ANNUAL CONFERENCE MICROCON- 2023: डेंगू के वैक्सीन पर चर्चा के लिए KGMU में जुटेंगे देशभर के चिकित्सक

23 नवंबर से शुरू होने वाले इस कॉफ्रेंस में चिकित्सा, विज्ञान के क्षेत्र से करीब 1200 डेलीगेट्स लेंगे हिस्सा

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लखनऊ। देश में हर साल जानलेवा बिमारी डेंगू से बहत लोगों की मौते होती हैं। ऐसे में जब दुनिया के कुछ देशों में टीकाकरण हो रहा है। जिसकी चर्चा हर जगह हो रही है। हम लोग भी वैक्सीन और उसके प्रभाव पर नजर बनाये हुये हैं। डेंगू का टीकाकरण भारत में कैसे शुरू हो सकता है। क्या चुनौतियां हैं, कितना असरदार होगा। इन सब बातों पर चर्चा के लिए KGMU में माइक्रोकॉन-2023 का आयोजन होगा।
यह जानकारी KGMU के माइक्रोबायोलॉजी विभाग की प्रो. विमला वेंकटेश ने मंगलवार को आयोजित पत्रकार वार्ता के दौरान दी। उन्होंने कहा कि डेंगू पर नियंत्रण के लिए टीके का निर्माण हो चुका है। दुनिया के कुछ देशों में टीकाकरण हो भी रहा है। जिससे वहां पर लोगों को डेंगू से सुरक्षित कर उनकी जिंदगी बचाई जा सके, लेकिन भारत में डेंगू के रोकथाम के लिए टीकाकरण की शुरूआत अभी नहीं हो पाई है। इसके पीछे कई कारण और चुनौतियां हैं। उन्हीं चुनौतियों और कारणों पर चर्चा करने के लिए केजीएमयू में माइक्रोकॉन -2023 में एक सत्र का आयोजन किया जायेगा। जिसमें साइंटिस्ट, माइक्रोबायोलॉजिस्ट और डॉक्टर चर्चा करेंगे।
इसके अलावा इस सत्र में आईसीएमआर की डॉ. निवेदिता गुप्ता भी मौजूद रहेंगी। जो डेंगू रोधी टीके को लेकर जानकारी साझा करेंगी। KGMU में माइक्रोबायोलॉजी विभाग की तरफ से चार दिवसीय माइक्रोकॉन-2023 का आयोजन किया जा रहा है। 23 नवंबर से शुरू होने वाले इस कॉफ्रेंस में चिकित्सा, विज्ञान के क्षेत्र से करीब 1200 डेलीगेट्स हिस्सा लेंगे। इसमें सरकार के कई विभागों के प्रतिनिधि भी हिस्सा लेंगे।
HOD प्रो. अमिता जैन ने बताया कि उनका माइक्रोबायोलॉजी विभाग इंडियन एसोसिएशन ऑफ मेडिकल माइक्रोबायोलॉजिस्ट के 46वें वार्षिक सम्मेलन माइक्रोकॉन- 2023 की मेजबानी कर रहा है। इस कॉफ्रेंस में करीब 800 शोधपत्र भी प्रस्तुत होंगे। साथ ही उन्होंने यह भी बताया कि इस बार जब यह कॉफ्रेंस शुरु हो रही है उस दौरान वल्र्ड माइक्रोविरयल रेजिस्टेंट वीक भी पड़ रही है। इसलिए इस कॉफ्रेंस में रेजिस्टेंट बैक्टीरिया और उस पर होने वाले दवाओं के असर पर भी बात होगी।
प्रो. शीतल वर्मा ने बताया कि कॉंफ्रेंस में वायरस, बैक्टीरिया और फंगस से होने वाली बीमारियां और उन पर दवाओं का असर, इलाज, गुणवत्ता और जागरुकता पर चर्चा होगी। साथ ही माइक्रोबायोलॉजी के शिक्षण और प्रशिक्षण के क्षेत्र में हो रहे सुधारों की जानकारी भी साझा की जाएगा। इसके अलावा इन चार दिनों में अस्पताल संक्रमण समेत अन्य विषयों पर भी बात होगी।

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