उपेन्द्र कुमार पांडेय।
आजमगढ़ के युवा कवि शुभम पांडेय की कविता काफी लोकप्रिय हो गई है। उन्होंने अपनी कविता को प्रस्तुत किया है।
स्वर मेेरा बुलंद, मैं फिर से गीत गाऊंगा, मैं पर्वत हूं, फिर से जीत जाऊंगा,
दुख से आहत, त्रस्त नहीं हूं, थोड़ा सा चिंतित, परास्त नहीं हूं, स्नेह मेरा बुलंद, फिर से प्रीत जगाऊंगा, मैं पर्वत हूं, फिर से जीत जाऊंगा,
त्रासदी पर मंथन हो रहा, श्रेष्ठ की अपेक्षा है, पीछे नहीं है हटना, यह है धैर्य की परीक्षा है, जज्बा मेरा बुलंद, फिर से रीत निभाऊंगा, मैं पर्वत हूं, फिर से जीत जाऊंगा,
उजड़े आशियाने बसा कर, बिखरे सपने जोड़ूंगा, कार्य चाहे हो विषम, विनाश का तंत्र तोडूंगा, सौहार्द मेरा बुलंद, फिर से मीत बनाऊंगा, मैं पर्वत हूं, फिर से जीत जाऊंगा,
साहस चट्टान सा अटल, इरादों में बल है, प्रकृति की सुरक्षा, संकल्प मेरा निश्चल है, पुरुषार्थ मेरा बुलंद, फर्ज पुनीत निभाऊंगा, मैं पर्वत हूं, फिर से जीत जाऊंगा,