नई दिल्ली
पायल कपाड़िया का नाम इन दिनों चर्चा में है। फिल्ममेकर पायल कापरिया ने कान फिल्म फेस्टिवल में ग्रैंड प्रिक्स ऑवर्ड जीतकर देश का नाम रोशन किया है। हालांकि, FTII से ग्रेजुएट हुईं पालय को कभी ‘राष्ट्र विरोधी’ कहा गया था और आज वह ही देश की शान बन गई हैं। हालांकि ऐसा करने में उन्हें 9 साल लग गए। इसी कारण चारों तरफ उनके ही बारे में बात हो रही है। दरअसल, बात 2015 की है. FTII के चेयरमैन के पद पर गजेंद्र चौहान का नियुक्त किया गया. पायल और उनके साथी फ़िल्म स्टूडेंट्स ने इसका विरोध किया. उनका कहना था कि गजेंद्र चौहान की पेशेवर योग्यता इस पद पर बैठने की नहीं है. और उनकी नियुक्ति महज एक राजनीतिक नियुक्ति है. FTII के स्टूडेंट्स ने भारी विरोध प्रदर्शन किए. इस संस्थान के इतिहास के सबसे लंबे प्रोटेस्ट इस दौरान चले. प्रोटेस्ट के 68वें दिन FTII के तत्कालीन निदेशक प्रशांत पथराबे ने 2008 बैच को हॉस्टल खाली करने का नोटिस जारी कर दिया.
पूछने पर प्रशांत ने तर्क दिया कि बच्चों के फिल्म प्रोजेक्ट्स की जांच की गई है, जिनमें अधिकतर अधूरे पाए गए हैं. छात्र उनसे जवाब मांगने गए. उनके ऑफिस को एक ह्यूमन चेन बनाकर घेर लिया. प्रशांत को बाहर निकालने के लिए आधी रात FTII कैंपस में पुलिस आई. पांच छात्रों को गिरफ्तार किया गया. पुलिस ने 35 लोगों पर नामजद रिपोर्ट दर्ज की. इनमें पायल कपाड़िया का भी नाम था. बाद में FTII ने इन सभी पर अनुशासन तोड़ने संबंधी कार्रवाई की. FTII ने इनकी स्कॉलरशिप रोक दी. साथ ही फॉरेन एक्चेंज प्रोग्राम में भी शामिल नहीं होने दिया गया. पायल कपाड़िया और उनके साथियों का केस अभी कोर्ट में चल रहा है.
आवर्ड मिलने पर पायल कपाड़िया ने जताई खुशी
कान फिल्म फेस्टिवल में जीत मिलने के बाद , पायल के शब्दों में किसी भी तरह की नफरत नहीं झलकी। उनमें सिर्फ जीत की खुशी ही दिखाई दी। जिसे उन्होंने भारत के साथ फिल्म डायक्टरों के साथ साझा किया। ‘यह पुरस्कार प्राप्त करना एक शानदार एहसास है, क्योंकि हमारे साथ-साथ भारत से भी बहुत सी अच्छी फिल्में हैं, और हम फिल्म निर्माताओं के बड़े परिवार का हिस्सा महसूस करते हैं।