Chandni Chowk से भाजपा प्रत्याशी खंडेलवाल ने अपने घर पर दुर्गा पूजा की और नवरात्र के नौ दिन के व्रत का संकल्प लिया

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नई दिल्ली

वर्ष प्रतिपदा हिंदू नववर्ष के आज पहले दिन प्रथम नवरात्र पर चाँदनी चौक से भाजपा उम्मीदवार प्रवीन खंडेलवाल ने आज अपने घर पर परिवार सहित माँ दुर्गा का पूजन विधि विधान से किया । पूजन से पूर्व महाकाल की धरती उज्जैन के प्रसिद्ध वेद मर्मज्ञ आचार्य दुर्गेश तारे ने वीडियो कांफ्रेंस द्वारा माँ दुर्गा के नौ दिन के व्रत रखने का संकल्प लिया ।इसके बाद अपने चुनाव प्रचार के चलते खंडेलवाल ने आज क़रोल बाग में माँ झंडेवाली, कनाट प्लेस में प्राचीन हनुमान मंदिर, बंगला साहिब पर माँ काली मंदिर, मंदिर मार्ग पर भगवान महर्षि वाल्मीकी मंदिर, क़रोल बाग में संकटमोचन सिद्ध हनुमान मंदिर पर 108 फ़िट ऊँची हनुमान प्रतिमा एवं श्री गौरी शंकर मंदिर जाकर भगवान के दर्शन कर पूजन किया एवं आशीर्वाद प्राप्त किया।

वर्ष प्रतिपदा हिंदू नव वर्ष के पहले दिन आज  खंडेलवाल ने कमला नगर में आयोजित एक नव वर्ष कार्यक्रम में भी भाग लिया । श्री खंडेलवाल ने कहा कि चैत्र नवरात्रि में मां दुर्गा की पूजा विशेष फलदायी है। नवरात्रि ही ऐसा पवित्र पर्व है जिसमें महाकाली, महालक्ष्मी और मां सरस्वती की साधना कर मनचाही सिद्धियां-उपलब्धियां हासिल की जा सकती है।इस अवसर पर पत्रकारों से बातचीत के दौरान उन्होंने कहा कि नवरात्र वस्तुतः शक्ति उपासना का पर्व है। वर्ष में दो बार आकर यह सृष्टि के कण-कण में शक्ति का एहसास कराता है। न केवल यह जगत वरन संपूर्ण ब्रह्मांड शक्ति से संचालित है। यह पर्व सात्विक आहार-विहार का पालन करते हुए शक्ति स्वरूपा मां की उपासना कर हर व्यक्ति को शक्ति अर्जित करने का शुभ अवसर प्रदान करता है। आसुरी एवं तामसी शक्तियों पर विजय प्राप्त करने वाली मां के विविध रूप तामसी व्रतियों से दूर रहने का संदेश देते हैं। इसलिए, दुर्व्यसनोँ से मुक्ति इस पर्व का महान संदेश है।

खंडेलवाल ने बताया कि नवरात्र उपासना में घट स्थापन तथा जौ बोने का विशेष महत्व है। घट इस शरीर का प्रतीक है। शुद्ध जल और पत्र पुष्पों से युक्त घट के शरीर में जल तत्व की महत्ता और प्राकृतिक पर्यावरण को शुद्ध रखने का संदेश देता है। जौ बोना जहां हरित पर्यावरण का प्रतीक है, वहीँ ‘जो बोओगे वही काटोगे’ का संदेश देकर मनुष्य को सत्य कर्मों की ओर प्रेरित करता है।नारी शक्ति वंदन अधिनियम का उल्लेख करते हुए खंडेलवाल ने कहा कि नवरात्र नारी महिमा और सम्मान का पर्व भी है। आसुरी शक्तियों का विनाश करने वाले दुर्गा के विविध रूप याद दिलाते हैं कि नारी अबला नहीं है। वह चाहे तो चंडी और काली बनकर जुल्म करने वाले महिषासुरो का स्वयं संहार कर सकती है। जहां विभिन्न मांगलिक अवसरों पर कन्या पूजन की परंपरा हो, वहां कन्या भ्रूण हत्याएं शोभा नहीं देती। अतः सच्चे अर्थों में शक्ति स्वरूपा नारी सम्मान को प्रतिष्ठापित करना ही नवरात्र महोत्सव का मंगल संदेश है।

न होती सृष्टि वसुधा की, कोई श्रृंगार न होता।
न कोई घर कहीं बसता, कोई परिवार न होता।।
न होता प्रेम हृदयों में, मधुर गुंजार न होता।
अगर बेटी नहीं होती, तो ये संसार न होता।।

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