बाराबंकी: पशुधन प्रसार अधिकारी के महिमा मंडन से बंद है पशु केंद्र का ताला

पशु केंद्र बरौली जाटा रोब और दबादई के कारण जंग खा रहा है केंद्र का ताला

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बाराबंकी, सफेदाबाद संवाददाता।
लंबे समय से चल रहे बरौली जाटा पशु सेवा केंद्र में विगत वर्षों से तैनात महिला पशुधन प्रसार अधिकारी की लगातार शिकायत ग्रामीणों द्वारा उच्च अधिकारियों से की जा रही है, मगर फिर भी मैडम के कान में जूं नहीं रेंगती। क्षेत्र में हो रहे बीमारियों के कारण मैडम की लापरवाही और पशु सेवा केंद्र पर तलाक न खुलने की नदरता सामने आ रही है। क्षेत्र में पशुओं को हो रही बीमारी में बरसात के पहले ही महीने में मुंह पका खुर पका जैसी घातक बीमारियों का टीकाकरण भी नहीं हो पा रहा है।
10 से 15 साल पहले मैडम इस सेवा केंद्र पर तैनात की गई थी। जिसे मैडम की कमियां क्षेत्र में लगातार उजागर हो रही हैं। जिले के उच्च अधिकारियों तक अगर यह बात पहुंचती है तो मैडम की अपनी नौकरी बचाने के लिए साफ साफ उपलब्धि की रिपोर्ट लगा देती हैं।

क्षेत्र में हो रही बीमारियों में अधिकतर पाए जाने वाले घातक जानलेवा बीमारी पशुओं में बारिश के पहले महीने में सबसे ज्यादा लंबा प्रसार होता है। जिससे क्षेत्र में खुर पका मुंह पका शर्रा, गला घोटू आदि बीमारी होती है।
ग्रामीणों द्वारा सरकारी पशुधन प्रसार अधिकारी नीलम सिंह की शिकायतें लगातार क्षेत्र में मिलती रहती हैं। पशु सेवा केंद्र का ताला खुलने की वजह मैडम अपने ही घर में बैठकर नौकरी का ड्यूरी का परिणाम दे रहीं है। जबकि विभाग द्वारा पशुओं को हर साल अधिक से अधिक मात्रा में दवाइयां का टेंडर मिलता है। सरकारी दवाइयां को मैडम क्षेत्र में लगाने की बजाय स्थानीय मेडिकल स्टोर पर सप्लाई भी कर देती हैं।
डॉ. नीलम सिंह पशु केंद्र सेवा बरौली जाता में तैनात है। जिसमें स्थानीय लोगों द्वारा इसकी शिकायत कई बार उच्च अधिकारियों से की गई है। फिर भी मैडम इस मामले से हमेशा नदारद दिखती रहीं। बाहर कई वर्षों से लगा अड़गड़ा अभी जंगल मे तब्दील होकर जंग खा रहा है। सफाई के लिए अड़गड़ा क्षेत्रीय सहायक पशु प्रसार अधिकारी नीलम सिंह की वजह से तरस रहा है।
ग्रामीणों का आरोप है की सही समय से केंद्र का ताला कभी नहीं खुलता है। जो अब मैडम की लापरवाही पशुओं के जान पर बन आई है। यहां के आसपास के लोगों का कहना हैं की कई- कई दिनों तक टाला भी नही खुलता है। छूटी न होने पर भी हमेशा ऐसे ही बन्द रहता है। जिससे निजी समस्या से स्थानीय लोगों को निजात नहीं मिलता।

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