KOTA में एक और छात्रा ने की आत्महत्या, 7 माह में 25 ने दी जान
संयुक्त अभिभावक संघ ने कहा " संचालकों के दबाव में कार्यवाही नही कर रही है सरकार, दबाव में प्रशासन अभिभावकों और छात्रों से कर रहे है खिलवाड़ "
जयपुर
कोटा में लगातार छात्रों की आत्महत्या की घटनाओं ने कोचिंग संचालकों पर सवाल खड़े कर दिए हैं। इसे लेकर संयुक्त अभिभावक संघ ने राज्य सरकार पर कोचिंग संचालकों के दबाव में कार्य करने का आरोप लगाते हुए प्रशासन पर दबाव बनाने का आरोप लगाया है। संघ ने कहा की कोटा शिक्षा नगरी के नाम से विख्यात है लेकिन शहर में अब शिक्षा देने की बजाय शिक्षा छिनने का कार्य कर परिवारों को उजाड़ने की शिक्षा का खेल चल रहा है।
प्रदेश प्रवक्ता अभिषेक जैन बिट्टू ने कहा की अकेले कोटा शहर में पिछले 7-8 महीनों में 25 से अधिक छात्र और छात्राओ आत्महत्या कर चुके है, लेकिन संचालक, सरकार और प्रशासन हाथ पर हाथ धरे बैठा है और दूसरे शहरों से आ रहे छात्रों के अभिभावकों पर आरोप लगा रहे है। जबकि संचालक जब छात्रों का एडमिशन लेता है तो रहने, पढ़ाने, खाने एवं सुरक्षा की जिम्मेदारी लेता है और उसकी मनमानी फीस भी वसूलते है उसके बावजूद अभिभावकों पर आरोप लगा रहे है की वह अपने बच्चों को संभाल नहीं पा रहे है।
राज्य सरकार और प्रशासन ने विगत दिनों एक कमेटी का गठन कर सुझाव मांगे थे जिसमें विद्यार्थियों, अभिभावकों, बुद्धिजीवियों और विभिन्न संगठन संचालकों को जोड़ा था लेकिन प्रदेश के एक अभी अभिभावक संगठन को इस समिति में शामिल नही किया।
राजस्थान सरकारों भले ही करोड़ों के विज्ञापनों का प्रकाशन कर बेहतर शिक्षा व्यवस्थाओं के दावे कर रही हो जिसके परिणाम धरातल पर साफ देखने को मिलते है आज जिस प्रकार प्रदेश में निजी शिक्षा माफिया हावी उससे ना केवल विधार्थी शिक्षा से वंचित हो रहे है बल्कि स्थिति ऐसी बन गई है की अब विधार्थी आत्महत्या करने का सहारा लेने लगे है जो प्रदेश की बेहतर शिक्षा व्यवस्था की पोल खोल रहे है। मंगलवार को कोटा में एक और छात्रा ने फंदा लगाकर कर आत्महत्या कर ली है। जिसके चलते अभिभावक चिंतित है और विचलित है।