दिल्ली सरकार के बजट से नाराज भारतीय मजदूर संघ

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नई दिल्ली 

दिल्ली सरकार द्वारा 2024 बजट से दिल्ली प्रदेश भारतीय मजदूर संघ ने नाराजगी जताई है। इसको लेकर महामंत्री  डॉ दीपेन्द्र चाहर दिल्ली सरकार पर आरोप लगाया है कि  दिल्ली सरकार का “गरीब और मजदूरों की सरकार” होने का दावा खोखला निकला, बल्कि वास्तविकता यह है कि वर्तमान सरकार श्रमिक विरोधी सरकार है।सरकार अपने लोभ लुभावने दावों से यह साबित तो करना चाहती है लेकिन बजट में श्रमिक वर्ग जो राज्य की जीडीपी में महत्व पूर्ण भूमिका निभाता है श्रम जीवी के लिए कुछ भी प्रावधान नहीं किया है। हजारों करोड़ के बजट में श्रमिकों के लिए केवल 26 लाख रुपए स्किल करने के लिए रखे है जो बेहद कम राशि है।पूरे बजट के में मंत्री आतिशी ने एक बार भी श्रमिकों का नाम तक नहीं लिया । भारतीय मज़दूर संघ वर्षों से सरकार से भवन निर्माण में लगे श्रमिकों की तरह ही प्रवासी मजदूरों और गिग व प्लेटफॉर्म वर्कर्स के लिए भी वेलफेयर बोर्ड स्थापित करने मांग कर रहा है लेकिन सरकार द्वारा प्रस्तुत किए वर्ष 2024 के बजट में इन सभी महत्वपूर्ण विषयों पर कोई प्रावधान नहीं है।
दिल्ली सरकार ने एमसीडी , डीटीसी ,दिल्ली जल बोर्ड, डेसू व दिल्ली सरकार के अधीन अन्य संस्थानो के कर्मचारियों के वेतन व पेंशन के नियमित भुगतान के लिए दिल्ली सरकार ने इस बजट में कोई स्पष्टता नहीं की है कि कितना फंड कर्मचारी वर्ग के पेंशन फंड में जायेगा और कितना फंड कर्मचारियो के वेतन फंड में जायेगा जिससे पेंशन और वेतन का एक निर्धारित तारीख को उनका भुगतान किया जा सके।
दिल्ली सरकार ने पिछले बजट की तरह इस वित्तीय बजट में भी डीटीसी में बसों की संख्या बढाने का प्रावधान किया है लेकिन सच्चाई यह है कि पिछले कई वर्षो से डीटीसी ने कोई बस नहीं खरीदी है, सारी बसें निजी प्लेयर्स की हैं। इससे लगता है कि वर्तमान दिल्ली सरकार केवल कुछ चुनिंदा उद्योगपतियों के लिए ही काम कर रही है।

 

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