी।

अनुपम ने रेल मंत्री को संबोधित पत्र में लिख है कि भारतीय रेल को लेकर सरकार का यह गैरजिम्मेदाराना रवैय्या निराशाजनक है। इसका खामियाजा सिर्फ बेरोजग़ार युवा ही नहीं, रेलवे की गुणवत्ता सुरक्षा और कार्यप्रणाली को भी भुगतना पड़ रहा है। एक तरफ जहां रेलवे भर्ती की तैयारी कर रहे युवाओं की उम्र निकल रही है। वहीं कर्मचारियों की कमी के कारण रेलकर्मी भारी दबाव और मानसिक तनाव में काम करने को विवश हैं। इसका दुष्प्रभाव जनता को मिल रही रेलवे की सेवा और सुरक्षा पर भी दिख रहा है। इसमें किसी भी समझदार भारतीय की अलग राय नहीं हो सकती कि सरकार को इन समस्यायों पर गंभीरता से विचार करना चाहिए।
अनुपम ने रेलवे के जरिए बेहतर भविष्य का सपना देख रहे देश के करोड़ों युवाओं की मांगों पर सुनवाई करने का भी निवेदन किया है।


👉रिक्त पड़े 2 लाख 74 हज़ार पदों पर जल्द से जल्द विज्ञापन जारी किया जाए,
👉भर्ती प्रक्रिया में ‘मॉडल एग्जाम कोड’ लागू कर 9 महीने के अंदर विज्ञापन से नियुक्ति तक के सभी चरण पूरे हों,
👉रेलवे में नियमित कार्यों से संबंधित नौकरियों को ठेके पर देना या आउटसोर्स करना बंद किया जाए,
👉इंजीनियरिंग छात्रों के लिए पदों में कटौती न हो, अभियंत्रण पदों पर तकनीकी छात्रों को ही अवसर मिले,
👉ALP, टेक्नीशियन, JE, SSE जैसे सुरक्षा श्रेणी के 1.77 लाख पदों को युद्धस्तर पर भरा जाए,
👉करीब पाँच साल से भर्ती न निकलने के कारण जो अभ्यर्थी अधिकतम आयु सीमा पार कर गए, उनके लिए नयी भर्ती में 3 साल उमर की छूट मिले,
👉SSC UPSC IBPS की तरह रेलवे के पास भी वार्षिक भर्ती कैलेंडर हो जिसका सख्ती से पालन किया जाए।

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