Asha workers’ का जारी है आंदोलन, हल्ला बोल के बाद भी अनसुना कर रही सरकार
सिविल लाइन पर पिछले 35 दिनों से प्रदर्शन कर रही हैं आशा वर्कर्स
नई दिल्ली
अपनी मांगों को लेकर पिछले 35 दिनों से सिविल लाइन पर विरोध प्रदर्शन कर रही आशा वर्कर्स की मांग को सरकार अनसुना कर रही है। दिल्ली की 90% आशाएं हड़ताल पर है, लेकिन सरकार ने मांगों को सुना नहीं और न ही अभी तक उस पर कोई कार्रवाई करने की कोई प्लान बनाया है।
वर्कर्स का कहना है कि एक आशा एक मंजिल से लेकर 5 मंजिल तक ऊपर चढ़कर एक बीमार व्यक्ति या बच्चे या गर्भवती महिला की देखभाल करती है। जिसके देश में गर्भवती व शिशु मृत्युदर में काफी गिरावट आई है। करोना काल में भी जब पूरा देश लॉकडाउन के कारण घरों में बंद था तब भी आशा वर्कर्स बिना अपनी जान की परवाह किए करोना पीड़ित की देखभाल के लिए उनके घर तक जाती थी। जबकि उनके घंटे काम के घंटे कुछ भी नहीं है इतनी मेहनत के बावजूद भी हमें मात्र 3000 रुपये मानदेय दिया जाता है। वह भी बहुत ही संघर्षों के बाद 3000 रुपये मानदेय 2017 में किया गया था। उसके बाद कोई बढोतरी नही हुई।
आशा वर्कर्स ने मांग रखी है कि सरकार हमारी मांग को जल्द पूरी करें।
(1) सभी इंसेंटिव चार गुणा करो।
(2) प्वाइंट मुक्त कर 15 हज़ार वेतन दो।
(3) पेंशन, ग्रेच्युटी, पीएफ, मातृत्व लाभ दो।
(4) रिटायर्ड होने पर आशा को 5 लाख रुपए राशि दो।
(5) सरकारी कर्मचारी का दर्जा दो।