दिल्ली में सीएम से आशा वर्कर्स के वेतन को बढ़ाने की मांग,LG के नौ हजार सैलरी देने का आदेश लागू हो, बद्तर स्थिति में हैं आशाएं

बहुत उम्मीद व आशा के साथ अपनी मांगों, समस्याओं और दर्द को सीएम के समक्ष रख गया

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Indinewsline, New Delhi:
दिल्ली की मुख्यमंत्री से आशा वर्कर्स के वेतन बढ़ोतरी समेत मांगों व समस्याओं को निस्तारण कराने की मांग की गई है। दिल्ली आशा वर्कर्स एसोसिएशन (दावा यूनियन) की ओर से सीएम रेखा गुप्ता को मांग पत्र सौंपा गया है।

एसोसिएशन ने दर्द को सीएम के समक्ष रखा
एसोसिएशन की अध्यक्ष शिक्षा राणा, महासचिव उषा ठाकुर, मुख्य सलाहकार एम चौरसिया व सलाहकार सोनू ने बताया कि बहुत उम्मीद व आशा के साथ अपनी मांगों, समस्याओं और दर्द को सीएम के समक्ष रख गया है।

आशाओं की सैलरी कम से कम नौ हजार हो
इसी साल छह फरवरी को उप-राज्यपाल ने दिल्ली सरकार से कहा था कि आशाओं की सैलरी कम से कम नौ हजार रूपए हो। यह खबर कई अखबारों में प्रकाशित हुआ था। इससे दिल्ली की आशाएं बहुत खुश हुई और उम्मीद जगी की अब वह सम्मान से जीवन यापन कर सकेंगी।

हमारा वेतन कुछ नहीं, मिलता है इंसेंटिव
दावा यूनियन की तरफ सीएम के संज्ञान में लाया गया कि सभी स्कीम वर्कर्स हैं और दिल्ली के स्वास्थ्य विभाग में आशा वर्कर के रूप में अपनी सेवाएं दे रहीं हैं। हमारा वेतन कुछ नहीं है। मेहनताना के रूप में इंसेंटिव दिया जाता है। वह इंसेंटिव भी मेहनत के हिसाब से ऊंट के मुंह में जीरा के समान है जबकि हमारा काम का प्रकृति स्थाई है और 12 महीने चलने वाला कार्य है और बहुत ही एसेंशियल वर्क में आता है।

सरकारी कर्मचारी नहीं माना जाता
45वें श्रम सम्मेलन के त्रिपक्षी वार्ता के अनुसार यह सहमति बनी थी कि सरकार का दिया हुआ काम करती हैं और स्थाई प्रकृति का काम है इसलिए सरकारी कर्मचारी माना जाना चाहिए किंतु किसी भी सरकार ने इस सहमति को लागू नहीं किया गया है। अतः हम आपसे अनुरोध अपील और साथ ही आशा करती है कि आप सहानुभूतिपूर्वक विचार कर अवश्य ही आशाओं और दिल्ली के जनता के हक में इस मांग को पूरा करने के लिए तुरन्त पहल करेंगी।

हड़ताल के दबाव में जारी मिनट्स को किर्यान्वित नहीं किया गया

दिल्ली आशा वर्कर्स एसोसिएशन (दावा यूनियन) की ओर से यह भी संज्ञान में लाया गया है कि 2023 में 72 दिनों की आशा वर्कर्स की हड़ताल के दबाव में वर्तमान केजरीवाल सरकार ने कोर सहित सभी इंसेंटिव को बढ़ाने का मिनट्स जारी किया जिसे किर्यान्वित नहीं किया गया।

यूनियन जिन मांगों को स्वीकारने की अपील करती है वे नीचे क्रमवार दी गई हैं। मगर कुछ बातें एसोसिएशन ने पहले नोट करवा दी है।
A) कई राज्यों में आशाओं को कोर इंसेंटिव सहित सभी इंसेंटिव व हित लाभ दिल्ली से बेहतर दिया जा रहा हैं। राजधानी होते हुए भी दिल्ली की आशाएं बद्तर स्थिति में है।
B) दिल्ली में आशाओं से ऐसे कार्य भी करवाएं जाते हैं जिनका इंसेंटिव बहुत कम है, ना के बराबर है, और वह भी समय पर नहीं दिया जाता है। कई इंसेंटिव सही तरह से तय ही नही किये गए हैं। इंसेंटिव बनाने व देने की विधि सही नही है। इंसेंटिव लेने के लिए आशाओं को कागज देने में उलझा दिया जाता है। इस सबके कारण आशाओं को अपने काम व हक की तुलना में कम इंसेंटिव मिलता है। रही सही कसर एएनएम व डॉक्टर की मनमर्जी पूरी कर देती है। हम आशाओं का यह चौतरफ़ा शोषण दुख का बड़ा कारण है। इस स्थिति में आपसे विनम्रतापूर्वक निम्न मांगों को स्वीकार करने की अपील करती हैं।

आशा वर्कर्स की प्रमुख मांगे
1) अभी तुरन्त दिल्ली में आशाओं का कोर सहित सभी इंसेंटिव व हित लाभ को भारत में सभी राज्यों से ज्यादा बढ़ाकर मिशाल कायम किया जाए।
2) कोर इंसेंटिव को पाईंट मुक्त करके कम से कम दिल्ली सरकार द्वारा घोषित न्यूनतम वेतन के बराबर वेतन दिया जाए।
3) आशा को सभी प्रकार छुट्टी, भविष्य निधि, ग्रेज्युटी, पेंशन, स्वास्थ्य सुविधा, जीवन बीमा व मातृत्व लाभ जैसे सामाजिक सुरक्षा लाभ दिए जाए।
4) आशा कार्य से रिटायर होने या हटने पर कम से कम 5 लाख रुपए की मुश्त राशि दी जाए।
4) स्वास्थ्य कर्मियों की तरह ही आशा वर्कर्स को भी पी.सी.ए.’रोगी देखभाल भत्ता'(पेशंट केयर अलाउंस) दिया जाए।
5) ए.एन.एम. व स्वास्थ्य विभाग में ग्रुप-सी के पदों पर आशा की प्रमोशन व भर्ती को प्राथमिकता दी जाए। इनमें आशा के लिए 50 प्रतिशत पद रिजर्व किये जाए।
6) आशा को सरकारी स्वास्थ्य कर्मचारी का दर्जा दिया जाए।
45वें भारतीय श्रम सम्मेलन में बने सहमति के अनुसार सरकारी कर्मचारी का दर्जा दिया जाए।

 

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