Asha workers ने काले कपड़े पहन कर काला दिवस मनाया, मांग नहीं मानी तो जेल भरों आंदोलन

दिल्ली में आशा वर्कर्स की तरफ से 28 अगस्त से अनिश्चितकालीन हड़ताल जारी है और हड़ताल का आज यानी 10 अक्टूबर को 44 वां दिन है।

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नई दिल्ली
आशा वर्कर्स की जायज व न्यायपूर्ण मांगों के प्रति सरकार के उदासीन रवैए के खिलाफ मंगलवार को दिल्ली की हजारों-हजार आशाओ ने काले कपड़े पहन कर व सिर पर पट्टी बांध कर काला दिवस मनाया। और सचिवालय की तरफ हजारों की संख्या में आशा वर्कर्स ने जूलूस निकाला। इसमें आशा वर्कर्स ने बूलंद नारे लगए जिसमें ‘केजरीवाल खोलो कान नहीं तो होगी नींद हराम’ ‘इंसेंटिव नहीं वेतन दो’ ‘हमारी मांगे पूरी करो’ ‘जब पिंक पिंक लहराएगा होश ठिकाने आएगा’ ‘प्वाइंट्स पर काम नहीं करेंगे’ ‘3000 में दम नहीं 15000 से काम नहीं’ गगनभेदी नारे लगाते हुए आशाएं कदम से कदम मिलते हुए सचिवालय की तरफ बढ़ती रही। सचिवालय के निकट जाकर पुलिस द्वारा आशाओं को रोक लिया गया। वहीं पर आशाएं धरने के रूप में बैठ गई।

इसी बीच आशाओं के लीडर्स का एक प्रतिनिधिमंडल अध्यक्ष सोनू और अध्यक्ष शिक्षा राणा, महा सचिव उषा ठाकुर ने केजरीवाल को अपना ज्ञापन देने के लिए निकली। विरोध सभा को एआईयूटीसी के अखिल भारतीय कमेटी के सदस्य रमेश पाराशर, दिल्ली राज्य सचिव मैनेजर चौरसिया के अलावा दावा यूनियन अध्यक्ष सोनू जी, महासचिव उषा ठाकुर, कार्यकारी अध्यक्ष शिक्षा राणा, नीरज, सुजाता पांडे, के अलावा अन्य आशाओं ने भी विरोध सभा को सम्बोधित किया। सभी वक्ताओं ने कहा कि 44 दिन से आशा कर्मी हड़ताल पर हैं और हड़ताल पूरी तरह से सफल है लेकिन, इसके बावजूद भी सरकार हमारी मांगे मानने के लिए कदम नहीं उठा रही है। आज इसके खिलाफ हमने यह काला दिवस मनाया है और अगर सरकार ने हमारी बातें नहीं मानी तो अगला कदम हमारा जेल भरो आंदोलन होगा। सिविल लाइन धरना स्थल पर लगातार धरना जारी रहेगा। हमारी सरकार से अपील है कि जितना जल्दी हो वह हमारी मांगों पर गौर करें। वक्ताओं ने कहा कि एक तरफ सरकार महिला सशक्तिकरण की बातें करती है पर यहां उन्ही के राज्य की महिलाएं 44 दिन से सड़कों पर बैठी है तो कहां है महिलाओं के प्रति मुख्यमंत्री का दर्द, महिलाओं के प्रति उनकी सहानुभूति कहां चली गई । हम यहां ऐलान करते हैं कि हमारी हड़ताल जारी है और तब तक जारी रहेगी जब तक की सरकार हमारी बात नहीं मान लेती।

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