Asha Worker’s की नहीं टूटेगी हड़ताल, पहले पूरी हो मांग
आशा वर्कर्स ने प्रशासन को लिखा पत्र, दी कानूनी कार्रवाई की चेतावनी
नई दिल्ली
आशा वर्कर्स ने प्रशासन को पत्र लिखकर स्पष्ट कर दिया है कि हड़ताल खत्म नहीं करेंगे। हमारी मांग सही है और ये अधिकार लेकर रहेंगे।
दिल्ली आशा वर्कर्स एसोसिएशन (दावा यूनियन) ने अपने पत्र में कहा है कि हमारी यूनियन मांगो और समस्याओं को 2021 से संबंधित अथॉरिटी के समक्ष रखती आ रही है। लेकिन इसका कोई समाधान नहीं हुआ। 19 जुलाई 2023 को हज़ारो आशाओ ने प्रदर्शन करके अपनी बात रखी थी। इसके बाद दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री सौरभ भारद्वाज को मांगो और समस्याओं को न सुनने की स्थिति में 28 अगस्त से हड़ताल का नोटिस दिया गया। लेकिन हड़ताल शुरु होने के बाद भी कोई समाधान नहीं किया गया। 9 सितम्बर 2023 को M D दानिश असरफ स्पेशल सचिव स्वास्थ्य दिल्ली सचिवालय से अचानक मुलाक़ात का समय दिया गया जिसमें मांगो और समस्याओं पर कोई बात नहीं की गई और न ही कोई समाधान हुआ। लेकिन उसी मुलाक़ात का हवाला देकर एक पत्र अंजू जैन आशा प्रोग्रामर विकाश भवन 2 सिविल लाइन दिल्ली से जारी किया गया जिसमे यह जिक्र है कि यूनियन से बात हो गई है और हड़ताल वापस हो गयी है जबकि यूनियन द्वारा ऐसा कोई ना समझौता हुआ ना ही बात हुई।
लेकिन इस मुलाक़ात को गलत संदेश के रूप मे प्रचारित प्रसारित किया गया, इसका बहाना बनाकर आशाओं को अलग अलग अथॉरिटी द्वारा अलग अलग माध्यम से चेतावनी पत्र दिये गये, तथा डराने धमकाने जबरन काम पर आने के लिए पत्र पर हस्ताक्षर करवाए गये, करवाए जा रहे है इतना ही नहीं नई आशाओं की भर्ती भी की जा रही है।
उनका कहना है कि आशा वर्कर्स अपना अधिकार मांग रही है। यह कभी काम से दूर नहीं भागती बावजूद उन्हें फायदा नहीं दिया जाता। पूरा काम करने के बाद भी पैसों में कटौती की जाती है जिससे प्रत्येक महीने आर्थिक नुकसान उठाना पड़ता है। कोरोना काल के इन्सेंटिव आशा को दिये नहीं गये। नीचे से ऊपर तक अधिकारी मिलकर हड़प गये।
प्रकाश देवी का कहना है कि प्रशासन सभी कार्रवाई को वापस ले। करोना काल में किये गये कार्य का पुरा इन्सेंटिव दिया जाए। प्रत्येक महीने किये गये कार्य का इन्सेंटिव कटौती को आशा रिकार्ड के अनुसार भुगतान किया जाए। इन बिंदुओं का समाधान 15 दिनों के भीतर किया जाये अन्यथा हम कानूनी व सांगठनिक कार्यवाही करने के लिए यूनियन को अधिकृत करने के लिए बाध्य होंगी।