Azamgarh: इस बार दीपावली की तारिख को लेकर भ्रम, ज्योतिषाचार्य ने कहा इस दिन मनाएं दिवाली?

पंचांग के अनुसार हर वर्ष कार्तिक माह की अमावस्या तिथि पर दीप का पर्व दीपावली मनाई जाती है, लेकिन इस बार अमावस्या तिथि दो दिन है

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Azamgarh, Upendra Kumar Pandey:

इस वर्ष दीपावली 31 अक्टूबर या फिर 01 नवंबर को मनाई जाए इसे लेकर भ्रम की स्थिति है, क्योंकि इस वर्ष कार्तिक अमावस्या की तिथि एक दिन से लेकर दूसरे दिन तक पड़ रही है। दीपावली की तारीख को लेकर मन में चल रही दुविधा को दूर करने के लिए नारायण ज्योतिष परामर्श एवं अनुसंधान केंद्र फूलपुर प्रयागराज के ज्योतिषाचार्य पं ऋषिकेश शुक्ला ने बताया कि हिंदू सनातन धर्म में वैदिक पंचांग के आधार पर तिथियों और व्रत-त्योहारों की गणनाएं की जाती हैं। पंचांग के अनुसार हर वर्ष कार्तिक माह की अमावस्या तिथि पर दीप का पर्व दीपावली मनाई जाती है, लेकिन इस बार अमावस्या तिथि दो दिन है यानी कार्तिक अमावस्या तिथि 31 अक्टूबर और 01 नवंबर को भी है।

उदया तिथि से मतलब दिन में सूर्योदय के समय जो तिथि होती है

ज्योतिषाचार्य पं ऋषिकेश बताते हैं कि हिंदू धर्म में तिथियों का विशेष महत्व होता है और इनमें उदया तिथि का तो और भी महत्व होता है। हिंदू धर्म में व्रत-त्योहार उदया तिथि के आधार पर ही मनाया जाता है। उदया तिथि से मतलब दिन में सूर्योदय के समय जो तिथि होती है उसको ही महत्व दिया जाता है। इस तरह से कुछ लोग उदया तिथि को महत्व देते हुए दीपावली 01 नवंबर को मनाना ज्यादा अच्छा समझ रहे हैं। दीपावली पर लक्ष्मी गणेश की पूजा हमेशा प्रदोष काल से लेकर मध्य रात्रि के बीच में पड़ने वाली कार्तिक अमावस्या के दौरान मनाया जाता है, इसलिए दीपावली 31 अक्टूबर को ही मनाया जाएगा।

प्रदोष काल और निशिताकाल के मुहूर्त में दीपावली मनाना शुभ माना गया

उन्होंने कहा कि शास्त्रों में दीपावली पर लक्ष्मी गणेश की पूजन हमेशा अमावस्या तिथि के रहने पर और प्रदोष काल मतलब सूर्यास्त के बाद से लेकर देर रात तक करने का विधान होता है। यानी अमावस्या तिथि, प्रदोष काल और निशिताकाल के मुहूर्त में दीपावली मनाना शुभ माना गया है। अमावस्या तिथि रहें तो प्रदोष काल से लेकर आधी रात को लक्ष्मी पूजन करना और दीपावली मनाना ज्यादा शुभ व शास्त्र सम्मत रहता है।
दरअसल ऐसी धार्मिक मान्यता है कि मां लक्ष्मी का प्रादुर्भाव प्रदोष काल में ही हुआ था, जिसके चलते निशीथ काल में मां लक्ष्मी की पूजा और उनसे जुड़े सभी तरह की साधनाएं आदि करना विशेष महत्व का होता है।

दीपावली पर सभी तरह की वैदिक स्थितियां 31 अक्टूबर के दिन लागू रहेगी

भारतीय वैदिक पंचांग के अनुसार इस वर्ष अमावस्या तिथि 31 अक्टूबर को दोपहर 3 बजकर 12 मिनट पर शुरू हो जाएगी, जो 01 नवंबर की शाम 05 बजकर 14 मिनट तक रहेगी। इस तरह से दीपावली पर सभी तरह की वैदिक स्थितियां 31 अक्टूबर के दिन लागू रहेगी जबकि 01 नवंबर को अमावस्या तिथि सूर्योदय के दौरान रहेगी लेकिन समाप्ति शाम को 05 बजकर 14 मिनट पर हो जाएगी।

कुछ पंचांगों में अमावस्या तिथि की समाप्ति सूर्यास्त से पहले ही बताई जा रही

वहीं दूसरी ओर कुछ पंचांगों में अमावस्या तिथि की समाप्ति सूर्यास्त से पहले ही बताई जा रही है। व्रत-त्योहारों की तारीखों को लेकर ज्यादतर मामलों में उदया तिथि का विशेष महत्व दिया जाता है, लेकिन कुछ विशेष परिस्थितियों में अन्य चीजों और मुहूर्तों को ध्यान में रखते हुए मिलने वाली तिथि का अधिक महत्व दिया जाता है। इस कारण जिस रात्रि को प्रदोष काल से लेकर मध्य रात्रि के बीच व्याप्त रहने वाली अमावस्या तिथि को ध्यान में रखते हुए दीपावली का पर्व 31 अक्तूबर 2024 को मनाए जाएगी।

पूजन मुहूर्त

31 अक्टूबर को प्रदोष काल शाम 05 बजकर 42 मिनट से लेकर 08 बजकर 52 मिनट तक रहेगा। वहीं वृषभ लग्न शाम 06 बजकर 28 मिनट से लेकर रात को 08 बजकर 24 मिनट तक रहेगा। ऐसे में गृहस्थ लोग इस समय के दौरान लक्ष्मी गणेश पूजन करना शुभकारी रहेगा।
लक्ष्मी पूजा मुहूर्त (निषितकाल) 31 अक्टूबर को निशीथ काल में पूजा करने लिए शुभ मुहूर्त रात 11 बजकर 36 मिनट से लेकर 12 बजकर 22 मिनट तक रहेगा।

मां लक्ष्मी का प्रादुर्भाव प्रदोष काल में हुआ था और स्थिर लग्न में मां लक्ष्मी की पूजन करने से महालक्ष्मी स्थिर रहती हैं। ऐसे में दिवाली पर प्रदोष काल में पड़ने वाले वृषभ लग्न में ही महालक्ष्मी और भगवान गणेश का पूजन करना अति उत्तम रहेगा।

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